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Tata Steel ने कहा- 1930 के बाद पहली बार गहरे संकट में इस्पात उद्योग, 2020-21 के दौरान मांग में भारी गिरावट की आशंका

Tata Steel. टाटा स्टील ने कहा कि वर्तमान में जारी लॉकडाउन के कारण ज्यादातर इस्पात उत्पादक क्षेत्रों में कच्चे इस्पात के उत्पादन में भी गिरावट आने का अनुमान है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 05:48 PM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 01:35 PM (IST)
Tata Steel ने कहा- 1930 के बाद पहली बार गहरे संकट में इस्पात उद्योग, 2020-21 के दौरान मांग में भारी गिरावट की आशंका
Tata Steel ने कहा- 1930 के बाद पहली बार गहरे संकट में इस्पात उद्योग, 2020-21 के दौरान मांग में भारी गिरावट की आशंका

जमशेदपुर (जासं) । टाटा स्टील ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते 2020-21 के दौरान इस्पात की मांग में भारी कमी आने की आशंका है। मांग में आने वाली यह कमी वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनुमानित संकुचन के अनुरूप होगी। टाटा स्टील ने कहा कि वर्तमान में जारी लॉकडाउन के कारण ज्यादातर इस्पात उत्पादक क्षेत्रों में कच्चे इस्पात के उत्पादन में भी गिरावट आने का अनुमान है। टाटा स्टील के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने मौजूदा हालात को 1930 के दशक की मंदी के बाद से सबसे खराब संकुचन बताते हुए कहा कि 2020 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में तीन प्रतिशत से अधिक का संकुचन होने की आशंका है।

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वैश्विक अर्थव्यवस्था में संकुचन इस्पात क्षेत्र के लिए अच्छे  संकेत नहीं हैं, क्योंकि इस्पात की मांग आर्थिक वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है। चंद्रशेखरन ने 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा, 'वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर 2019 में घटकर 2.9 प्रतिशत रह गई, जबकि शुरुआत में इसमें 3.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान था, आगे की बात करें तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के अभूतपूर्व असर का अनुमान लगाना महत्वपूर्ण है। अनुमान है कि 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत से अधिक का संकुचन होगा। यह 1930 के बाद का सबसे गहरा संकुचन होगा।

विकसित और विकासशील, दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक साथ मंदी में

चंद्रशेखरन ने कहा कि महामंदी के बाद ऐसा पहली बार है, जब विकसित और विकासशील, दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक साथ मंदी में हैं। उन्होंने कहा कि सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था का प्रभाव वैश्विक इस्पात क्षेत्र में महसूस किया गया है। वर्ष 2019 में वैश्वियक कच्चे इस्पात का उत्पादन 187 करोड़ टन तक पहुंच गया था जो कि एक साल पहले के उत्पादन के मुकाबले 3.4 प्रतिशत की सामान्य वृद्धि थी। इससे पहले 2018 में इस्पात उत्पादन में 4.6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। भारत में 2019- 20 की वृद्धि 7.5 प्रतिशत के शुरुआती अनुमान के बाद धीमी पड़कर 4.2 प्रतिशत रह गई। वहीं घरेलू इस्पात क्षेत्र में 2019 में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि रह गई जो कि इससे पिछले साल 7.7 प्रतिशत रही थी।


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