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Tata Steel : कच्चे माल की कीमतों में उछाल से कराह रही छोटी स्टील कंपनियां

Steel Market कोयला जैसे कच्चे माल की कीमत में उतार चढ़ाव का सीधा असर मध्यम व छोटे स्टील कंपनियों पर पर रही है। टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियां जहां ब्लास्ट फर्नेस का इस्तेमाल करती है वही छोटी कंपनी इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस व स्पंज आयरन पर निर्भर है....

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 09:51 AM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 09:51 AM (IST)
Tata Steel : कच्चे माल की कीमतों में उछाल से कराह रही छोटी स्टील कंपनियां
Tata Steel : कच्चे माल की कीमतों में उछाल से कराह रही छोटी स्टील कंपनियां

जमशेदपुर : आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया (आयडा) स्थित मध्यम और छोटे स्टील निर्माता कराह रहे हैं क्योंकि तैयार स्टील की कीमतों में सुधार के बीच स्पंज आयरन और आयातित स्क्रैप स्टील जैसे प्रमुख इनपुट की कीमतों में वृद्धि जारी है। सेकेंडरी स्टीलमेकर कहलाने वाली ये कंपनियां स्टील बनाने के लिए इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस में स्पंज आयरन या स्क्रैप स्टील का इस्तेमाल करती हैं।

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बड़ी कंपनियों पर कोई असर नहीं

टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियां तो लौह अयस्क को शुद्ध करने के लिए ब्लास्ट फर्नेस संचालित करते हैं और फिर स्टील बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। घरेलू बाजार में कोयले की कमी से स्पंज आयरन की कीमतों में तेजी आ रही है। इस बीच, स्क्रैप स्टील की उपलब्धता में भी कमी आई है, जिसका बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। इससे कमोडिटी की कीमत बढ़ रही है।

जमशेदपुर के वित्त विशेषज्ञ अनिल कुमार गुप्ता के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए, स्पंज आयरन और स्क्रैप स्टील की कीमतें, मौजूदा बाजार दरों से मार्च और अप्रैल के महीनों में औसतन अधिक थीं, स्टीलमिंट के आंकड़ों से पता चलता है। हालांकि, इन कच्चे माल की कीमतें मई में गिरावट के बाद जून से बढ़ रही हैं, जबकि तैयार स्टील की कीमतें अप्रैल में अपने चरम पर पहुंचने के बाद नीचे की ओर चल रही हैं। नतीजतन, तैयार स्टील की कीमतों की तुलना में इनपुट लागत का संतुलन बंद हो गया है।

स्पंज आयरन की कीमत में बढ़ोतरी

उदाहरण के लिए, अप्रैल में स्पंज आयरन की औसत कीमत का बेंचमार्क हॉट-रोल्ड कॉइल स्टील की कीमत का अनुपात 0.5 था, जो अगस्त में बढ़कर लगभग 0.63 हो गया। आयातित स्टील स्क्रैप के मामले में भी ऐसा ही है, जो माध्यमिक इकाइयों द्वारा इस्पात निर्माण के लिए पसंदीदा तरीका है। जब तक हमें सस्ता कोयला नहीं मिलता, हम परेशानी होगी।

आयडा स्थित स्टील बनाने वाली छोटी कंपनी के मालिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर कोल इंडिया अपने उत्पादन का 8% सेकेंडरी स्टील इंडस्ट्री को दे भी देती है, तो भी हमारी 80% तक कोयले की जरूरत पूरी हो जाएगी। बाकी के लिए, हम आयातित कोयले का उपयोग कर सकते हैं।

एक अन्य स्टील निर्माता ने कहा कि स्क्रैप की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण मार्जिन पर दबाव है। अभी, बाजार बहुत अस्थिर है। कीमतें स्थितर नहीं है। हर कोई उलझन में है। हालांकि मार्जिन की कमी के कारण किसी भी स्टील प्लांट को बंद नहीं करना पड़ा है, लेकिन स्थिति ने इस क्षेत्र के विस्तार और विकास को खतरे में डाल दिया है।

स्टील की कीमत कोयले की कीमत से जुड़ी हुई है, जो स्टील निर्माता की इनपुट लागत का आधा हिस्सा है। टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियों ने आयातित कोयले पर भरोसा किया है, जिनकी कीमतें पिछले कुछ महीनों में गिर रही हैं, जिससे उन्हें स्टील की कीमतों में गिरावट के बावजूद लाभप्रद मार्जिन बनाए रखने में मदद मिली है।


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