टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम लिमिटेड में बंद है ठेका मजदूरों का स्थायीकरण, नहीं बढ़ा वेतन
जासं जमशेदपुर टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम लिमिटेड (टीएसडीपीएल) में ठेका मजदूरों को स्थायी करने का सि
जासं, जमशेदपुर : टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम लिमिटेड (टीएसडीपीएल) में ठेका मजदूरों को स्थायी करने का सिलसिला एक दशक से बंद है। पिछले दिनों हजारों ठेका मजदूरों को स्थायी करने के लिए प्रबंधन की ओर से दक्षता परीक्षा आयोजित की गई थी, पर बाद में प्रबंधन ने ही इस पर रोक लगा दी। उधर, ठेका मजदूरों का वेतनमान भी आज तक नहीं बढ़ा है। इससे मजदूरों में आक्रोश तेजी से पनप रहा है।
बताया गया कि कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन से पहले टीएसडीपीएल के बारा, सीआर और डिमेग प्लाट में कार्यरत ठेका मजदूरों की लिखित परीक्षा हुई थी। इससे ठेका मजदूरों में उम्मीद की किरण जगी थी। लेकिन बाद में निराश हाथ लगी। अभी तक उनका वेतन नहीं बढ़ाया गया है। उधर, परीक्षा परिणाम जारी नहीं हो पाने के पीछे प्रबंधन कोरोना संक्रमण का हवाला दे रहा है। इधर, यूनियन नेताओं के पास ठेका मजदूरों ने दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यूनियन इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे। ऐसे में यूनियन ने भी अब प्रबंधन पर दबाव बनना शुरू कर दिया है। यूनियन का कहना है कि समय रहते परीक्षा परिणाम घोषित कर मजदूरों को स्थायी किया जाए और उनका वेतन भी बढ़ाया जाए। यूनियन ने इस संबंध में प्रबंधन से बात भी की है। यूनियन ने ठेका मजदूरों को आश्वस्त किया है कि बहुत जल्द उनके हित में प्रबंधन निर्णय लेगा।
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इस कंपनी में चार श्रेणी के मजदूर करते हैं काम
टीएसडीपीएल प्लाट के तीनों प्लाट में चार श्रेणी के मजदूर कार्यरत हैं। इसमें अकुशल, अर्द्ध कुशल, कुशल व अति कुशल मजदूर शामिल हैं। प्रबंधन ने अर्द्ध कुशल, कुशल व अति कुशल के लिए परीक्षा आयोजित की थी। ट्यूब डिवीजन के डिमेग प्लाट में एक दर्जन मजदूरों की दक्षता परीक्षा ही नहीं हुई थी, उनकी लिखित परीक्षा एक सप्ताह पूर्व ही संपन्न हुई है। काम, योग्यता और वरीयता क्रमानुसार मजदूरों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। प्रबंधन व यूनियन के बीच हुए समझौते में यहा के ठेका मजदूरों के वेतन पुनरीक्षण पर भी सहमति बनी है।
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टीएसडीपीएल में ठेका मजदूरों की होती है स्थायी नौकरी
टीएसडीपीएल में ठेका मजदूरों की स्थायी तौर पर नौकरी होती है। वर्षो काम करने वाले मजदूरों की लिखित व मौखिक परीक्षा के आधार पर यहा दो सौ से ज्यादा ठेका मजदूर अबतक स्थायी हो चुके हैं। इधर कुछ वर्षो से स्थायी करने का सिलसिला बंद है। यूनियन प्रयासरत है कि शीघ्र ठेका मजदूरों को स्थायी करने की प्रक्रिया शुरू हो जाए।