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जगुआर लैंडरोवर की धीमी रफ्तार दे रही टाटा मोटर्स को टेंशन, इस कारण बिक्री पर लगी ब्रेक

जगुआर लैंडरोवर की धीमी रफ्तार के कारण टाटा मोटर्स आजकल टेंशन में है। सेमी कंडक्टर चिप्स की कमी के कारण बिक्री पर ब्रेक लग गई है। उधर विश्व की कई प्रतिद्वंद्वी कंपनियां टाटा मोटर्स को खुली चुनौती दे रही है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 06:30 PM (IST)
जगुआर लैंडरोवर की धीमी रफ्तार दे रही टाटा मोटर्स को टेंशन, इस कारण बिक्री पर लगी ब्रेक
जगुआर लैंडरोवर की धीमी रफ्तार दे रही टाटा मोटर्स को टेंशन

जमशेदपुर, जासं। ब्रिटिश कार निर्माता डेमलर इस साल चार नए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के साथ समाप्त होगी। स्वीडन स्थित वोल्वो ने 2025 तक हर साल एक नया मॉडल लांच करने की तैयारी में है। जर्मन कार निर्माता ऑडी 2025 तक हर तीन में एक इलेक्ट्रिक कार बेचने के लिए आश्वस्त है। इनके मुकाबले जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) बहुत पीछे है।

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 प्रतिद्वंद्वियों से काफी पीछे चल रही टाटा मोटर्स

जेएलआर के पास फिलहाल एक इलेक्ट्रिक कार जगुआर आई-पेस है। कंपनी 2024 में अपना पहला नया पावर व्हीकल लांच करने की योजना ही बना रही है। तब तक इसके प्रतिद्वंद्वी बीएमडब्ल्यू, डेमलर और वोल्वो 12 और 4-4 नए इलेक्ट्रिक वाहन ला चुके होंगे। बस यही चिंता टाटा मोटर्स को सता रही है।

नई पावर व्हीकल प्लग-इन इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों दोनों के एक वर्ग से जुड़ा है। जेएलआर की मूल कंपनी मुंबई स्थित टाटा मोटर्स के पास वर्तमान में बाजार में दो ईवी मॉडल हैं, टिगोर और नेक्सॉन। 

ऐसा नहीं है कि कंपनी इसे नहीं पहचानती। इस साल फरवरी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी थिएरे बोल्लोर ने जेएलआर के इलेक्ट्रिक व्हीकल के दौर में तेजी लाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। सिर्फ ईवी ही नहीं, जेएलआर भी हाइड्रोजन ईंधन सेल संचालित कारों को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश करने की योजना बना रहा है, लेकिन इसका प्रारंभिक परीक्षण 2022 में यूके में शुरू होने की उम्मीद है।

सेमी-कंडक्टर चिप्स ने लगाई ब्रेक

इन सबके बावजूद सेमीकंडक्टर चिप्स में वैश्विक कमी ने इस पर ब्रेक लगा दिया है। इस साल की शुरुआत में ब्रिटिश ऑटो दिग्गज, जेएलआर ने चिप की कमी पर एक चेतावनी जारी की है कि इसकी वजह से सितंबर के उत्पादन में 50 प्रतिशत की गिरावट आएगी। लक्जरी कार निर्माता वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि चिप की कमी जेएलआर के लिए कोई नई नहीं है। इसके कई यूरोपीय साथियों ने टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली ब्रिटिश कार निर्माता की तुलना में अधिक प्रगति की है, जो 120 अरब डॉलर के भारतीय समूह टाटा समूह का हिस्सा है।

चीन में नगण्य उपस्थिति भी चिंताजनक

जेएलआर की चीन में नगण्य उपस्थिति है, जो टाटा मोटर्स के लिए चिंता का दूसरा कारण है। यह इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में सबसे बड़ा बाजार है। वहीं इसके प्रतिद्वंद्वी वोल्वो और बीएमडब्ल्यू की 2020 में नई ऊर्जा वाहनों के मामले में लगभग 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। लैंडरोवर के पूर्व मुख्य अभियंता डा. चार्ल्स टेनेंट ने कहा कि जगुआर लैंडरोवर ने अपने बड़े स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) को चलाने के लिए डीजल ईंधन पर बहुत अधिक दांव लगाया, जिनका वजन अधिक होता है और इसलिए उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस हद तक कि हाल ही में उनके 90 प्रतिशत वाहन डीजल पर चलते थे।


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