टाटा एथलेटिक्स अकादमी की असमय ही हो गई मौत
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : बड़े अरमानों से टाटा स्टील ने 30 मई 2004 को जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : बड़े अरमानों से टाटा स्टील ने 30 मई 2004 को जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में टाटा एथलेटिक्स अकादमी का उद्घाटन किया था। उद्घाटन के लिए टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक वी मुत्थुरमण ने फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को बुलाया था। बड़े धूमधाम से अकादमी का उद्घाटन भी हुआ, लेकिन दुर्भाग्य से लबरेज समय का पहिया ऐसा घूमा कि अकादमी ही काल के गाल में समा गया। टाटा तीरंदाजी अकादमी व टाटा फुटबॉल अकादमी के साथ-साथ नवल टाटा हॉकी अकादमी पर तो प्रबंधन की नजरें इनायत है, लेकिन टाटा एथलेटिक्स अकादमी के साथ हुए सौतेलेपन ने ट्रैक के धावकों के सपनों पर कुठाराघात कर दिया।
उद्घाटन के समय टाटा एथलेटिक्स अकादमी के तत्कालीन चेयरमैन अरुण नारायण सिंह ने वादा किया था कि इसे मध्यम व लंबी दूरी के धावकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। शुरुआत में 30 एथलीटों की जगह सिर्फ 12 एथलीटों को ही अकादमी में शामिल किया गया था। उस वक्त एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया टाटा एथलेटिक्स अकादमी को तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रही थी। वी मुत्थुरमण ने उद्घाटन सत्र के दौरान कहा था कि एकेडमी का खुलना सपना सच होने के समान है।
दिए अंतरराष्ट्रीय धावक: अंतरराष्ट्रीय धावक सिनीमोल पौलुस टाटा एथलेटिक्स अकादमी की देन है। सिनीमोल ने बाद में बीजिंग ओलंपिक में भी भाग लिया। सतनाम सिंह अकादमी के जबतक कोच थे, खिलाड़ियों पर मेहनत की। लेकिन पहला बैच निकलते ही यह अकादमी गुमनामी की खाई में खो गया। प्रशिक्षुओं के लिए अलग से हॉस्टल खोलने का वादा किया गया था।
अब ना तो एकेडमी है और ना ही प्रशिक्षक। बस यूं समझिए, इतिहास में सिमट कर रह गया देश को धुरंधर एथलीट देने का सपना। जमशेदपुर एफसी आने के बाद से अकादमी को पुनर्जीवित करने की संभावना भी खत्म हो गई। एक करोड़ की लागत से बने ट्रैक का बुरा हाल हो गया, वहीं स्टेडियम पर जमशेदपुर एफसी का कब्जा हो गया।