Swachh survekshan 2020: जुगसलाई में कभी लगा रहता था कचरे का अंबार, स्वच्छता के मामले में राज्य में पहले स्थान पर पहुंचा Jamshedpur News
कुछ साल पहले तक जुगसलाई क्षेत्र में चारों ओर गंदगी का अंबार नालियां बजबजाती हुई दिखाई देती थीं। लेकिन पिछले दो सालों में बेहतर काम हुआ है।
जमशेदपुर (जासं) । जुगसलाई नगर परिषद ने स्वच्छ भारत प्रतियोगिता 2020 में भाग लेते हुए पूर्वी भारत में 25 से 50 हजार जनसंख्या वाले शहरों में नौवें स्थान पर रही तो झारखंड में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके लिए नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जेपी यादव की कुशल रणनीति, कर्मचारियों के साथ बेहतर संवाद के साथ ही सफाई कर्मियों क्षेत्र की जनता के सुख-दुख में हमेशा खड़े रहने के कारण ही आज जुगसलाई का नाम सुनहरी अक्षरों में अंकित हो गया।
कुछ साल पहले तक जुगसलाई क्षेत्र में चारों ओर गंदगी का अंबार, नालियां बजबजाती हुई दिखाई देती थीं। लेकिन, पिछले दो सालों में बेहतर काम हुआ है। इस संबंध में जुगसलाई के कार्यपालक पदाधिकारी जगदीश प्रसाद यादव कहते हैं कि इसके लिए स्वच्छता विशेषज्ञ सौरव कुमार, सोनी कुमारी, सभी सिटी मैनेजर, कर्मचारी व क्षेत्र की जनता का सराहनीय योगदान है। उन्होंने बताया कि 2019 में हर उस क्षेत्र जहां कमी रह गई थी उसे सुधारा गया।
इस कारण जुगसलाई नप बनी झारखंड में नंबर वन
जुगसलाई नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जेपी यादव कहते हैं कि झारखंड में नंबर वन आने का सबसे बड़ा कारण था, डोर टू डोर सर्विस को जुगसलाई के हर गली तक पहुंचाया गया, लोगो से अपील की गई कि कचरा नगर परिषद के गाड़ी में ही दें। सेमिनार द्वारा लोगो को रीसाइकिल, रीयूज, रिड्यूस तकनीकों से रूबरू कराया गया। लोगो को कचरे के बारे में जागरूक करने के लिए नव वर्ष में कैलेंडर बटवाया गया जिसमें की कचरे पृथककरण के बारे बताया गया। बाजार समिति, रेजिडेंशियल सोसाइटी के सदस्यों और सेप्टिक टैंक ऑपरेटर को कचरे निपटारे की सही तरीकों की जानकारी दी गई।
स्वच्छता जागरूकता अभियान को लेकर गली मोहल्लों तक जन जागरूकता अभियान चलाया गया। वर्षों पुराने डस्टबिन को हटा कर सेल्फी प्वाइंट बनाया गया, दीवारों पर पेंङ्क्षटग कराई गई। स्कूलों, होटलों, अपार्टमेंट में स्वच्छता प्रतियोगिता कराकर विजेताओं को पुरस्कार दिया गया। समय-समय पर अच्छे कार्य का प्रदर्शन करने वाले सफाईकर्मियों को भी पुरस्कृत किया गया। महिलाओं द्वारा उपयोग किए गए चाय पत्ती से जैविक खाद का निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। वर्षों से निर्जन पड़े स्टेशन के आसपास के जगहों की सफाई कर पौधारोपण कर लाइट लगाई गई, जो सफलता का सबसे बड़ा कारण रहा।