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    Jharkhand Foundation Day: सूर्य सिंह बेसरा बता रहे झारखंड के 20 वर्षों का इतिहास

    By Vikram GiriEdited By:
    Updated: Sun, 15 Nov 2020 08:37 AM (IST)

    झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अगुवा आजसू के संस्थापक व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना के 20 साल पूरे हो गए लेकिन इस राज् ...और पढ़ें

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    सूर्य सिंह बेसरा बता रहे झारखंड के 20 वर्षों का इतिहास । जागरण

    जमशेदपुर (जासं) । झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अगुवा, आजसू के संस्थापक व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना के 20 साल पूरे हो गए, लेकिन इस राज्य की तस्वीर नहीं बदली। इस कालखंड में वर्ष 2000 से 2019 तक झारखंड में पांच बार विधानसभा के चुनाव हुए। खंडित जनादेश के कारण 11 बार सरकार बनी। तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।

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    बेसरा ने इसका विश्लेषण करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जो भूमिका आजाद हिंद फौज की रही है, वही भूमिका पांच दशक पुराने झारखंड आंदोलन में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ( आजसू) की है। आजसू के 72 घंटे के झारखंड बंद से झारखंड की राजनीतिक दशा और दिशा ही बदल गई। इसके  परिणामस्वरूप 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में झारखंड आंदोलन के इतिहास में पहली बार केंद्र सरकार के साथ आजसू की दिल्ली में झारखंड वार्ता हुई थी।

    इसके बाद कांग्रेस सरकार की पहल पर झारखंड विषयक समिति गठित हुई थी। यहीं से झारखंड राज्य निर्माण की दिशा का कार्य प्रशस्त हुआ। यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है। परंतु यह भी सच है कि केंद्र की सत्ता पर आसीन कांग्रेस सरकार ने 1993 में झारखंड राज्य के बदले  परिषद दिया। आखिरकार वर्ष 2000 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक-2000 को लोकसभा और राज्यसभा  से पारित किया। इस प्रकार " उलगुलान के जनक भगवान बिरसा मुंडा" की जयंती के अवसर पर यानी 15 नवंबर 2000 को झारखंड भारत का 28वां राज्य बना। इसके साथ ही उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ राज्य का भी गठन हुआ।

    इन 20 वर्षों में छत्तीसगढ और उत्तराखंड उत्तरोत्तर बेहतर होते गए और झारखंड बद से बदतर होता गया। धनी झारखंड गरीब होता गया। वर्ष 2000 में झारखंड राज्य का पहला बजट सरप्लस था, जबकि इसके बाद का बजट घाटे का रहा। वर्तमान सरकार में तो खजाना ही खाली है । झारखंड राज्य भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है। शौचालय से लेकर सचिवालय तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। मंत्री से लेकर संत्री तक सभी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। मानो झारखंड में सब कुछ बिकाऊ है, टिकाऊ कोई नही। झारखंड वह राज्य है, जहां खोदोगे वहीं खनिज और जहां खोजोगे वहीं भ्रष्टाचार।