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Makar Sankranti 2022 : प्रदोष काल में सूर्य का होगा मकर राशि में प्रवेश, जानिए कब मकर संक्रांति मनाना रहेगा ठीक

Makar Sankranti 2022 इसबार प्रदोष काल में सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित रमा शंकर तिवारी बताते हैं कि शनिवार यानी पंद्रह जनवरी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक स्नान-दान करना पुण्यप्रद रहेगा। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 10:24 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 08:52 AM (IST)
Makar Sankranti 2022 : प्रदोष काल में सूर्य का होगा मकर राशि में प्रवेश, जानिए कब मकर संक्रांति मनाना रहेगा ठीक
विशेष पावन अवसर पर गंगासागर का पुण्यकारी स्नान भी किया जाता है।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। ज्योतिष में सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश के संक्रमण काल को संक्रांति कहते हैं। जब सूर्यदेव धनु से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस संक्रमण काल को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर राशि में प्रवेश के साथ ही सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं तथा शिशिर ऋतु का प्रारंभ एवं खरमास की समाप्ति हो जाती है। लोकाचार की भाषा में इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।

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धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार वह पवित्र समयांतराल जिसमें स्नान दान व ध्यान का पूर्ण व समुचित फल प्राप्त हो पुण्यकाल कहा जाता है। काशी पंचांग से इस बार वृष्चिक गोचरीय परिभ्रमण के अनुसार सूर्य 14 जनवरी शुक्रवार को रात्रि 8.49 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रदोष काल में प्रवेश कर रहे हैं, अत: धर्मशास्त्रीय मतानुसार मकर संक्रांति जन्य विशेष पुण्यकाल अगले दिन 15 जनवरी शनिवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। अत: मकर संक्रांति का पावन व पुण्यकारी पर्व 15 जनवरी शनिवार को ही मनाना शास्त्र सम्मत, पुण्यप्रद व श्रेयस्कर रहेगा।

स्नान-दान का खास है महत्व

मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पवित्र नदियों तथा तीर्थ स्थलों में स्नान दान का विशेष महत्व व महिमा सनातन धर्म शास्त्रों में वर्णित है। इसी विशेष पावन अवसर पर गंगासागर का पुण्यकारी स्नान भी किया जाता है। मकर संक्रांति के पुण्यकाल में काला तिल, तिल निर्मित मिष्ठान्न, गुड़, काला कंबल, गौ एवं वस्त्रादि दान से सुख समृद्धि के साथ आरोग्यता की प्राप्ति होती है। यदि पवित्र नदी या तीर्थ स्थल में स्नान संभव न हो तो किसी भी नदी में स्नान अथवा पवित्र नदियों का ध्यान करके घर में भी जल में तिल डालकर स्नान करना पुण्यप्रद रहेगा। स्नान के समय पवित्र नदियों के ध्यान हेतु मंत्र :- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले असि्मन सनि्नधिं कुरु।। स्नानोपरांत भगवान सूर्यदेव एवं अपने इष्ट देवी देवता व गुरु का ध्यान करने के उपरांत दानादि कार्य करना चाहिए। आज के दिन दही चूड़ा, तिल गुड़ निर्मित मिष्ठान्न तथा खिचड़ी सेवन का भी विशेष महत्व है।


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