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श्वांस में छिपे जीवन के अनजाने रहस्य : ऋषि नित्यप्रज्ञा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आर्ट ऑफ लिविंग के ऋषि नित्यप्रज्ञा ने कहा कि जन्म लेते ही हम जो

By Edited By: Published: Sat, 16 Jul 2016 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jul 2016 03:01 AM (IST)
श्वांस में छिपे जीवन के अनजाने रहस्य : ऋषि नित्यप्रज्ञा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आर्ट ऑफ लिविंग के ऋषि नित्यप्रज्ञा ने कहा कि जन्म लेते ही हम जो पहला काम करते हैं वो है सांस लेना। सांस में जीवन के अनजाने रहस्य छिपे हैं। सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शात व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर और एक गहरे विश्राम में लाती है। सुदर्शन क्रिया जीवन को एक विशिष्ट गहराई प्रदान करती है। इसके रहस्यों को उजागर करती है। यह एक आध्यात्मिक खोज है जो हमें अनंत की एक झलक देती है। सुदर्शन क्रिया स्वास्थ्य, प्रसन्नता, शाति और जीवन से परे के ज्ञान का अनजाना रहस्य है।

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ऋषि नित्यप्रज्ञा आर्ट ऑफ लिविंग जमशेदपुर और फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को टाटा ऑडिटोरियम एक्सएलआरआइ में आयोजित सुमेरु संध्या में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रति दिन उत्तम स्वास्थ्य की श्वांस लें। जीवनी ऊर्जा, प्राण का स्त्रोत श्वांस है। प्राण शरीर व मन दोनों के स्वास्थ्य और सुख का आधार है। जब प्राण उच्च होता है, व्यक्ति स्वस्थ व सजग अनुभव करता है। सुदर्शन क्रिया शरीर के विषाक्त पदार्थ और तनावों को दूर कर प्रतिदिन प्राण को उच्च करती है।

सुमेरु संध्या कार्यक्रम गान, ध्यान और ज्ञान का समुच्चय था। इसमें ऋषि नित्यप्रज्ञा ने भजन 'जय-जय शिव शंभु..', 'भोले की जय-जय, शिवजी की जय-जय..', 'कृष्ण कन्हैया वंशी बजाए..' और सूफी गीत 'नैहरवा हमको न भाए रे..' के साथ श्रोताओं की आंखें बंद कराके गीत की गहराइयों में ले जाकर ध्यान मग्न करा दिया। उन्होंने छोटी-छोटी बातों में छिपे गूढ़ ज्ञान को तर्क, तथ्य व प्रमाण के साथ समझाया। कार्यक्रम के बीच-बीच में गीत, प्रवचन और ध्यान का क्रम चलता रहा। ऋषि नित्यप्रज्ञा ने कहा कि प्रकृति का एक हिस्सा होने के नाते हम सब में भी एक लय निहित है। शरीर, मन, भावनाओं की जैविक लय। जब तनाव या रोग इस जैविक लय के क्रम को तोड़ते हैं तो हम परेशानी, असंतुष्टि, दुख व अप्रसन्नता महसूस करते हैं। सुदर्शन क्रिया शरीर व भावनाओं की लयों में सामंजस्य बनाती है और प्रकृति की लयों के साथ पुन: लयबद्ध कराती है। लयबद्ध होकर हम अच्छा अनुभव करते हैं और सभी संबंधों में प्रेम का प्रवाह स्वत: होने लगता है। इसके पूर्व योग प्रशिक्षक बेबी सिंह ने लोगों को भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास कराया। कार्यक्रम का संचालन नवीन चौरसिया ने किया। आयोजन में जीतेंद्र अग्रवाल, सचिन पोद्दार, निशांत कुमार, अर्चना गौतम, कौशिक डे, जान्हवी, छाया कुमारी व मोक्षिता आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।


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