Ayushman bharat yojana : जिंदगी की जंग जीत गई सुकुमारो, हंसेगी और बोलेगी भी
आयुष्मान भारत योजना के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। सुकुमारो कुई के पास इलाज के लिए पैसा नहीं था। आयुष्मान योजना से जान बच सकी।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। घर में पैसे नहीं थे। मुंह का कैंसर गले तक पहुंच गया था। हंस सकती थी, ना ही बोल सकती थी। धीरे-धीरे जिंदगी मौत के आगोश में जा रही थी। शुक्र मनाइए कि आयुष्मान योजना ने मेरी जिंदगी बचा ली। अब मैं बोल सकती हूं, हंस भी सकती हूं। अपना घर संभाल सकती हूं। अब मुझे नई जिंदगी मिल चुकी है। यह कहना है 55 वर्षीय सुकुमारो कुई का।
पश्चिम सिंहभूम के चक्रधरपुर निवासी सुकुमारो कुई बीते एक साल से कुछ नहीं बोल पाती थीं। हंसना तो दूर की बात थी। सिर्फ सबकी सुनती। कुछ कहना होता तो इशारा करती। कैंसर ने उसे जकड़ लिया था। कैंसर अपने अंतिम पड़ाव यानी चौथे स्टेज पर था। उम्र अधिक और शारीरिक स्थिति को देखते हुए तत्काल ऑपरेशन करना जोखिम भरा था। पहले तीन माह तक दवा खिलाई गई। फिर आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त में ऑपरेशन हुआ। अब सुकुमारो स्वस्थ हो गई हैं। वह ऑपरेशन करनेवाले डॉक्टरों को आशीर्वाद देती हैं।
सौ रुपये कमाने वाला डेढ़ लाख कहां से लाएगा
सुकुमारो कुई 'हो' भाषा में कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रिया, जिन्होंने जान बचाने वाली योजना की शुरूआत की और उनकी जान बच सकी। वह कहती हैं कि मुंह में घाव हुआ तो गंभीरता से नहीं लिया। कारण, पैसा भी नहीं थे और समय भी नहीं था। मजदूरी करती हैं। जब दर्द बढ़ा तो एक डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने दवाएं दी, लेकिन घाव बढ़ते ही गया। फिर, जमशेदपुर में एक डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने जांच की और कैंसर की पुष्टि की। इलाज के लिए तत्काल डेढ़ लाख रुपये की जरूर थी, लेकिन सारे पैसे जांच में ही खर्च हो गए थे। सुकुमारो कहती हैं- रोज सौ रुपये कमाने वाली डेढ़ लाख रुपये कहां से लाती। सो एक साल से घर में ही पड़ी हुई थी। तभी सहिया दीदी पीएम पत्र लेकर आईं। योजना की जानकारी दी। उसी सहिया की मदद से जमशेदपुर पहुंची और ब्रह्मानंद अस्पताल में इलाज हुआ।
तंबाकू की वजह से महिलाओं में बढ़ रहा मुंह का कैंसर
कैंसर रोग सर्जन डॉ. आशीष कुमार कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में मुंह का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण तंबाकू सेवन और जागरूकता का अभाव है। सुकुमारो कुई भी तंबाकू सेवन करती थी। सुकुमारो की सर्जरी तीन घंटे तक चली। टीम में डॉ. आशीष कुमार (कैंसर सर्जन), डॉ. विजय कुमार (एनेस्थेसिया व उनकी टीम) व डॉ. परवेज आलम (कार्डियक सर्जन) शामिल थे।