Move to Jagran APP

कभी 110 रुपये में बेची थी साइकिल, अब 16 हजार से शुरू होती कीमत

कभी 110 रुपये में साइकिल बेची थी। आज 16 हजार से साइकिल की कीमत शुरू होती है। यह कहानी है है एक साइकिल दुकान की।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 02:16 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 02:16 PM (IST)
कभी 110 रुपये में बेची थी साइकिल, अब 16 हजार से शुरू होती कीमत
कभी 110 रुपये में बेची थी साइकिल, अब 16 हजार से शुरू होती कीमत

जमशेदपुर [ निर्मल प्रसाद]। कभी 110 रुपये में साइकिल बेची थी। आज 16 हजार से साइकिल की कीमत शुरू होती है। यह कहानी है है एक साइकिल दुकान की। आजादी के बाद जब भारत व पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब रिफ्यूजी रौशन लाल सचदेव अपने परिवार के साथ जमशेदपुर पहुंचे। यहां उन्होंने साइकिल का कारोबार शुरू किया। शहर के बिष्टुपुर मुख्य सड़क पर सचदेवा साइकिल मार्ट के रूप में यह दुकान अपनी कहानी खुद बयां कर रही है। 

loksabha election banner

76 वर्षीय मनमोहन सचदेव बताते हैं कि उनके पिता ने ही बहुत कम पूंजी से इस दुकान की शुरुआत की थी। क्योंकि उनकी जमीन, मकान और पूरी संपत्ति पाकिस्तान में छूट गई थी। यहां रौशन लाल सचदेव के चाचा सुंदर दास रहते थे। उन्हीं के नाम पर सुंदरनगर भी बसा है। बंटवारे के बाद सभी उनके यहां आए। यहीं काम करते-करते साइकिल का कारोबार शुरू किया।

एक दुकान से फैल गया कारोबार

आज उस एक कारोबार से उनके परिवार के सदस्यों का ही सचदेवा सेल्स, सचदेवा इलेक्ट्रॉनिक्स, सचदेवा ऑटो पार्टस शहर में फलफूल रहा है। बदलते परिवेश में आज सचदेवा साइकिल मार्ट भी आधुनिक रूप ले चुका है। यहां साइकिल के लिए ट्रेंड मिल सहित बच्चों के लिए सभी तरह के खिलौने, बैटरी चलित कार सहित मी एंड मॉम का फ्रेंचाइजी भी है। जिसे मनमोहन सचदेवा के तीन बेटे नीरज, नवीन व नितीन संभाल रहे हैं।

केवल दो साइकिल से शुरू हुआ था रोजगार

मनमोहन सचदेव बताते हैं कि मात्र दो साइकिल से उनके पिता ने कारोबार शुरू किया था। तब किसी के पास साइकिल नहीं होती थी। लोग दूर-दूर से सिर्फ साइकिल देखने के लिए यहां आते थे। धीरे-धीरे कारोबार बढ़ा और वे जाजपुर, बदाम पहाड़, क्योंझर, करंजिया, बारीपदा, भद्रक सहित आसपास के क्षेत्रों में थोक में साइकिल बेचने लगे। हालत ये थी कि लोग साइकिल खरीदने उनके यहां आते। रात भर रुकते और सुबह साइकिल लेकर जाते थे। तब हीरो, एटलस, एवन, रैले, हरकूल्स की साइकिलें मात्र 110 रुपये में मिलती थीं। आज यहां बच्चों के लिए  आधुनिक व गियर वाली साइकिल चाहिए तो इसकी कीमत 16 हजार रुपये से शुरू होती है।

थोड़े पैसे अदाकर उधार में बिकती थी साइकिल

पहले लोगों की आमदनी बहुत कम थी। थोड़े पैसे देकर बाकी पैसा उधार की साइकिल खरीदने दूर-दूर से आते थे। पर जब पैसों की वसूली में दिक्कत होने लगी, लोगों ने बकाया देना बंद कर दिया तो मैंने थोक साइकिल कारोबार बंद कर दिया। अब रिटेल में ही बेच रहे हैं।

- मनमोहन सचदेव, दुकानदार

 ये भी पढ़ें: इस पूजा से भरा रहता है अन्न भंडार, जानिए झारखंड की अनोखी पूजा के बारे में


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.