Move to Jagran APP

Pravasi LIVE : माथे पर तनाव की लकीरें, आंंखों में मायूसी के आंंसू

सड़कों का लंबा होने का गरूर टूट रहा है। तोड़ने वाले मजदूर हैं। और मजबूर। हजारों-हजार किलोमीटर की यात्रा पर निकले ज्यादातर रास्ते में जो कुछ मिल रहा है उसे खा-पी रहे हैं।

By Edited By: Published: Sun, 17 May 2020 06:24 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 10:17 AM (IST)
Pravasi LIVE : माथे पर तनाव की लकीरें, आंंखों में मायूसी के आंंसू
Pravasi LIVE : माथे पर तनाव की लकीरें, आंंखों में मायूसी के आंंसू

जमशेदपुर,जासं।  Pravasi LIVE News  माथे पर तनाव की लकीरें, आंंखों में मायूसी के आंंसू और कान पर सटे फोन पर दूसरी तरफ से किसी अनहोनी की आशंंका। सड़कों का लंबा होने का गरूर टूट रहा है। तोड़ने वाले मजदूर हैं। और मजबूर। हजारों-हजार किलोमीटर की यात्रा पर निकले ज्यादातर रास्ते में जो कुछ मिल रहा है उसे खा-पी रहे हैं।

loksabha election banner

सैकड़ों किलोमीटर का सफर भूखे-प्यासे पूरा कर रहे हैं। पेट कहां भरेगा या प्यास कहां बुझेगी? यह भी पता नहीं। पैरों में छाले पड़ जा रहे हैं। कुछ मजदूरों के बच्चे तो रास्ते में बिलबिला जा रहे हैं। एक-एक कदम आगे बढ़ना 'पहाड़ पर चढ़ना' जैसा है, फिर भी डग भरते जा रहे हैं। उनकी आंखों के सामने सिर्फ और सिर्फ मंजिल है। कोरोना ने रोजी-रोटी को छीना है, अब अपनी गांव की मिट्टी से बढ़कर कुछ नहीं नजर आ रहा है। शहर में ऐसे ही सफर पर निकले कुछ मजदूरों से शनिवार को मुलाकात हुई और बात भी। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट..।

अब तो लगता है कि 'मां-माटी-मानुष' से मुलाकात हो जाएगी

लॉकडाउन ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया। साहब! मत पूछिए। चेन्नई से आ रहे हैं। चेन्नई से पैदल। सौ-दो सौ किलोमीटर ट्रक वाले पहुंचा दिए। रास्ते में क्या-क्या हुआ, यह सब बताने की हिम्मत नहीं है। बहरागोड़ा जाना है। अब तो लगता है कि 'मां-माटी-मानुष' से मुलाकात हो जाएगी। अगर घर पर कुछ हुआ तो मलाल नहीं रह जाएगा। ये अल्फाज शहर में एक जगह छोटा ट्रक पर सवार हो रहे तीन मजदूरों के हैं। आंध्र प्रदेश के कुन्नुर से बिहार के खगड़िया जा रहे 37 मजदूरों स्थिति ही सबकुछ बयां कर रही थी। एक मजदूर की चप्पलें टूट गई थीं। उसे चला नहीं जा रहा था। शुक्रवार को शहर के मानगो चौक से आगे बढ़ते हुए उसकी नजरें चप्पल-जूते की दुकानें तलाश रहीं थीं। इसी बीच वह एक स्थान पर बैठ गया। जानने पर एक व्यक्ति घर से जूता लाकर दिया। फिर क्या था, मजदूर उसका पैर पकड़ लिया। उसकी बेबसी को देख लोगों के चेहरे उतर गए।

चैन तो घर जाने के बाद ही मिलेगा

बंगाल के झारग्राम से बिहार के समस्तीपुर जा रहे कुछ मजदूरों ने एक वाहन पर साइकिल सहित सवार होने से पहले आपबीती सुनाई। कहा, चैन तो घर जाने के बाद ही मिलेगा। इसी तरह पटना से खड़गपुर साइकिल से जा रहे मार्बल मजदूरों ने कहा, कोरोना ने सबकुछ चौपट कर दिया है। मुंबई में काम करने वाले 70 मजदूरों को ठेकेदार ने छत्तीसगढ़ जा रहे एक ट्रक में भरकर 12 मई को भेज दिया। उन्हें पश्चिम बंगाल के मालदा जाना था। इसके एवज में प्रति मजदूर पांच-पांच सौ रुपये लिए गए। जब ट्रक पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा पहुंचा तो चालक आगे जाने से इन्कार कर दिया। उसने कहा, मुझे और किराया चाहिए। उधर, मजदूरों की स्थिति खराब हो गई है। उनकी हालत के संदर्भ में शनिवार को जब आस-पास के लोगों को जानकारी हुई तो वे मौके पहुंचे और मनुहार किए। इसके बाद ट्रक शनिवार को आगे बढ़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.