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Coronavirus Lockdown Positive Effect : लॉकडाउन से यूं बदल रही दुनिया, टेल्‍को से दिख रहा दलमा पहाड़ Jamshedpur News

कोरोना के लॉकडाउन ने लौहनगरी के वातावरण को इतना स्वच्छ बना दिया है कि ना केवल चारों ओर हरियाली दिख रही है बल्कि वायुमंडल साफ रहने से लोग दूर तक प्रकृति की छटा देख पा रहे हैं।

By Edited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 08:52 AM (IST)
Coronavirus Lockdown Positive Effect : लॉकडाउन से यूं बदल रही दुनिया, टेल्‍को से दिख रहा दलमा पहाड़ Jamshedpur News
Coronavirus Lockdown Positive Effect : लॉकडाउन से यूं बदल रही दुनिया, टेल्‍को से दिख रहा दलमा पहाड़ Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं।  कोरोना जैसी महामारी के आने और उसकी वजह से लगे लॉकडाउन से शुरू में लगभग सभी लोग डर गए थे। ऐसा लगा कि यह महामारी सबको लील जाएगी। धरती पर कुछ नहीं बचेगा। हालांकि अभी तक इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन इसकी वजह से अनगिनत फायदे भी हुए हैं।

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संयुक्त परिवार की परिकल्पना तो साकार हुई ही, पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है। समाज में एक-दूसरे का सहयोग करने की प्रवृत्ति भी इस लॉकडाउन की वजह से बढ़ी है। गरीबों-जरूरतमंदों को भोजन कराने से लेकर उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्षम लोग आ रहे हैं। इस लॉकडाउन ने लोगों को यह सिखा दिया है कि पूजा-पाठ के लिए धाíमक स्थलों पर जाना अनिवार्य नहीं है। घर पर रहकर ही लोगों ने नवरात्र से लेकर रामनवमी व छठ तक मनाया। इससे भी बड़ी बात यह है कि अब लोगों का पैसा भी खूब बच रहा है।

टेल्को से दिखने लगा दलमा पहाड़

कोरोना के लॉकडाउन ने लौहनगरी के वातावरण को इतना स्वच्छ बना दिया है कि ना केवल चारों ओर हरियाली दिख रही है, बल्कि वायुमंडल साफ रहने से लोग दूर तक प्रकृति की छटा देख पा रहे हैं। पिछले करीब 20 वर्ष से शहर का वातावरण इतना प्रदूषित हो चला था कि हम चार-पांच किलोमीटर दूर की चीजों को धुंधला ही देख पाते थे। कई चीजें दिखाई भी देती थीं, तो अलग रूप-रंग में। लॉकडाउन के दौरान धूल-धुएं उगलने वाली कंपनियों के बंद होने से वायुमंडल इतना स्वच्छ हो गया है कि अब टेल्को से भी दलमा पहाड़ दिख रहा है। यकीन ना हो तो आप भुवनेश्वरी मंदिर चले जाएं। वहां से आपको दलमा पहाड़ की नैसर्गिक छटा देखने को मिल जाएगी। ऐसा पहले बिल्कुल संभव नहीं था। कंपनियों और वाहनों के बंद होने से यह संभव हुआ है। यदि लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो आज की पीढ़ी ताउम्र प्रकृति की इस खूबसूरती से वंचित रह जाती।

प्रदूषण मुक्त हुआ टेल्को, गोविंदपुर व बारीगोड़ा का इलाका

टेल्को से लेकर गोविंदपुर, बारीगोड़ा के निवासी राहत की सांस ले रहे हैं। कारण, टाटा पावर व न्यूवोको विस्टास (सीमेट प्लांट) का बंद होना। गोविंदपुर के भोला बागान, तीनतल्ला, बारीगोड़ा, गदरा से लेकर सोपोडेरा तक के लोग हर रोज इन कंपनियों से उगलने वाले धूल व धुएं को फांक रहे थे। हालत यह थी कि छत से लेकर किचन तक में धूल की एक परत जम जाती थी। लॉकडाउन होने से इस इलाके की गृहिणियां राहत की सांस ले रही है। कारण उन्हें अब ज्यादा सफाई नहीं करना पड़ रहा है। सीमेंट प्लांट सहित इंडक्शन व छोटी कंपनियों के ब्लास्ट फर्नेस बंद हो गए हैं। इसका असर यह हुआ कि आसमान साफ हो गया। प्रकृति की नैर्सिगक छटा देखते ही बन रही है। गम्हरिया के बीको मोड़ से टाटा स्टील की चिमनी साफ दिख रही है।

मध्यम वर्ग का खूब बच रहा पैसा

कोरोना को लेकर लॉकडाउन लागू होने से उन लोगों का पैसा खूब बच रहा है, जो रोज रेस्टोरेंट, ढाबे या ठेले पर खाने निकलते थे। सिनेमा देखने और शॉ¨पग करने की लत सी लग गई थी और उसमें बेवजह पैसे खर्च करते थे। अब मध्यम वर्ग का पैसा इडली दोसा से लेकर गोलगप्पे तक में बच रहा है, जिसे खाए बिना उनका दिन नहीं गुजरता था। ऐसा नहीं है कि अब उन्होंने इन चीजों को खाना छोड़ दिया है, बल्कि अब वे ये सभी व्यंजन घर पर ही बना रहे हैं। यूट्यूब में रेसिपी देखकर केक से लेकर आइसक्रीम तक घर में बन रहा है, जिसके लिए लोग प्रतिमाह सैकड़ों रुपये पानी की तरह बहा देते थे। मध्यम वर्ग का पैसा पेट्रोल के मद में भी बच रहा है, जो पहले ड्यूटी के अलावा घूमने-फिरने में खर्च होता था। कई लोग गर्मी की छुट्टियों में बाहर घूमने जाने वाले थे, उनका पैसा भी बच गया। रोजाना कम से कम 10 हजार लीटर पेट्रोल गंवाने वाला जमशेदपुर अब मात्र 1000 लीटर पेट्रोल का खर्च कर रहा है। आपाधापा की इस जिंंदगी में वाहनों में घूमना बंद होने के कारण पेट्रोल की बचत हो रही है। इसके अलावा कई हजार लीटर डीजल की भी बचत हो रही है। कच्चा तेल की दाम आधे से कम हो गई है।

बदला-बदला दिख रहा मानगो पुल जमशेदपुर

मानगो जय प्रकाश नारायण सेतु अब बदला-बदला दिख रहा है। रोजाना जाम की स्थिति से झेलने वाला यह पुल अब खाली-खाली रह रहा है। बाइक व चार पहिए वाहन की आवाज की जगह चिडियों की आवाज आ रही है। लोग इस छोर से उस छोर तक साफ देख पा रहे हैं।

बच्चों को ध्रुवतारा दिखाने लगे

प्रदूषण के कारण तारे तक दिखने बंद हो गए थे। अब कोराना महामारी के कारण सारा प्रदूषण पूरी तरह कम हो गया है। यदि आप गोधूलि बेला में आसमान की ओर देखेंगे तो चांद भी दिख जाएगा, जो हाल के वर्षों में दुर्लभ हो गया था। नई पीढ़ी के बच्चे तो यकीन भी नहीं करते थे कि दिन में कभी चांद दिखता था। रात में आप आसमान पर ध्रुवतारा और सप्तऋर्षि मंडल भी देख सकते हैं। यकीन नहीं हो रहा हो तो आजमाकर देख लें।

हैंडवाश पर दिया जाने लगा जोर

सैनिटाइजर मेडिकल दुकानों का एक बेरोजगार सामान था, धन्य हो इस महामारी का, जिसने सैनिटाइजर को आइएएस ऑफिसर का रुतबा दिला दिया। अब लोगों को हैंडवाश की याद आने लगी है। जो महज दिन में एक-दो बार हाथ धोते थे अब वे सात-आठ बार धो रहे हैं। यह महामारी लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहा है।


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