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रंगीन मछली पालन कर गांव की महिलाएं आर्थिक रूप से बनेगी स्वाबलंबी

अब रंग-बिरंगी मछलियों के शौकीनों को शहर में ही सस्ते दर पर उनके पसंद की मछलिया मिलने लगेगी।

By Edited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 11:48 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 01:12 PM (IST)
रंगीन मछली पालन कर गांव की महिलाएं आर्थिक रूप से बनेगी स्वाबलंबी
रंगीन मछली पालन कर गांव की महिलाएं आर्थिक रूप से बनेगी स्वाबलंबी

दिलीप कुमार, जमशेदपुर। गांव की महिलाएं अब रंगीन मछली का पालन कर आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनेगी। जिला के लगभग एक सौ महिलाएं इन दिनों रंगीन मछली का पालन कर रही हैं। जिला मत्स्य विभाग इन महिलाओं को रंगीन मछली का जीरा और फीड उपलब्ध कराया है। वर्तमान में जमशेदपुर प्रखंड के अलावे पोटका और पटमदा प्रखंड की महिला समिति व सखी मंडल के सदस्य रंगीन मछली का पालन कर रही है। शहर में ही रंगीन मछलियों का उत्पादन शुरू होना रंग-बिरंगी मछली पालने के लिए अच्छी खबर है। अब रंग-बिरंगी मछलियों के शौकीनों को शहर में ही सस्ते दर पर उनके पसंद की मछलिया मिलने लगेगी।

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2016 में मिला था महिलाओं को प्रशिक्षण
रंगीन मछली पाल रही महिलाओं को वर्ष 2016 में मत्स्य विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण शिविर का आयोजन जिला मत्स्य कार्यालय परिसर में किया गया था। इस दौरान उन्हें मछली पालन के अलावे उनके उपचार करने के तरीके और हेंचिंग-ब्रिडिंग की जानकारी दी गई थी। मछली पालन से संबंधित हर बारीकी की जानकारी दिए जाने के बाद विभाग की ओर से इस वर्ष फरवरी माह में महिला समिति व सखी मंडलों के सदस्यों को मछली पालन के लिए ड्रम, हीटर, फिल्टर, मोटर, पाईप, साईक्लिनिंग पाईप, नेट, पेपर स्टीक, दवा के साथ रंगीन मछली दिया गया।

मत्स्य पालन से जुड़ने लगी महिलाएं
मत्स्य विभाग की ओर से महिलाओं को दिए जाने वाले सुविधाओं और संसाधनों के बाद इस व्यवसाय से महिलाएं जुड़ने लगी। विभाग द्वारा शुरू किए गए रंगीन मछली पालन की योजना से एक ओर जहां महिलाएं जुड़कर आर्थिक आजादी की ओर कदम बढ़ाने लगी वहीं बहुत जल्द इसका फायदा शहरवासियों को भी मिलने लगेगा। मत्स्य विभाग की इस योजना से लोगों का सस्ते दर पर मछली पालन का शौक पूरा होगा, वहीं मत्स्य विभाग को राजस्व की प्राप्ति होगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होगा। विभाग की ओर से तेंतला, गितिलता, तुरी, पटमदा, सोनारी के अलावे कुदादा, गैंताडीह, हलुदबनी, परसुडीह, सरजमदा, प्रधान टोला, रोबर्ट नगर, क्रिश्चयन बस्ती आदि समेत अन्य क्षेत्र के महिला समिति व सखी मंडल के सदस्यों को रंगीन मछली का जीरा व इसके पालन से संबंधित सारे उपकरण निश्शुल्क वितरण किया है। सभी महिलाएं श्रीकृष्ण आजीविका सखी मंडल, मां सरस्वती महिला समिति, एक्टिव महिला समिति, मां शीतला आजीविका सखी मंडल, जियाड़ जुमिद महिला समिति, सरना महिला समिति, गेंदा महिला सहायता समूह समेत कई अन्य महिला समिति व सखी मंडल से जुड़े हैं।

इन रंगीन मछलियों का हो रहा पालन
शहर और गांव की महिला समिति के सदस्यों द्वारा गोल्डफिश, रेड कैप, ओराडा, ग्रीन ट्रेरर, एंजेल, चिकलेट, ऑस्कर, ब्लैक कॉर्न, व्हाइट कॉन, व्हाइट मॉली, शॉट टेल और मौली आदि का पालन किया जा रहा है। बाजार में इन मछलियों की मांग अधिक है।

परसुडीह स्थित मत्स्य विभाग परिसर में मछलियों का हेचरी है। यहां दो हजार वर्गमीटर भूमि पर 72 टैंक बनाए गए। परिसर में मछली पालन के साथ मत्स्य किसानों को मछलियों में होने वाले रोगों की जानकारी और उनके रोकथाम की जानकारी दी जाती है। रंगीन मछली के उत्पादन और देखरेख के लिए यहां मत्स्य किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है।

जमशेदपुर में रोज करीब तीन सौ रंगीन मछली खरीदा जाता है। यहां कारोबार से जुड़े लोग कोलकाता से रंगीन मछलिया मंगवाते हैं। शहर में रंगीन मछलियों के 15 से 20 दुकान हैं। साकची में रंगीन मछली का बाजार अच्छा है। यहां प्रतिदिन करीब एक सौ से अधिक मछली की बिक्री होती है। साकची के अलावा सोनारी, बारीडीह, बिष्टुपुर और आदित्यपुर में रंगीन मछली की दुकान हैं।

जानें, किसने क्या कहा
इन दिनों घरों और दफ्तरों में रंगीन मछलियों को पालने का शौक बढ़ा है। लोग ड्राइंग रूम को सजाते-संवारते हैं। यह फायदा देने वाला कारोबार साबित हो सकता है। इसलिए मछली पालन को कॅरियर के रूप में चुना।
-मंजू टोपनो, सरजमदा

रंगीन मछली के पालन से एक ओर जहां गांव की महिलाएं आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनेगी वहीं शहर के रंगीन मछली रखने के शौकिन लोगों को सस्ते दर पर रंग-बिरंगी मछली मिलेगी। रंग-बिरंगी मछलियों का पालन महिलाओं के रोजगार का अच्छा जरिया बनेगा।
-संदीप महतो, प्रशिक्षक

बाजार की मांग, व्यवसाय और स्वरोजगार को देखते हुए यह फायदेमंद कारोबार साबित होगा। शहर और गाव की महिलाओं के साथ बेरोजगार युवा अगर इस क्षेत्र में रुचि लेते हैं, तो विभाग उन्हें मदद करेगा। यह रोजगार का बेहतर जरिया बनेगा। हमारे विजन को सरकारी मदद मिल रही है।
-अमरेंद्र कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी


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