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Navratra 2022 : कहीं दस दिनों तक माता सरस्वती तो कहीं पर माता के नौ रूपों की प्रतिमा स्थापित कर होती है मां दुर्गा की पूजा, जानें जमशेदपुर की नवरात्रि क्यों है खास

जमशेदपुर में नवरात्र के अलग-अलग रंग है। आंध्र एसोसिएशन कदमा के परिसर में जहां माता सरस्वती की आराधना पूरे दस दिन तक होती है वहीं चांडिल के चौका में पूरे नौ दिन तक माता के नौ रूपों की पूजा प्रतिमा स्थापित कर होती है।

By JagranEdited By: Uttamnath PathakPublished: Tue, 27 Sep 2022 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 06:00 AM (IST)
Navratra 2022 : कहीं दस दिनों तक माता सरस्वती तो कहीं पर माता के नौ रूपों की प्रतिमा स्थापित कर होती है मां दुर्गा की पूजा, जानें जमशेदपुर की नवरात्रि क्यों है खास
आंध्र एसोसिएशन कदमा में स्थापित माता सरस्वती की प्रतिमा।

जासं, जमशेदपुर : जमशेदपुर में नवरात्रि का अलग ही रंग है। यहां विभिन्न समाज के लोगों के रहने के कारण यहां नवरात्रि पर पूजा पाठ भी अलग-अलग विधि विधान तथा परंपरा के अनुसार होता है। शारदीय नवरात्र पर दस दिनों तक माता सरस्वती की पूजा होती है तो कहीं पर मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। इसके अलावा गुजराती समाज में जहां डांडिया का प्रचलन है तो दक्षिण भारतीय समाज में गुड़िया पूजा का।

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यहां दस दिनों तक होगी माता सरस्वती की आराधना

शहर की एक संस्था में शारदीय नवरात्र पर माता के एक ही रूप माता सरस्वती की ही पूजा अर्चना होती है। आंध्र एसोसिएशन कदमा में शारदीय नवरात्र पर माता सरस्वती की आकर्षक प्रतिमा के साथ-साथ कलश को भी स्थापित किया गया तथा दक्षिण भारतीय विधि विधान से यहां पूजा प्रारंभ हुई। मुख्य पुरोहित पंडित गौरैया शास्त्री ने बताया कि चूंकि एसोसिएशन की ओर से हिंदी एवं इंग्लिश विद्यालय संचालित होता है इस कारण यहां माता सरस्वती के रूप में पूजा अर्चना नवरात्र में होती है। रोजाना यहां सहस्त्रनामा एवं अष्टोतारन्मा पूजा का आयोजन हो रहा है। तीस सितंबर से यहां शाम से सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा। एक अक्टूबर को गुड़िया पूजा और रंगोली प्रतियोगिता का भी आयोजन होगा। दो अक्टूबर को कुमकुम पूजा का आयोजन होगा।

चौका में नौ दिन तक होगी माता के नौ रूपों की पूजा

जमशेदपुर से सटे चांडिल के चौका में शारदीय नवरात्र की शुरुआत कलश स्थापना के साथ प्रारंभ हो गई। चांडिल अनुमंडल के चौका में इसे लेकर अलग उत्साह देखा जा रहा है। चौका स्थित सार्वजनिक श्रीश्री नवदुर्गा पूजा समिति की ओर से दुर्गोत्सव में देवी दुर्गा की नौ रूपों की मूर्ति स्थापित की गई है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना हुई। इससे पूर्व भक्तों ने कलश यात्रा निकाली। कलश को विधिवत रूप से पुरोहितों ने मंत्रोच्चारण के साथ स्थापित किया। चंडीपाठ के लिए भी अलग से कलश स्थापना की गई। प्रतिदिन चंडीपाठ होगा। मंगलवार को दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी। सार्वजनिक श्रीश्री नव दुर्गा पूजा कमेटी, चौका मोड़ की ओर से दुर्गा मंदिर परिसर में रामकथा का आयोजन किया गया है। साथ ही कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शाम को आयोजित किया जाएगा। शाम को महाआरती के बाद भोग वितरण का कार्यक्रम प्रारंभ होगा।

यहां नौ दिनों तक होती है गुड़ियों की पूजा

नवरात्र शुरू होते ही दक्षिण भारतीयों के घरों में गुड़ियों का पर्व शुरू हो जाता है। शहर में रह रहे समाज के लोगों के घरों में कई तरह की गुड़ियों को सजा कर पूजा की जा रही है। इन गुड़ियों को पूरे नौ दिनों तक छूने की मनाही रहती है। सोमवार को कदमा के भाटिया बस्ती के समीप गणेश विहार की रहने वाली उमा रमानि के घर में पूजा शुरू हुई। उन्होंने बताया कि इस दौरान जो भी पूजा करने आएंगे उन्हें हल्दी, पान, सुपारी, अलंकार, सिक्का आदि भेंट किया जाएगा। नौ दिनों तक पूजा के दौरान भजन-कीर्तन का दौर चलता रहेगा। उन्होंने बताया गुड़ियों को मां का रूप मान पूजा की जाती है। गुड़ियों में मुख्य रूप से दशावतार की गुड़ियां आकर्षक ढंग से सजाई जाती है। साथ ही अन्य देवी-देवताओं की गुड़िया भी होती है।

लोको राम मंदिर में प्रतिदिन कुमारी व कुमकुम पूजा

श्री राम मंदिर कमेटी लोको कालोनी श्री ललिता पीठम नवरात्रि महोत्सव का प्रारंभ सोमवार से हो गया। पंडित उमा महेश्वर की देखरेख में सारे धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। यहां यह महोत्सव पांच अक्टूबर तक मनाया जाएगा। प्रतिदिन अभिषेक पूजा के साथ-साथ कुमारी पूजा व कुमकुम पूजा भी आयोजित हो रही है। पहले दिन की पूजा में तेलुगू यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष शंकर रेड्डी पूजा में शामिल हुए।

काशीडीह में रामलीला

काशीडीह स्थित रामलीला मैदान में मंचन के 100वें वर्ष की शुरुआत सोमवार को रावण व राम जन्म के प्रसंग से हुई, जिसमें रींवा (मध्य प्रदेश) से आए कलाकारों ने जीवंत चित्रण किया। इसमें दिखाया गया कि रावण अपने तीनो भाइयों के साथ ब्रह्मा की घोर तपस्या करता है। उनसे अमर होने का वरदान चाहता है, परंतु वरदान देने से इन्कार कर दिया। तब रावण ने मनुष्य और बंदर के हाथों मारे जाने का वरदान मांगा। दूसरा भाई कुंभकरण बहुत बलशाली और बहुत ताकतवर था। वह वरदान चाहता था कि वह छह महीना जागे और एक दिन सोए। सभी कार्य अपनी ताकत के बल से जल्द से जल्द करें, परंतु माता सरस्वती उसकी जुबान पर विराजमान हो जाती है। वह उल्टा वरदान मांग लेता है कि मैं छह महीने सोऊं और एक दिन जागूं, बाद में पछताने पर उसे कहते हैं कि जो व्यक्ति छह महीने काम करेगा। वह काम एक दिन में कर सकते हो। तीसरा भाई विभीषण भगवान से वरदान मांगता है कि मैं आपके और विष्णु के चरणों में आराधना करता रहूं और पूजा पाठ करता रहूं। इस वरदान को पाकर रावण बहुत ही आतताई हो जाता है। वह लोगों को सताने लगता है। देवताओं को ऋषि-मुनियों को बहुत सताता है। लोग तंग आकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि आप इस राक्षस से हमें मुक्ति दिलाइए। अयोध्या के राजा दशरथ अपने जीवन के चौथेपन की ओर बढ़ रहे हैं। उनका कोई पुत्र नहीं था, मुनि वशिष्ठ से कहते हैं कि क्या हमारा जीवन इसी प्रकार जाएगा। मुनि वशिष्ठ उनसे कहते हैं कि आप यज्ञ कीजिए, आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। इसके बाद राजा दशरथ के चार पुत्र पैदा हुए राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न। राम का किरदार दिनेश पांडेय, लक्ष्मण का राहुल पांडेय व रावण की भूमिका गोविंद मिश्र ने निभाई। आयोजन को सफल बनाने में समिति के सदस्य डा. डीपी शुक्ला, रामकेवल मिश्रा, शंकर लाल सिंघल, प्रदीप चौधरी, बसंत मिश्रा, मनीष मिश्रा, मनोज मिश्रा, राजकुमार मिश्रा, दिलीप तिवारी, जेके शर्मा, अनिल चौबे, प्रकाश झा आदि सक्रिय रहे।


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