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सांप-कुत्ता का आंतक, हर माह 450 से अधिक लोग शिकार

बरसात में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ गई है। महात्मा गांधी मेमोरियल कालेज में सर्पदंश के शिकार लोगों की संख्या बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 02:15 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 02:15 PM (IST)
सांप-कुत्ता का आंतक, हर माह 450 से अधिक लोग शिकार
सांप-कुत्ता का आंतक, हर माह 450 से अधिक लोग शिकार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बरसात में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ गई है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हर माह 40 से 50 लोग शिकार होकर पहुंच रहे है। जबकि सामान्य दिनों में एक-दो केस ही सामने आता है। चिकित्सकों के अनुसार, सांप अपने बिलों से बाहर आकर सुरक्षित जगह की तलाश में निकलते हैं और घरों में घुसकर लोगों को डंसने लगते हैं। बुधवार को दो लोग सर्पदंश के शिकार हो गए। दोनों को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसमें पटमदा निवासी हेमंत मुंडा व घाटशिला निवासी रोहित कुमार शामिल है। रात में दोनों अपने-अपने घरों में सोए हुए थे कि सांप ने काट लिया। इधर, शहर में कुत्तों का आंतक भी जारी है। हर माह 400 से अधिक लोग आवारा कुत्तों की चपेट में आते है। चौक-चौराहों पर इन कुत्तों का आंतक सबसे अधिक होता है। बुधवार को अलग-अलग क्षेत्रों में कुल नौ लोग इन आवारा कुत्तों के शिकार हुए। इसमें पांच को एमजीएम, तीन को टीएमएच व एक मरीज को रेड क्रास में एंटी रेबीज इंजेक्शन दिया गया।

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24 घंटे के अंदर एंटी रेबीज का इंजेक्शन अनिवार्य

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. रतन कुमार का कहना है कि कुत्ता काटने के 24 घंटे के अंदर एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेना अनिवार्य हो जाता हैं। लेकिन जागरूकता के अभाव में कई लोग देर से इंजेक्शन लेते हैं। इससे पीड़ितों को रेबीज होने की संभावना बढ़ जाती हैं। रेबीज एक वायरस होता है। अगर यह किसी जानवर में फैला हो और वह जानवर हमें काट ले खासकर कुत्ता, बिल्ली या बंदर तो हमें रेबीज हो सकता है और मरीज की मौत हो जाती है। इसका अबतक कोई इलाज मेडिकल साइंस में इजाद नहीं कर पाया है।

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ठंड में खूंखार हो जाते हैं कुत्ते

बरसात के बाद अगले माह यानी अक्टूबर से शहर में ठंड की शुरूआत हो जाती है। इस मौसम में आवारा कुत्ते इरिटेट होकर अधिक खूंखार हो जाते हैं और लोगों को अपना शिकार बनाते है। यहीं वजह है कि इस मौसम में डॉग बाइट के मामले बढ़ जाते है। यही हाल गर्मी में भी होता है। गर्मी के मौसम में भी डॉग बाइट के मामले अधिक सामने आते है।

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निगम की अनदेखी, एक साल से बंद है कुत्तों का नसबंदी

आवारा कुत्तों को पकड़ने का जिम्मा नगर निगम व जुस्को का है। पर, काम ढीला है। आवारा पशुओं को लेकर निगम ठीक होता तो शायद पीड़ितों की संख्या इतनी न बढ़ती। बीते एक साल से वैक्सीनेशन व नसबंदी का काम बंद है। अमेरिकी संस्था ह्यूंमन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआइ) के मुताबिक शहर समेत आसपास के क्षेत्र में लगभग 25 हजार लवारिश कुत्ते हैं।

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डॉग बाइट के तीन ग्रेड खतरनाक

ग्रेड वन : अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है, तो होशियार हो जाएं। अगर कुत्ते में रैबीज का इंफेक्शन है तो शरीर में भी रैबीज के वायरस आने की आशंका बनी रहती है। खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस कटे हुए हिस्से को चाट लिया हो।

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ग्रेड टू : कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई दे तो एहतियात बरतना जरूरी है। कुत्ते के काटने की अनदेखी घातक हो सकती है। रैबीज का वायरस एक बार शरीर में जाकर सालों तक रह जाता है।

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- ग्रेड थ्री : आमतौर पर कुत्ता हाथ, पैर या चेहरा में से किसी एक जगह पर ही काटता है। हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है तो यह खतरनाक है।

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इन इलाकों में कुत्तों का आतंक अधिक

- टेल्को स्थित आजाद मार्केट, न्यू मार्केट, बैंक ऑफ इंडिया, खड़ंगाझार चौक, कालोनी इलाके में कुत्तों का हुजूम सा दिखता है।

- बिष्टुपुर स्थित क्यू, ओ रोड, वीमेंस कॉलेज के सामने, जमशेदपुर हाई स्कूल के आगे कुत्तों का समूह दिखायी देता है।

- धतकीडीह मस्जिद के सामने व सामुदायिक केंद्र वाले मैदान में अधिक है। - सर्किट हाउस वाले रोड पर कुत्तों का समूह देखने को मिलता है।

- साकची आई हॉस्पिटल के सामने, कदमा जाने वाले ऑटो स्टैंड व बाजार में भी कुत्तों की समूह सक्रिय है।

- मानगो स्थित गांधी मैदान, डिमना रोड, डिमना चौक, सुभाष कालोनी में रात के वक्त कुत्तों का हुजूम दिखता है।

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कुत्ता काटने के बाद क्या करें

- कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने के 24 घंटे के अंदर एंटी रैबीज इंजेक्शन जरूर लगवाएं। 15 दिन में चार इंजेक्शन लगवाना होता है।

- निजी क्लिनिक, नर्सिग होम या हॉस्पिटलों में 400-800 रुपये खर्च आता है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह फ्री में मिलता है।

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किस क्षेत्र में कितने कुत्ते

क्षेत्र संख्या

जमशेदपुर 10194

आदित्यपुर 7203

मानगो 6968

जुगसलाई 410

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जिले में सर्पदंश से हर साल 40 से 50 मौत

शहर के अलग-अलग अस्पतालों के आंकड़े पर गौर करें तो सर्पदंश से हर साल 40 से 50 लोगों की मौत हो जाती है। ये मृतक पूर्वी सिंहभूम जिले के अलग-अलग प्रखंडों के रहने वाले होते है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के ही होते है। वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल सांस के डंसने से 46 हजार से अधिक लोगों की मौत हो रही है। देश में कुल 230 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। जिनमें से 50 सांप जहरीले होते हैं। मरीजों के लिए एमजीएम अस्पताल मे पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम वैक्सीन उपलब्ध है।

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सांप के डंसने पर बरते सावधानियां

- जख्म को साबुन व पानी से धोएं।

- सांप के काटने का स्थान रंग बदले तो समझें कि सांप जहरीला है।

- मरीज का तापमान, नब्ज, सांस की गति और रक्तचाप का ध्यान रखें।

- सांप के जहर का प्रभाव 15 मिनट से 12 घंटे के बीच शुरू होता है।

- आधे घंटे तक उपचार तक नहीं पहुंचे तो डंसे हुए भाग के ऊपर दो से चार इंच की पंट्टी बांधे, ताकि जहर का प्रवाह आगे न बढ़े।

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कोट :::

बरसात में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है। पहले की अपेक्षा डॉग बाइट भी बढ़ा है। हालांकि, ठंड व गर्मी के मौसम में डॉग बाइट की संख्या और भी बढ़ जाती है। कुत्ता इरिटेट होकर लोगों को अपना शिकार बनाते है। अस्पताल में दोनों की दवा है।

- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम अस्पताल।

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