Weekly News Roundup Jamshedpur : बन्ना की 'बारात' में मचा हड़कंप...पढ़िए सियासत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. बारात में तब हड़कंप मच गया जब पता चला कि बारातियों के जाम में दो मुर्दो की जान निकल गई। यह बारात लंबे समय तक याद रहेगी।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। Weekly News Roundup Jamshedpur मंत्री बनने के बाद बन्ना गुप्ता दो फरवरी को बहरागोड़ा से घाटशिला, बालीगुमा होते शहर आए थे। यहां उनका स्वागत बारात जैसा हुआ। चौक-चौराहों पर जमकर आतिशबाजी हुई। मानगो में बन्ना को तराजू पर लड्डू से भी तौला गया। बताते हैं कि लड्डू कम पड़ गए। कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि सर्जरी के बाद नेताजी का वजन कम हो गया होगा।
बहरहाल, मानगो चौक पर इस 'बारात' में तब हड़कंप मच गया, जब पता चला कि बारातियों के जाम में दो 'मुर्दो' की जान निकल गई। किसी ने यह बात बन्ना के कान में उसी समय दे दी, लेकिन तब तक बन्ना साकची गोलचक्कर पर स्वागत कराने निकल गए थे। वहां भी एक बाराती ने जाम हटाने आए एक सिपाही का कालर पकड़ लिया, तो तनाव बढ़ गया। हालांकि हुआ कुछ नहीं, लेकिन बारात में हड़कंप तो मच ही गया था। शहरवासियों को यह बारात लंबे समय तक याद रहेगी।
गोविंदाचार्य के सामने टूटी सियासी छुआछूत
कभी आरएसएस और भाजपा के दिग्गज रहे गोविंदाचार्य दो फरवरी को जमशेदपुर आए थे। लंबे समय के बाद आने की वजह कहें या कुछ और भाजपा व आरएसएस के कार्यकर्ता उनसे मिलने के लिए टूट पड़े। अगले दिन भाजपा से निष्कासित सरयू राय ने आनन-फानन में उनके लिए संगोष्ठी रख दी। वहां भी ऐसे-ऐसे चेहरे एक साथ दिखे कि पता ही नहीं चल रहा था कि कौन निष्कासित है और कौन भाजपाई। इनमें रघुवर दास के करीबी व भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्रा तो थे ही, निष्कासन के बाद सरयू खेमे से कभी दूर-कभी पास दिखने वाली भाजपा की महिला जिलाध्यक्ष नीरू सिंह भी थीं। किसी ने कहा, गोविंदाचार्य भले ही आज आरएसएस या भाजपा में नहीं हैं, लेकिन वे आज भी इनके दिल में वैसे ही बसे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि सरयू राय भी गोविंदाचार्य की तरह किसी सियासी दल में नहीं गए हैं।
झाविमो का नया ठिकाना बना जमशेदपुर
झारखंड विकास मोर्चा को नेताओं की पार्टी कहा जाता था। इस विधानसभा चुनाव में यह साबित भी हो गया। बाबूलाल समेत जमा तीन लोग विधायक चुने गए, जिनमें से दो बाहर भी हो गए हैं। इसके साथ ही अब इस दल में दो ही नेता बच गए हैं। एक बाबूलाल, दूसरे अभय सिंह। दोनों एक-दूसरे को नहीं छोड़ सकते। अभय अब प्रधान महासचिव बन गए हैं, इसलिए अब ये झाविमो के सेकैंड मैन हैं, इसमें कोई शक नहीं। बाबूलाल के बाद अभय सिंह के पास ही कार्यकर्ता बचे हैं। इसका प्रमाण भी मिल गया। जब प्रदीप यादव समर्थक ने फेसबुक पर अभय सिंह को गाली दी, तो इन्हें एफआइआर कराने के लिए गोड्डा में कोई कार्यकर्ता नहीं मिला। यह काम जमशेदपुर के कार्यकर्ताओं को करना पड़ा। इस बीच यह खबर भी चल रही है कि झाविमो बहुत जल्द अस्तित्व समाप्त करने जा रहा है। ऐसा माहौल भी दिख रहा है।
सरयू ने लगाई भालूबासा में सेंध
जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र को रघुवर समर्थक कल तक अजेय मान रहे थे, जो अब ध्वस्त हो चुका है। सरयू राय ने सोन मंडप के बाद अब भालूबासा में भी सेंध लगा दी है। नियम-कायदे के मुताबिक प्रशासन को काम करने की नसीहत देकर सरयू उन सभी दरवाजों में ताला लगवा रहे हैं, जहां से रघुवर समर्थकों का अर्थ तंत्र चलता था। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कहने पर ही जमशेदपुर अक्षेस ने फुटपाथी दुकानदारों के लिए 53 दुकानें बनाई थीं। दुकान का अभी ढांचा ही खड़ा हुआ था कि रघुवर के पूर्व विधायक प्रतिनिधि पवन अग्रवाल व संजीव सिंह ने दुकानदारों को चाबी सौंप दी थी। दुकानदार तकिए के नीचे चाबी लेकर निश्चिंत सो गए थे कि उन्हें चाबी लौटाने का फरमान आ गया। आनाकानी की कोशिश हुई, लेकिन कड़े निर्देश के बाद चाबी लौटा दी। अक्षेस ने अपना ताला मार दिया है, अब सामुदायिक भवनों की बारी है।