Siberia से 4,582 किमी उड़कर पहुंचे विदेशी परिंदे, Chandil डैम में जलक्रीड़ा देख मंत्रमुग्ध हुए सैलानी
चांडिल डैम में साइबेरिया से 4,582 किलोमीटर की यात्रा करके विदेशी पक्षी पहुंचे हैं, जिन्हें देखने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। हर साल सर्द ...और पढ़ें

चांडिल डैम में जलक्रीड़ा करते विदेशी परिंदे। ● जागरण
संस, चांडिल। चांडिल डैम इन दिनों प्रवासी पक्षियों और विदेशी पर्यटकों की चहल-पहल से गुलजार है। सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना के अंतर्गत 1,96,300 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह विशाल जलाशय शीत ऋतु की शुरुआत के साथ ही एक जीवंत कैनवास में बदल गया है।
साइबेरिया के बर्फीले इलाकों से लगभग 4,582 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय कर आए हजारों विदेशी पक्षियों ने यहां डेरा डाल दिया है। इन परिंदों की चहचहाहट और जलक्रीड़ा ने चांडिल की वादियों में एक अद्भुत ऊर्जा घोल दी है।
सुबह की हल्की धूप और कोहरे की चादर के बीच जब हरी-भरी पहाड़ियों की परछाई शांत जल पर पड़ती है, तो दृश्य किसी स्वप्नलोक जैसा प्रतीत होता है। इसी नीले दर्पण पर विदेशी पक्षियों का लाल, सफेद और काला रंग मिलकर एक अद्वितीय सुंदरता रचता है।
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, यहां आने वाले प्रमुख प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, बार-हेडेड गूज, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, गडवाल और टफ्टेड डक शामिल हैं।
इन पक्षियों के झुंड जब पानी की सतह को छूते हुए उड़ान भरते हैं, तो हवा के साथ मिलकर ऐसा दृश्य रचते हैं जिसे कैमरे में कैद करने के लिए सैलानी उत्सुक रहते हैं। नौका विहार करते समय विदेशी पक्षियों का बेहद करीब से दिखाई देना लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।
चांडिल डैम की लोकप्रियता अब स्थानीय दायरे से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुकी है। शीत ऋतु के आरंभ के साथ ही यहां रूस, दक्षिण कोरिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान पक्षी अवलोकन का अनोखा अवसर प्रदान करता है, जो उन्हें घंटों तक बांधे रखता है। हालांकि, विदेशी पर्यटकों के आने के बावजूद, यहां की सुविधाओं का अभाव उनके उत्साह को कम कर रहा है।
रात्रि विश्राम की सुविधा, आवास और सुरक्षा व्यवस्था के अभाव से सैलानी निराश हो रहे हैं। श्रीलंका से आए पर्यटक रोबिन डिसूजा बताते हैं कि चांडिल डैम का प्राकृतिक सौंदर्य किसी जन्नत से कम नहीं है।
प्रवासी पक्षियों का कलरव और मनोरम जलक्रीड़ा मन को मोह लेता है। परंतु जैसे ही सूरज ढलता है, ठहरने की उचित व्यवस्था न होने से परेशानी शुरू हो जाती है।
ज्यादातर विदेशी सैलानियों का मानना है कि यदि चांडिल डैम में रात्रि विश्राम, स्वच्छ भोजन, शौचालय, बिजली और सुरक्षा जैसी सुविधाएं विकास के साथ उपलब्ध कराई जाएं, तो यह स्थान निश्चित रूप से एक विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र बन सकता है।
फिलहाल, दिन भर की पर्यटन गतिविधियों के बाद शाम होते ही सैलानियों को अनमने मन से वापस लौटना पड़ता है। स्थानीय लोगों का भी मानना है कि सरकार और प्रशासन यदि आवश्यक कदम उठाए, तो चांडिल डैम प्रवासी पक्षियों और प्राकृतिक पर्यटन का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय केंद्र बन सकता है।

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