Jharkhand : यहां पूजी जाती हैं श्यामा दुर्गा, बांग्लादेश से जुड़ा है इतिहास Jamshedpur News
आस्था के रंग ऐसे भी हैं जिनकी चर्चा बिना किसी प्रचार के दूर-दूर तक है। लौहनगरी में ऐसे स्थान हैं जहां बिना किसी बड़े तामझाम के श्यामा दुर्गा की पूजा की जाती है।
जमशेदपुर, दिलीप कुमार। देवी उपासना के पर्व नवरात्र - दुर्गा पूजा में आस्था के अलग-अलग रंग नजर आते हैं। वहीं कुछ आस्था के रंग ऐसे भी हैं जिनकी चर्चा बिना किसी प्रचार के दूर-दूर तक है। भव्यता के उलट लौहनगरी जमशेदपुर में ऐसे स्थान हैं जहां बिना किसी बड़े तामझाम के श्यामा दुर्गा (देवी दुर्गा के काले रंग के स्वरूप) की स्थापना की जाती है। लोग दूर-दराज से ढूंढ-ढूंढकर श्यामा दुर्गा की उपासना करने पहुंचते हैं। दुर्गोत्सव के दौरान ये स्थान लोगों की आस्था के ऐसे केंद्र बन जाते हैं जहां मन्नतें मांगी जाती हैं।
1948 से जमशेदपुर में पूजी जा रहीं हैं श्यामा दुर्गा
भुइयांडीह शीतला मंदिर से थोड़ी दूरी पर धोबीलाइन के समीप श्यामा दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। यहां अशोक कुमार घोष अपने घर के सामने पंडाल बनाकर प्रतिमा स्थापित की जाती है। उनके परिवार की यह नौवीं पीढ़ी है, जो श्यामली दुर्गा की पूजनोत्सव धूमधाम से कर रही है। आजादी के पूर्व उनका परिवार बांगलादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में था जहां श्यामा दुर्गा की पूजा की जाती थी। उनके पिता संतोष कुमार घोष की पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में रहकर हुई थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें टाटा स्टील में नौकरी मिली। जिसके बाद वे जमशेदपुर आ गए।
दूसरे प्रदेशाें से भी आते श्रद्धालु
1948 में देश आजाद होने के बाद उनका पूरा परिवार जमशेदपुर आ गया। वर्ष 1948 में बाराद्वारी में काले रंग की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना जारी रखी गई। बाद में संतोष कुमार घोष को सिदगोड़ा में कंपनी का क्वार्टर आवंटित हुआ। सिदगोड़ा में इस परिवार ने 1977 तक दुर्गोत्सव का आयोजन नियमित रूप से जारी रखा। सेवानिवृत्ति पर 1978 में यह परिवार भुइयांडीह में बस गया और तब से भुइयांडीह में श्यामा दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर देवी दुर्गा की पूजा की जाने लगी। यहां पूजा में शामिल होने दूसरे प्रदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं।
यहां मंदिर में विराजमान हैं श्यामा दुर्गा
शहर में एक ऐसा मंदिर भी है जहां श्याम रंग की दुर्गा प्रतिमा विराजमान हैं। इस मंदिर में वर्ष 1958 से श्यामली दुर्गा की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है। बताया जाता है कि पहले यहां भंडारी बाबा रहते थे, जो तांत्रिक भी थे। उन्होंने ही देवी दुर्गा के श्यामली रंग की प्रतिमा मंदिर में स्थापित कराई थी। अब मंदिर में पूजा-अर्चना बबलू पंडित जी करते हैं। यहां नवरात्र का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। नवरात्र के दौरान यहां रोज माता की पूजा व अनुष्ठान पूरे रीति-रिवाज के साथ किए जाते हैं। रविवार को मंदिर में कलश स्थापित कर देवी दुर्गा की पूजा शुरू कर दी गई। पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।