पिता और दादी के लिए श्रवण कुमार था शेखर मंडल
चराचर जगत में पितृभक्त श्रवण कुमार की कथा सर्वविदित है। नेत्रहीन माता-पिता
संसू, पोटका : चराचर जगत में पितृभक्त श्रवण कुमार की कथा सर्वविदित है। नेत्रहीन माता-पिता से वे अगाध प्रेम करते थे। उनकी सेवा करने में वे जरा भी नहीं थकते थे। ठीक उसी तरह कोवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत टांगराइन पंचायत के पुटलुपुंग निवासी 22 वर्षीय शेखर मंडल था। उसके पिता व दादी नेत्रहीन थे, मां का देहांत हो चुका था। घर में इनके अलावा एक छोटा भाई भी था। इन सबकी जिम्मेदारी-जवाबदेही शेखर मंडल के ऊपर थी। ग्रामीण बताते हैं, अपने परिवार के भरण पोषण के लिए शेखर मंडल कोवाली के एक होटल में कार्य करता था। हर दिन वह अपने घर से सुबह में काम करने जाता था और शाम तक वापस आ जाता था। होटल जाने से पूर्व वह अपने अंधे पिता और दादी की दैनिक नित्य क्रिया से सेवानिवृत कराने के बाद उन्हें खाना खिला देता था। दोपहर को भी काम से एक घंटे की छुट्टी लेकर घर आता था और दोनों को खाना खिलाने के बाद दुकान लौट जाता था। शनिवार को भी वह दुकान से लौट रहा था। इसी बीच कैरासाई पुल के समीप अनियंत्रित बाइक सवार ने उसे ठोकर मार दी। गंभीर रूप से घायल शेखर को राहगीरों ने अस्पताल पहुंचाया जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी। उसकी मौत के बाद उसके नेत्रहीन पिता और दादी असहाय हो गए। वे बार-बार अपने 'श्रवण कुमार' को पूछ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दे रहा है। उनकी हालत देखकर पूरे ग्रामीण रो रहे हैं। इस बीच घटना की जानकारी मिलने के बाद पोटका विधायक संजीव सरदार शेखर मंडल के पिता विकास मंडल से मुलाकात की, उन्हें ढांढस बंधाया लेकिन, उनके पास शब्द नहीं थे। दस हजार रुपये की आर्थिक मदद जरूर की। शेखर मंडल के दस वर्षीय भाई को आगे भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया।