दोस्त की हत्या का केस मैनेज कर रहे थे इसलिए दोस्ती कर मार दी गोली
जमशेदपुर के पिपला में फायरिंग के मामले में तथ्य सामने आए हैं कि दोस्त की हत्या का बदला लेने के लिए दो दबंगों को गोली मारी गई।
जमशेदपुर,जागरण संवाददाता। पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के पिपला फायरिंग मामले में चौंकानेवाले तथ्य सामने आए हैं। मामले में पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया है। चारों पर फायरिंग की साजिश में शामिल होने का आरोप है। हिरासत में लिए गए आरोपितों में दीपक कुमार, कुणाल कुमार, बबलू व एक अन्य शामिल हैं।
पुलिस के समक्ष चारों ने स्वीकार कर लिया है कि राजकुमार सिंह उर्फ छोटे बाबा और दीवाना के साथ मिलकर उन्होंने इम्तियाज उर्फ गब्बर व चंद्रशेखर गौड़ उर्फ मिस्टर की हत्या की साजिश रची थी। छोटे बाबा व दीवाना ने ही फायरिंग की थी। दोनों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है। उनके कोलकाता भागने की आशंका के मद्देनजर पुलिस की एक टीम कोलकाता रवाना हो गई है।
पुलिस ने छोटे बाबा का खून से सना मोबाइल बरामद कर लिया है। उस फोन के माध्यम से पुलिस यह जानकारी हासिल कर रही है कि फायरिंग से पूर्व छोटे बाबा ने और किससे बातचीत की थी। एसएसपी अनूप बिरथरे ने बताया कि आरोपित के पास पैसा है इसलिए वह कोलकाता जा सकता है। इसलिए पुलिस की एक टीम कोलकाता भेजा गया है।
मिस्टर को ले जाया गया कोलकाता
सोमवार को एमजीएम थाना अंतर्गत पीपला के पास हुई फायरिंग में मानगो निवासी गब्बर और मिस्टर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। गब्बर की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है, हालांकि परिजन उसे बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाने वाले थे, लेकिन उसकी स्थिति सही नहीं रहने व डाक्टर द्वारा अपनी मर्जी से ले जाने की बात कहने पर उसे बाहर नहीं ले जाया गया। जबकि मिस्टर को मंगलवार तड़के कोलकाता के अपोलो अस्पताल ले जाया गया। मिस्टर के बयान पर ही मामले की प्राथमिकी एमजीएम थाने में दर्ज की गई है।
ये रही फायरिंग की वजह
पिपला में हुई फायरिंग की घटना 10 सितंबर 2017 में डांगा में हुई एक हत्या से जुड़ी है। हत्या अमित कुमार महतो की हुई थी। अमित महतो छोटा बाबा और दीवाना (जिनपर इस बार फायरिंग का आरोप है) का जिगरी दोस्त था। अमित की हत्या में सुबोध गौड़, चित्रसेन गौड़, सुभाष व रामनाथ गौड़ का नाम सामने आया था। इस मामले में सुबोध गौड़ व चित्रसेन गौड़ जेल में बंद हैं, जबकि सुभाष व रामनाथ गौड़ जमानत पर बाहर है। जेल में बंद चित्रसेन गौड़ इस बार फायरिंग में घायल हुए चंद्रशेखर गौड़ उर्फ मिस्टर का सगा भाई है। अमित हत्याकांड में चंद्रशेखर गौड़ का भी नाम आया था, लेकिन बाद में पुलिस अनुसंधान में उसका नाम हट गया। अमित हत्याकांड का केस को मैनेज करने के लिए चंद्रशेखर गौड़ ने इम्तियाज उर्फ गब्बर का सहयोग लिया था। छोटा बाबा व दीवाना को इसी बात का गुस्सा था कि गब्बर और मिस्टर अमित हत्याकांड (उनके दोस्त) के आरोपितों को बचाने की कोशिश कर रहे। इसी गुस्से में उन्होंने गब्बर व मिस्टर को गोली मारी।
गब्बर की हालत गंभीर
गब्बर को डाक्टरों ने अस्पताल से खुद के रिस्क पर ले जाने को कहा। इसके बाद परिजन टीएमएच से गब्बर का रिपोर्ट बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल में डाक्टर फतेहबहादुर के पास ले गए। फतेहबहादुर ने रिपोर्ट देखकर परिजन व दोस्तों को बताया कि मरीज बाहर ले जाने की स्थिति में नहीं है। डाक्टर ने बताया कि गोली जिस जगह फंसी हुई है, उसी से जान बची हुई है। यदि इस स्थिति में कोई छेड़-छाड़ की गयी तो जान को खतरा हो सकती है। इसके बाद परिजन 72 घंटा का समय पार होने का इंतजार कर रहे हैं।
पैसे देने को कार में बिठाया, पिछली सीट से मार दी गोली
गब्बर और मिस्टर अमित हत्याकांड के गवाहों को मैनेज करना चाह रहे थे। इसके लिए गब्बर ने छोटा बाबा से बातचीत की थी। गवाही मैनेज करने के लिए पहले 15 लाख रुपये मांगे गए थे। बाद में 10 लाख में समझौता हुआ। समझौता के तहत ही सोमवार को गब्बर अपने साथ 10 लाख रुपये लेकर चंद्रशेखर गौड़ की सफेद रंग का स्विफ्ट कार से बड़ाबांकी गया। वहां से उसी कार में छोटा बाबा और दीवाना पीछे बैठ गए। सभी कार से पिपला पहुंचे। कार पर भाजपा का झंडा लगा हुआ था। उन्हें अमित हत्याकांड के दो गवाह डांगा निवासी दीपक कुमार तथा पोखारी निवासी कुणाल को लेकर कोर्ट जाना था। इसलिए वे भागाबांधा जाने वाले रास्ते में कार खड़ी कर गवाहों का इंतजार करने लगे। इस दौरान मिस्टर व गब्बर को नहीं पता था कि छोटा बाबा व दीवाना के पास हथियार है।
गब्बर को सटाकर मारी गोली, भागते मिस्टर पर फायरिंग
कार में पीछे बैठे छोटा बाबा ने अचानक पीछे से गब्बर के सिर पर सटा कर गोली मार दी। गब्बर कार से निकल कर चार कदम आगे बढ़ा और खेत में जाकर गिर गया। यह देखकर मिस्टर भी भागने लगा। उस पर दीवाना ने फायरिंग कर दी। मिस्टर गोली लगने के बावजूद एक ईंट भट्ठा में जाकर छिप गया। उसने इसकी जानकारी अपने दोस्त निताई को दी। निताई कार से घटनास्थल पर पहुंचा और खेत में पड़े गब्बर को लेकर पहले एमजीएम बाद में टीएमएच पहुंचा।
टीएमएच के डाक्टरों ने गब्बर को दिया 72 घंटे का समय
टीएमएच में जिंदगी और मौत से जूझ रहे गब्बर का इलाज कर रहे डाक्टरों ने 72 घंटे का समय मांगा है। उसके बाद ही डाक्टर कुछ निर्णय ले सकते हैं। परिजन व दोस्तों ने मंगलवार की सुबह मेडिका अस्पताल कोलकाता ले जाने के लिए एंबुलेंस भी मंगा लिया था, लेकिन डाक्टर ने गब्बर की स्थिति को देखते बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी।
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