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कुशल श्रमिकों का टोटा, नहीं सुलग रही आदित्‍यपुर औद्योगिक क्षेत्र की फर्नेस Jamshedpur News

घर लौटे हजारों प्रवासी श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा दूसरी ओर आदित्यपुर औद्यौगिक क्षेत्र समेत पूरे जिले में कई इंडक्शन फर्नेस कंपनियां कुशल श्रमिकों के अभाव में बंद पड़ी हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 09:48 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 09:48 AM (IST)
कुशल श्रमिकों  का टोटा, नहीं सुलग रही आदित्‍यपुर औद्योगिक क्षेत्र की फर्नेस Jamshedpur News
कुशल श्रमिकों का टोटा, नहीं सुलग रही आदित्‍यपुर औद्योगिक क्षेत्र की फर्नेस Jamshedpur News

आदित्यपुर, चंदन। लॉकडाउन में एक ओर दूसरे राज्यों से घर लौटे हजारों प्रवासी श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा, दूसरी ओर आदित्यपुर औद्यौगिक क्षेत्र समेत पूरे जिले में कई इंडक्शन फर्नेस कंपनियां कुशल श्रमिकों के अभाव में बंद पड़ी हैं। कुछ कंपनियां खुली हैं, लेकिन कुशल कामगार के अभाव में फर्नेस की भट्ठी नहीं सुलग रही है। जो कंपनियां कम कामगारों के साथ चल रही हैं, उनमें पूर्ण क्षमता के साथ उत्पादन नहीं हो रहा है।

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लॉकडाउन के बाद सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर में पांच फर्नेस कंपनियों ने एक जून से उत्पादन शुरू किया, लेकिन अधिकतर कामगार बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा आदि राज्यों से नहीं लौटे हैं। ऐसे में चाहकर भी ये कंपनियां पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। वहीं, जो प्रवासी मजदूर लौटे हैं, उनमें फर्नेस के दक्ष श्रमिक नहीं हैं। ऐसे में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित कामसा स्टील, नरेड़ी इंटरप्राइजेज, मेकर्स कांस्टिंग, श्याम लाल आयरन, पूर्वी आयरन स्टील व दुगुनी (सरायकेला) स्थित केदार स्टील में कुशल श्रमिक के अभाव में क्षमता से 40 फीसदी कम उत्पादन हो रहा है।

कंपनी मालिकों को सता रहा घाटे में आने का डर

कंपनी मालिकों का कहना है कि यदि जल्द उन्हें दक्ष कामगार नहीं मिले तो कंपनी घाटे में आ जाएंगी। कम उत्पादन पर कंपनी चलाने से उत्पादन लागत बढ़ जाती है। दूसरी ओर उन्हें फिक्स्ड चार्ज तो देना ही पड़ेगा। पावर लोड फैक्टर के तहत कम बिजली खर्च पर जुर्माना अलग से देना पड़ रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो उन्हें अपनी कंपनी बंद करनी पड़ेगी। वर्तमान में सभी कंपनियों में एक अर्धकुशल फर्नेस हेल्पर के साथ 80 की जगह लगभग 40 मजदूर काम कर रहे हैं।

पूर्वी सिंहभूम व सरायकेला में लौटे 15 हजार प्रवासी मजदूर 

 लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से करीब 15 हजार प्रवासी मजदूर लौटे हैं, जिसमें पूर्वी सिंहभूम के करीब नौ हजार और सरायकेला-खरसावां के छह हजार मजदूर शामिल हैं। अब इन मजदूरों को फिर से रोजगार दिलाने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। कंपनी मालिकों ने प्रशासन को कुशल व अर्धकुशल की कमी की सूचना दी है, लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला है। इन्हें बताया गया कि प्रशासन भी एक सूची तैयार कर रहा है कि कौन सा मजदूर किस काम में दक्ष है, लेकिन इस प्रक्रिया समय लग सकता है।

मेल्टर व बारी मैन की तत्काल आवश्यकता

कंपनी मालिकों ने बताया कि इंडक्शन फर्नेस को चलाने के लिए मेल्टर या फर्नेस इंचार्ज और बारी मैन की तत्काल जरूरत है। एक शिफ्ट में एक मेल्टर और चार-छह बारी मैन की आवश्यकता होती है। बारी मैन का काम फर्नेस में कच्चा माल डालने और स्लैग निकालने का होता है। इनके साथ कम से कम चार हेल्पर की जरूरत होती है। फिलहाल अर्धकुशल मेल्टर इंचार्ज के साथ हेल्पर से ही काम चलाना पड़ रहा है।

ये कहते उद्यमी

दक्ष कामगार नहीं होने के कारण हमारा काम प्रभावित हो रहा है। इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी गई है। इसके बावजूद हमें कुशल कामगार नहीं मिल रहे हैं।

- बबलू जायसवाल, मालिक, मेकर्स कास्टिंग

दक्ष कामगार नहीं मिलने के कारण हमारा 40 प्रतिशत काम प्रभावित हो रहा है। क्योंकि लॉकडाउन के कारण जो दक्ष कामगार घर लौटे थे, वे अभी तक वापस नहीं लौटे हैं।

- सांवरमल शर्मा, मालिक, कामसा स्टील


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