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लॉकडाउन में बंद हुई दुकान तो बेकार पड़ी बीजों से बना डाली सुंदर कलाकृतियां Jamshedpur News

बारीडीह के विद्यापति नगर में रहने वाले सुकुमार बोस की उम्र 57 वर्ष है। कान से कम सुनाई देता है। सिदगोड़ा में इनका फोटो फ्रेमिंग की दुकान है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 07:35 PM (IST)
लॉकडाउन में बंद हुई दुकान तो बेकार पड़ी बीजों से बना डाली सुंदर कलाकृतियां Jamshedpur News
लॉकडाउन में बंद हुई दुकान तो बेकार पड़ी बीजों से बना डाली सुंदर कलाकृतियां Jamshedpur News

जमशेदपुर (दिलीप कुमार) । बारीडीह के विद्यापति नगर में रहने वाले सुकुमार बोस की उम्र 57 वर्ष है। कान से कम सुनाई देता है। सिदगोड़ा में इनका फोटो फ्रेमिंग की दुकान है। लॉकडाउन में दुकान बंद होने पर सुक्रमार बोस बेरोजगार हो गए। घर पर बेकार बैठकर दिन गुजार रहे थे। इन्हें खाली बैठना ठीक नहीं लगता। घर के सामने बकुल पेड़ से गिरने वाले फलों का उपयोग कर कुछ कलाकृति बनाने का सोचा। अंदर का कलाकार जागा और वे बेकार की सामग्रियों व वनोत्पाद का उपयोग कर सुंदर कलाकृतियां बनाने लगे। घर मे पड़े पुराने सामान और रंगों का इस्तेमाल कर इन्होंने बकुल के बीजों से सात सुंदर कलाकृतियां बनाई। सुंदर कलाकृतियां हाथों हाथ बिक गई।

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बचपन से है पेंटिंग का शौक

सुकुमार बोस बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही पेंटिंग करने का शौक रहा है। उनकी कई पेंटिंग घर की शोभा बढ़ा रहा है। पहले वे स्कैच भी बनाते थे। भगवान का पेंटिंग बनाकर उसे फ्रेमिंग कर वे अपने दुकान में भी बेचा करते थे। एक बार दुर्घटना घटने के बाद उन्हें कान में कम सुनाई देने लगा। अब उम्र भी होने लगी, सो आंख भी दगा देने लगे। ऐसे में उन्होंने पेंटिंग करना और स्कैच बनाना छोड़ दिया है। उनके दो बेटे हैं विप्लव और शुभम। बड़े बेटे रांची में रहकर नौकरी कर रहे हैं और छोटा पढ़ाई।

इसके अलावा पत्नी तापसी बोस उन्हें कलाकृति बनाने में प्रोत्साहित करती है। सुकुमार बोस कहते हैं कि लॉकडाउन में बेकार बैठकर दिन गुजार रहे थे। घर के सामने के बकुल पेड के नीचे उसका फल गिरा रहता था। एक दिन सोचा क्यों न इस बेकार में पड़े बकुल के फल से कुछ बनाया जाय। फलों को चुनकर घर ले गए, उसे धोकर साफ किया। छोटे-छोटे झाड़ियों का डाली लाए, बोतल के बेकार पड़े ढक्कन भी जुटाए और घर में रखे रंगों से उसे आकर्षक रूप देने में जुट गए। मन की भावना का बोर्ड पर रूप लेने लगी, जिसे लोगों ने खूब सराहा। 

बेकार की चीजों के सही इस्तेमाल की प्रेरणा

बेकार की साम्रगियों व वनोत्पाद का उपयोग कर काम की चीज बनाना बेरोजगारों के लिए प्रेरणा है। हर व्यक्ति के अंदर एक कलाकार छूपी रहती है। जरूरत है उसे जगाने की और मन की भावना का मूर्त रूप देने की। काम के लिए उम्र कभी आड़े नहीं आती है। बस मन में जुनून होना चाहिए।- सुकुमार बोस, कलाकार


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