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yoga : करें योग, रहें निरोग : उम्र 83 पर बीमारी कुछ भी नहीं

yoga. शिवपूजन सिंह नियमित रूप से योग करते हैं जिसका परिणाम उनके सामने है। उन्हें 83 वर्ष की उम्र में किसी तरह की बीमारी नहीं है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 01:04 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 01:04 PM (IST)
yoga : करें योग, रहें निरोग : उम्र 83 पर बीमारी कुछ भी नहीं
yoga : करें योग, रहें निरोग : उम्र 83 पर बीमारी कुछ भी नहीं

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के साकची गांधी घाट पर सुबह-शाम योग शिविर का आयोजन किया जाता है। सुबह 4.45 बजे से लेकर 6.30 बजे और शाम में 4.45 बजे से 6.30 बजे तक योग होता है। योग सिर्फ रविवार को बंद रहता है। शिविर में मानगो, डिमना रोड, गरमनाला, साकची, भुइयांडीह से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। यहां पर योग की शुरुआत वर्ष 2006 में आठ लोगों से हुई थी, अब 100 से अधिक लोगों यहां योग के लिए पहुंचते हैं। इसे सफल बनाने में केंद्रीय वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष शिव पूजन सिंह (83) की अहम भूमिका है।

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शिवपूजन सिंह नियमित रूप से योग करते हैं जिसका परिणाम उनके सामने है। उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं है। जबकि इस उम्र में अधिकांश लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। शिवपूजन सिंह कहते हैं कि उन्हें निरोग होने के पीछे योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने दूसरे लोगों को संदेश देते हुए कहा कि भागदौड़ की जिंदगी में अपने शरीर को स्वस्थ रहने के लिए कम से कम सुबह में एक घंटा का समय जरूर निकाले। अगर शरीर स्वस्थ नहीं रहेगा तो आदमी चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएगा। योग का प्रभाव शरीर के हर अंग पर पड़ता है। 

बीमारी हो गई बिना दावा खाए छू मंतर

ये हैं झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्‍ता जितेंद्र पांडेय। मधुमेह, थायरायड, ब्लड प्रेशर एवं कई अन्य बीमारियों से ग्रस्त पांडेय योग के बल पर बिना दवा खाए आज पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसी स्थिति भी आएगी, लेकिन आज उनकी पूरी दिनचर्या बदल गई है। अनुलोम-विलोम, कपाल भाती, प्राणायाम आदि योग करके पिछले तीन सालों से बिना दवाइयों का सेवन किए वे चुस्त, दुरूस्त और स्वस्थ्य हैं। वे बताते हैं कि यह योग का कमाल है कि मैं आज पूरी तरह स्वस्थ्य हूं। पिछले 14 सालों से नियमित रूप से योग कर रहा हूं। इसके लिए सुबह साढ़े चार बजे उठ जाता हूं। 5 से 6 बजे तक योग करने के बाद कोई दूसरा काम करता हूं।

कभी सोच रहे थे आत्महत्या की

बीमारियों तथा गृहस्थी की परेशानियों से पेशे से शिक्षक दीपक का जीवन से मोह भंग हो गया था। मुक्ति पाने के लिए आत्महत्या का रास्ता चुन लिया था। फिर एक रिश्तेदार ने योग से जुड़ने की सलाह दी। हजारीबाग में आर्ट ऑफ लिविंग के शिविर में दीपक ने भाग लेना शुरू किया। पहले दिन से ही उनके जीवन में बदलाव आना शुरू हो गया। बाद में योग से पूरा जीवन ही बदल गया। वर्ष 2002 से वे योग से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। योग से पहले खुद को दुरुस्त किया फिर योग शिविरों के माध्यम से लोगों को रोग मुक्त रखने का अभियान छेड़ दिया। वर्तमान में आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से दीपक लोगों को जीवन जीने की कला सिखा रहे हैं। वे बताते हैं कि योग से तनाव, विषाद, अवसाद, हिंसा वृत्ति, नशापान, प्रदूषण जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।

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