शिया मुसलमानों ने धूम से मनाई ईद-ए-गदीर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ईद-उल-अजहा की 18 तारीख यानि बुधवार को शिया मुसलमानों ने ईद
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : ईद-उल-अजहा की 18 तारीख यानि बुधवार को शिया मुसलमानों ने ईद-ए-गदीर का त्योहार धूमधाम और अकीदत के साथ मनाया। इस मौके पर लोगों ने नए कपड़े पहने और एक दूसरे को मुबारकबाद पेश की। ईद-ए-गदीर की खास नमाज शिया जामा मस्जिद में साढ़े 10 बजे पढ़ी गई। इसके बाद दुआओं का सिलसिला चला। अकीदतमंदों ने रोजा भी रखा।
इस मौके पर जाकिर नगर स्थित शिया जामा मस्जिद में महफिल हुई। इस महफिल में मकामी शायरों ने हजरत अली अ. की शान में कसीदे पढ़े। नूर शौकत ने पढ़ा- मौत तेरे मुहिब्बों को आती नहीं, आ भी जाए तो फिर बच के जाती नहीं। इफ्तेखार अली ने पढ़ा- नबी के बाद तो रहबर बना दिए लेकिन, कहीं गदीर सा मिंबर मिले तो ले आओ, अली की बात बड़ी है अली तो मौला हैं, जवाब ए हजरत कंबर मिले तो ले आओ। महदी हुसैन ने पढ़ा- कयों कर न पहुंचे जज्बा ए मिदहत गदीर में, है आज जश्न-ए-गाह-ए वेलायत गदीर में। आले अली ने पढ़ा- गदीर का वाकया नज्म ने पढ़ा। कसीदा पढ़ने वालों में इनाम अब्बास, खुर्शीद आदि थे।
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आज ही के दिन मिला था ताज-ए-खिलाफत
महफिल के बाद मौलाना सै. मोहम्मद हसन ने अपनी तकरीर में गदीर का वाकया बयान किया। उन्होंने बताया कि जिल हज की 18 तारीख को पैगंबर-ए-अकरम हज के बाद वापस लौट रहे थे। गदीर खुम के मैदान में सारे हाजियों को रोका गया। ऊंट की काठियों का मिंबर बनाया गया। इस पर आकर पैगंबर ए अकरम हजरत मुहम्मद मुस्तफा स. ने अपने हाथों पर हजरत अली को उठाया और बोले- मन कुंतो मौला हो फ हाजा अलीयुन मौला। जिस जिस का मैं मौला उसके ये अली मौला। इस तरह, नबी करीम ने हजरत अली अ. की विलायत और खिलाफत का एलान कर दिया। तारीख में है कि तभी एक हारिस नाम का शख्स मजमे से निकला और बोला कि ऐ पैगंबर ए अकरम अगर आपने हजरत अली अ. को हम सबका सरदार और खलीफा बनाने का एलान अपनी तरफ से किया है तो आप पर अजाब नाजिल हो और अगर खुदा के हुक्म से किया है तो मुझ (हारिस) पर अजाब नाजिल हो। तारीख बताती है कि उसी वक्त आसमान से एक बड़ा सा पत्थर आया और हारिस उस अजाब का शिकार हो कर फना हो गया।