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पर्यावरण की स्थिति है बदहाल : क्रशर पर हो कार्रवाई, बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

पूर्वी सिंहभूम में पर्यावरण की स्थिति बदहाल है। यहां कई फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी सीधे स्वर्णरेखा और खरकई में गिराया जा रहा है।

By Edited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 07:00 AM (IST)
पर्यावरण की स्थिति है बदहाल : क्रशर पर हो कार्रवाई, बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
पर्यावरण की स्थिति है बदहाल : क्रशर पर हो कार्रवाई, बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम में पर्यावरण की स्थिति बदहाल है। यहां कई फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी सीधे स्वर्णरेखा और खरकई में गिराया जा रहा है। टाटा पावर से फ्लाई ऐश निकलती है जिससे जमीन बंजर हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। जिला प्रशासन दलमा की तराई में पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वाले क्रशर पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। इन इलाकों में क्रशर खुलेआम चल रहे हैं। क्रशर पर कार्रवाई करने के लिए बनी जिला प्रशासन की टास्क फोर्स कार्रवाई करने की बजाय फर्जअदायगी ही कर रही है।

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ये बातें दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम 16 साल 16 सवाल में बुद्धिजीवियों ने कहीं। कहा कि टाटा पावर की फ्लाईऐश आसपास के इलाके में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रही है। इस पर लगाम लगनी चाहिए। अपार्टमेंटों में जल संरक्षण के इंतजाम नहीं होते। नगर निकाय इन पर कार्रवाई नहीं करते। इन अपार्टमेंटों का अपना ड्रेनेज सिस्टम नहीं होता। जमशेदपुर में प्रदूषण का स्तर बताने वाली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मशीन को सार्वजनिक स्थल पर लगाना चाहिए ताकि लोगों को पता चले कि शहर में प्रदूषण का स्तर क्या है।

बड़े पैमाने पर करने होंगे इंतजाम

ग्रामीण इलाके में सफाई के इंतजाम बड़े पैमाने पर करने होंगे। शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में सफाई का कोई फंड नहीं है। इससे इस इलाके में गंदगी का अंबार है। कहीं कूड़ा फेंकने के लिए जगह नहीं है। लोग कूड़ा कहां फेंके। यही नहीं, जनता को भी पर्यावरण के लिए जागरूक होना होगा। पॉलीथिन का इस्तेमाल कर लोग इसे नाली नहीं फेंके।

-राजकुमार, उपाध्यक्ष जिला परिषद

एनएच चोड़ीकरण में काट दिए पेड़

एनएच 33 के चौड़ीकरण में हजारों पेड़ काट दिए गए। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को दोगुने पेड़ लगाने चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। इस पर कोई हायतौबा भी नहीं मची। जबकि, सारे मंत्री एनएच 33 से ही सफर करते हैं। पर्यावरण विभाग को इसका संज्ञान लेना चाहिए। यही नहीं, जुस्को कमांड एरिया में अब कई खाली जगहों पर पैबर्स ब्लाक लगा दिए गए हैं। इससे बरसात का पानी भूगर्भ में नहीं जा पाता।

-मंगल महतो, सोनारी

आम लोगों में जागरूकता जरूरी

पर्यावरण के मुद्दे पर जनता को जागरूक होना होगा। सरकार को भी इस मुद्दे पर गंभीर होना चाहिए। पंचायतों में सफाई और पर्यावरण को लेकर कोई योजना नहीं है। ग्रामीण इलाके में सफाई के लिए कर्मियों की तैनाती होनी चाहिए। ग्रामीण इलाकों में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया जाना चाहिए।

-पंकज सिन्हा, परसुडीह

क्रशर कर रहे प्रदूषित

क्रशर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। इससे डस्ट निकलता है। ये डस्ट पेड़ की पत्तियों पर जम जाता है। इससे प्रकाश संष्लेषण की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। पेड़ अपना भोजन नहीं बना पाते। इससे उनका विकास रुक जाता है तो कार्बन डाई आक्साइड को सोखने और आक्सीजन को छोड़ने की प्रक्रिया भी बाधित हो जाती है। इससे पर्यावरण को सीधा नुकसान होता है। यही नहीं, क्रशर से निकले डस्ट सांस के जरिए फेफड़े में जाकर इंसान को बीमार बना देते हैं। किडनी भी खराब हो जाती है। इसलिए क्रशर पर कार्रवाई होनी चाहिए।

-एसएस पांडेय, असिस्टेंट प्रोफेसर भूगोल वर्कर्स कॉलेज

पानी बचाना तकाजा

पर्यावरण को लेकर जनता को भी जागरूक होना चाहिए। पानी बचाना चाहिए। शहर ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई है। बेतहाशा वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं और पर्यावरण में कार्बन डाईआक्साइड छोड़ रहे हैं। नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। लोगों को चाहिए कि वो पानी बचाए। जनता को जागरूक होना होगा। शुरुआत घर से होनी चाहिए।

- नुपुर चौधरी, कदमा स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगे

पर्यावरण महत्वपूर्ण विषय है। पानी के खर्च पर हमें अपने को सजग रहना होगा। लोग बेतहाशा पानी खर्च कर रहे हैं। स्वर्णरेखा और खरकई नदियां यहां बह रही हैं। इसमें शहर के नालों का पानी सीधे गिरता है। जबकि, यहां सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने चाहिए। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में शोधित होने के बाद ही पानी नदी में डाला जाए।

-आकाश साहा, मानगो स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट

जापानी तकनीक बेहतर

पर्यावरण ठीक करने के लिए हमें जापानी तकनीक हासिल करनी होगी। ऐसी मशीनें लगानी होंगी जो यहां की आबोहवा से प्रदूषण खत्म करे। यही नहीं, नगर निकाय को भी गंभीर होना होगा। कई जगह डस्टबिन नहीं है। लोग यहां-वहां कचरा डाल देते हैं। बारिश होती है तो कचरा जमा हो जाता है। नालियां जाम हो जाती हैं। पानी दुकानों और मकानों में घुस जाता है।

-विष्णु कुमार अग्रवाल, मानगो स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट


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