साल भर से सुनसान है साढ़े तीन करोड़ का सरकारी भवन
विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर : सरकारी नियम खुद सरकारी कामकाज पर कितने लागू होते हैं इसका जीता जागता नमूना है नवनिर्मित बंदोबस्त कार्यालय का भवन।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सरकारी रकम के दुरुपयोग की इससे जीती जागती मिसाल क्या होगी कि उपायुक्त परिसर में साल भर पहले बनी तीन मंजिला इमारत यूं ही पड़ी हुई है। इसका ऑनलाइन उद्घाटन भी छह महीने पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास के कर कमलों से हो चुका है लेकिन, इसके बाद भी यहां अब तक न तो बंदोबस्त कार्यालय खोला गया और ना ही राजस्व शाखा को स्थानांतरित किया गया। शाम को ये नवनिर्मित इमारत अराजकतत्वों का अड्डा बन जाता है। यहां खूब दारू चलती है और अड्डेबाजी होती है।
जिले का बंदोबस्त कार्यालय बेहद जर्जर और छोटा है। इसलिए पूर्व उपायुक्त अमिताभ कौशल ने उपायुक्त कार्यालय परिसर में बंदोबस्त कार्यालय बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। ये इमारत साल भर पहले बन कर तैयार हुई थी। छह महीने पहले उद्घाटन के बाद भी अब तक यहां बंदोबस्त कार्यालय नहीं खुल पाया है।
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बिना नक्शा पास किए बनी है इमारत
ये इमारत जमशेदपुर अक्षेस से नक्शा पास कराए बिना ही बनाई गई है। अमूमन अक्षेस जी प्लस टू का नक्शा पास करता है। लेकिन, ये बिल्डिंग जी प्लस थ्री यानि तीन मंजिल की बनाई गई है। बिल्डिंग पूरी तरह चकाचक है।
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ब्लड बैंक की इमारत भी सुनसान
खासमहल स्थित सदर अस्पताल परिसर में बनी नवनिर्मित ब्लड बैंक की इमारत भी साल भर से पड़ी हुई है। यहां ब्लड बैंक अब तक शुरू नहीं हो पाया है। ब्लड बैंक शुरू नहीं होने की वजह से सदर अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों को खून लेने के लिए एमजीएम अस्पताल आना पड़ता है। इसमें काफी दिक्कत होती है।