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सेहत योजना की झारखंड में भी होनी लगी चर्चा, सबके लिए आयुष्‍मान योजना की वकालत

Sehat Yaojana. जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर सेहत योजना लांच होने के बाद झारखंड में भी सबके लिए आयुष्‍मान योजना की वकालत शुरू हो गई है। मांग की जाने लगी है कि इलाज की गारंटी सभी को मिलनी चाहिए।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 05:08 PM (IST)
सेहत योजना की झारखंड में भी होनी लगी चर्चा, सबके लिए आयुष्‍मान योजना की वकालत
जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड के तर्ज पर आयुष्‍मान योजना की वकालत की जा रही है।

जमशेदपुर, जासं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर सेहत योजना लांच किया। इसमें खास बात यह है कि हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिल गई है। चाहे वह गरीब हो या फिर अमीर। इसी तरह, उत्तराखंड सरकार ने भी आयुष्मान योजना के तहत सभी व्यक्तियों का बीमा कराया है। अब झारखंड में भी इस मॉडल की चर्चा तेज होने लगी है। क्या इलाज की गारंटी सभी को नहीं मिलनी चाहिए। यह सवाल उठने लगा है।

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अभी झारखंड में सिर्फ उन्हीं लोगों का आयुष्मान कार्ड बन पाता है जिनके पास गुलाबी या फिर लाल कार्ड है। जिनके पास यह कार्ड नहीं है और वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तो भी उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। नतीजा उनके सामने घर-बार बेचने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता।  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पूर्व अध्यक्ष सह महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिसिंपल डॉ. एसी अखौरी का कहना है कि इलाज में भेदभाव बिल्कुल नहीं होना चाहिए। सबको इलाज की गारंटी होनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर या फिर उत्तराखंड राज्य में हर व्यक्ति का बीमा होना सराहनीय कदम है। इस मॉडल को झारखंड में भी लागू करना चाहिए ताकि इलाज की चिंता दूर हो सकें।

जरूररतमंदों का हर हाल में हो इलाज

वहीं, केंद्रीय वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष शिवपूजन सिंह कहते हैं कि उनके पास रोजाना पांच से छह लोग ऐसे आते हैं जो इलाज कराने में असमर्थ हैं। उनके पास न तो गुलाबी कार्ड होता है और न ही लाल कार्ड जिससे उनका आयुष्मान कार्ड बने। ऐसी परिस्थिति में वह कहां जाएंगे। इसकी चिंता भी करने की जरूरत है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के सचिव डॉ. मृत्युंजय सिंह ने कहा कि इलाज में जात का कोई बंधन नहीं होना चाहिए। जरूरतमंदों को हर हाल में बेहतर इलाज मिल सके, इसकी गारंटी मिलनी चाहिए।

जिले में छह लाख लोगों को मिला है गोल्डन कार्ड

पूर्वी सिंहभूम जिले में आयुष्मान भारत योजना लगभग ढ़ाई साल पूर्व लागू हुआ था। लेकिन, इसका लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिल पाता है जिनके पास लाल या फिर गुलाबी कार्ड है। अबतक कुल छह लाख लोगों का आयुष्मान कार्ड बन चुका है। जबकि लक्ष्य 16 लाख लोगों का गोल्डन कार्ड बनाना है। इस योजना के तहत जिले में लगभग 26 हजार लोगों को इलाज मिला है। जबकि पूर्वी सिंहभूम जिले की आबादी लगभग 27 लाख है।

इनकी सुनें

हर नागरिक को बेहतर इलाज की गारंटी मिलनी चाहिए। आयुष्मान योजना सबके लिए हो। इलाज में कितना पैसा खर्च होगा यह लिमिट नहीं है। मरीज के पास मान लीजिए 50 हजार रुपए है और उसके इलाज पर लगभग एक लाख रुपए खर्च आने की संभावना है तो वह कहां से लाएगा। इसकी चिंता भी करने की जरूरत है। अगर, सबके पास आयुष्मान कार्ड होगा तो यह समस्या दूर हो जाएगी। 

- डॉ. एसी अखौरी, पूर्व प्रिसिंपल, एमजीएम

सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं है और निजी अस्पतालों में इलाज पर खर्च अधिक आने की वजह से मध्यम वर्ग के लोग इलाज कराने में असमर्थ है। हमारे पास इस तरह के रोजाना मामला सामने आता है। वे बीमारी से जूझ रहे होते हैं लेकिन उनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं होने की वजह से इलाज नहीं करा पाते हैं। इसलिए इलाज की गारंटी सभी को मिलनी चाहिए।

- शिव पूजन सिंह, केंद्रीय अध्यक्ष, सिंहभूम वरिष्ठ नागरिक समिति।

चिकित्सा में कोई बंधन नहीं होना चाहिए। सभी के लिए एक योजना बननी चाहिए। बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन पैसा सबके पास नहीं रहता है। जिसके पास पैसा नहीं है और उनका नाम आयुष्मान योजना में दर्ज नहीं है तो क्या उन्हें इलाज नहीं मिलेगी। यह बड़ा सवाल है। जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड की तर्ज पर झारखंड में भी सभी लोगों को आयुष्मान कार्ड बनना चाहिए।

- डॉ. मृत्युंजय सिंह, सचिव, आइएमए।


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