एनएमएल के वैज्ञानिकों-अधिकारियों ने टेबल टेनिस पर आजमाए हाथ Jamshedpur News
सीएसआइआर-एनएमएल इंडोर स्पोट्रर्स में वैज्ञानिकों व अधिकारियों ने टेबल टेनिस कैरम चेस व ब्रिज जैसे इंडोर खेलों में जोर-आजमाइश की।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में समारोह, कार्यक्रम व खेलकूद का सिलसिला शनिवार से ही शुरू हो गया। इसी क्रम में सीएसआइआर स्टाफ क्लब में सीएसआइआर-एनएमएल इंडोर स्पोट्र्स की शुरुआत हुई।
इसमें संस्थान के वैज्ञानिकों व अधिकारियों ने टेबल टेनिस, कैरम, चेस व ब्रिज जैसे इंडोर खेलों में जोर-आजमाइश की। पहले दिन आयोजित की गई खेल प्रतियोगिताओं में सिंगल टेबल टेनिस प्रतियोगिता के विजेता आर राजू रहे जबकि मंजीत सिंह उपविजेता रहे। टेबल टेनिस की डबल्स स्पर्धा में डॉ. एके साहू व राजीव रंजन श्रीवास्तव की जोड़ी ने बाजी मारी।
इन्होंने वेद प्रकाश व सीबी जिग्नेसिया की जोड़ी को शिकस्त दी। वहीं कैरम के सिंगल्स इवेंट में सलीम अंसारी व मंजीत सिंह ने फाइनल में प्रवेश किया। कैरम प्रतियोगिता का फाइनल 26 जनवरी रविवार को खेला जाएगा। इस मौके पर एनएमएल के तमाम वैज्ञानिक व अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने खेल प्रतियोगिताओं का जमकर मजा लिया। पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन 26 जनवरी को ही किया जाएगा।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर तराश में जमी कवि गोष्ठी
साहित्यिक संस्था तराश के तत्वावधान में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कदमा सिंडिकेट परिसर में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर संध्या सिन्हा ने सर्वप्रथम आशुतोष चौबे को उनकी कविता के लिए आवाज दी। आशुतोष चौबे ने गीत प्रस्तुत किया "नई तस्वीर!" उनकी प्रस्तुति की भरपूर सराहना की गई। इसके बाद वरुण प्रभात ने मुक्त छंद में अपनी कविता "उस दिन सूरज नही उगा" पढ़ी जो सामाजिक यथार्थ से जुड़ी हुई थी। कवि तरुण ने कविता "इंसानों का खिलौना" सुनाया। कवि अशोक शुभदर्शी ने "रौशनी" कविता सुनाई जिसके द्वारा देश की एकता का संदेश दिया।
अजय मेहताब ने अपनी कविता " मेरे अज़ीज शहर" में जमशेदपुर से अपने प्रेम को प्रकट किया। सरिता सिंह ने "कलम मेरी बेज़ार है" सुनाई जिसमे आज के यथार्थ का चित्रण है। इसके बाद ज्योत्स्ना अस्थाना ने अपनी कविता "नई परिभाषा" सुनाई जो नारी सशक्तिकरण की गाथा थी। कवयित्री डॉ संध्या सिन्हा ने एक ग़ज़ल सुनाई जो नारी विमर्श से जुड़ी थी। कवि नवीन अग्रवाल ने अपनी कविता "दंभ" सुनाया जिसमे आज की व्यवस्था की विडंबनाओं को उजागर किया गया है। कवि सम्मेलन में सीता सिंह तथा अशोक महतो आदि कविगण उपस्थित थे। अंत मे सरिता सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।