Jharkhand Assembly Election 2019 :बागी सरयू ने फिर फोड़ा लेटर बम, पीएम मोदी से किया ये अनुरोध
Jharkhand Assembly Election 2019. बागी सरयू राय ने फिर लेटर बम फोड़ा है। उन्होंने इसबार मंगलवार को जमशेदपुर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और दो अनुरोध किया है।
जमशेदपुर,जेएनएन। Jharkhand Assembly Election 2019 टिकट कटने की आशंका में घोषणा से पूर्व ही टिकट देने से मना कर अपना क्षेत्र छोड़कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय दो-दो हाथ करने कूद पड़े मंत्री सरयू राय ने फिर लेटर बम फोड़ा है। उन्होंने इसबार मंगलवार को जमशेदपुर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और दो अनुरोध किए हैंं।
सरयू ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि वे आगामी 3 दिसंबर को अपने जमशेदपुर दौरे में टाटा की 86 से अधिक बस्तियों को मालिकाना अधिकार देने की घोषणा करें। राय ने इसके साथ ही मालिकाना के सवाल पर जनता के साथ वादाखिलाफी करने के लिए रघुवर दास को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग भी की है। राय ने कहा है कि हाल ही में आपकी मंत्रिपरिषद ने दिल्ली की 1731 बस्तियों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। संभवतः लोकसभा के इसी सत्र में यह विधेयक पारित होनेवाला है। जमशेदपुर में 86+ बस्तियों के लिए मालिकाना हक देने की मांग विगत 20 वर्षों से उठ रही है।
सीएम रहे हैं अगुवा
राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री एवं जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रघुवर दास इस मुहिम के अगुवा रहे हैं। वर्ष 2005 में जब टाटा लीज समझौते का नवीकरण हुआ, तब 17 सौ एकड़ में फैली इन बस्तियों को यह तर्क देते हुए टाटा लीज से अलग किया गया कि इन्हें मालिकाना हक दिया जाएगा। वर्ष 2006 में बस्तियों का सर्वेक्षण भी आरंभ हुआ। विगत सभी चुनावों में भाजपा की ओर से उठाया जानेवाला यह एक प्रमुख विषय रहा है, परंतु अचानक राज्य के मुख्यमंत्री एवं जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा के प्रत्याशी रघुवर दास ने पिछले कुछ महीनों से सार्वजनिक रूप से कहना आरंभ किया कि बस्तियों को मालिकाना हक देना उनका मुद्दा कभी नहीं रहा है और मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता है। रघुवर दास की इस बदली हुई बोली से यहां के बस्तीवासियों में आक्रोश है।
नहीं किया था विधेयक का समर्थन
राय ने लिखा है कि जब वर्ष 2005 में 86 बस्तियों को टाटा लीज से अलग कर सर्वे कराया गया, तो मैंने कहा था कि बिना कानून बनाए इन बस्तियों में रहनेवाले लोगों को मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता। उन्होंने काफी प्रयास किया कि सरकार इसके लिए विधानसभा में विधेयक लाये। सरकार तैयार नहीं हुई तो उन्होंने 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने संबंधी निजी विधेयक दिनांक 10 फरवरी.2006 को झारखंड विधानसभा में प्रस्तुत किया, परंतु रघुवर दास, जो उस समय राज्य के वित्त एवं नगर विकास मंत्री थे, ने इस विधेयक का समर्थन नहीं किया।
ये भी लिखा है पत्र में
मालिकाना की मांग और विगत पांच वर्षों में मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों द्वारा जमशेदपुर में जनता और पदाधिकारियों के साथ की गई बदसलूकी, जमशेदपुर में बंद हो रहे उद्योग-धंधे और इनका यहां से पलायन को विकट समस्या बताते हुए राय ने लिखा है कि गत सप्ताह विधानसभा चुनाव के लिए जारी भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में कहीं भी बस्तियों के मालिकाना, बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये मकानों को तोड़ने, उद्योगों के बीमार/बंद होने, पलायन और रोजगार जैसे मुद्दों का जिक्र नहीं है। जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र के लिए अलग से चार पृष्ठों का घोषणापत्र जारी हो रहा है, उसमें भी बस्तियों, रोजगार, भय और आतंक के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया है। राय ने आग्रह किया है कि प्रधानमंत्री इस पर पहल करते हुए मुख्यमंत्री को तत्काल हटायें ताकि मालिकाना सहित जमशेदपुर की ज्वलंत समस्याओं का समाधान हो सके।