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Jharkhand: सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखी पाती, कहा- आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ अस्पताल विवाद का हल निकालें

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला स्थित आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ अस्पताल मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय सामने आए हैं। इन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस विवाद का हल निकालने को कहा है। ये रही पूरी खबर।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 05:34 PM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 07:42 PM (IST)
Jharkhand: सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखी पाती, कहा- आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ अस्पताल विवाद का हल निकालें
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं पूर्व मंत्री व जमशेदपुर के विधायक सरयू राय।

जमशेदपुर, जासं। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला के आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ अस्पताल मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय सामने आए हैं। इन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस विवाद का हल निकालने को कहा है।

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सरयू ने लिखा है कि अस्पताल से जुड़ी खबरें विगत कई दिनों से जमशेदपुर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। आज की खबर से लग रहा है कि प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण यह अस्पताल बंद होने की कगार पर है। पिछले साल भी जमशेदपुर का मेडिका अस्पताल अकारण बंद हो गया था। सरकार, प्रशासन, टाटा स्टील नहीं बता पाया कि इस अस्पताल के बंद होने की नौबत क्यों आई। विडंबना है कि एक ओर कोरोना में अस्पतालों के बेड की संख्या एवं गुणवत्ता बढ़ाने की हर कोशिश हो रही है और दूसरी ओर अस्पतालों के बंद होने की स्थिति भी पैदा हो रही है।

सरकार की छवि पर पड रहा प्रतिकूल प्रभाव

मूल बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक आदेश पर जांच करने आई टीम के साथ अस्पताल संचालक ने दुर्व्यवहार किया। मंत्री के प्रति अभद्र शब्दोंं का इस्तेमाल किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तुरंत बाद अपनी गलती महसूस कर अस्पताल संचालक ने अशिष्टता के लिए माफी मांग ली। होना तो चाहिए था कि इसके बाद बात वहीं खत्म हो जाती। अस्पताल संचालक को स्वास्थ्य मंत्री की माफी मिल जाती। अस्पताल की क्लिनिकल जांच हो जाती, जांचोपरांत अस्पताल चलने लगता। यदि मंत्री को अस्पताल संचालक का कृत्य माफी योग्य नहीं लगता तो अपशब्द व्यक्त करने के लिए कानून की प्रासंगिक धाराओं में अस्पताल संचालक पर मुकदमा दर्ज होता, उनपर विधिसम्मत कारवाई होती। परंतु ऐसा होने की जगह अस्पताल के बंद होने की नौबत आ गई है। क्लिनिकल जांच की जगह प्रशासनिक जांच चलने लगी है जो आपराधिक दंड विधान की कार्रवाई की ओर बढ़ती प्रतीत हो रही है। इसका प्रतिकूल प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ रहा है।

अन्य अस्पतालों की भी जांच हो

सरयू ने लिखा है कि जहां तक मुझे स्मरण है 27 अप्रैल 2018 को तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री के मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम में देवघर में हुए ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट के दौरान इस अस्पताल का शिलान्यास हुआ था और कहा गया था कि यह अस्पताल एक रोल मॉडल होगा। यह रोल मॉडल बिखर रहा है, पर इसे रोल मॉडल बनाने की घोषणा करने वालों को शायद पता नहीं कि यह रोल मॉडल आज किस स्थिति में पहुंच गया है। वे लोग अपने रोल मॉडल का बचाव करने से कतरा रहे हैं। मुझे लगता है कि सरकार 111 लाइफ अस्पताल की जितनी गहन जांच कराना चाहती है, कराए। साथ ही जमशेदपुर-आदित्यपुर के अन्य अस्पतालों की भी इसी मापदंड पर जांच करा ले। शायद आदित्यपुर के मेडिट्रिना अस्पताल में किसी प्रकार की जांच हुई भी है। परंतु सेव लाइफ अस्पताल को चलने दे। मेडिका की तरह इसे बंद नही कराएं। जनहित में, खासकर आदित्यपुर के हित में यह अस्पताल चलना चाहिए।

ये जताइ है उम्मीद

मुझे लगता है कि सरकार विशेषज्ञों के परामर्श पर राज्य के निजी अस्पतालों के संचालन एवं प्रबंधन के लिए एक मार्गदर्शिका बना दे। इसका अनुपालन तत्परता से कराए और इसके अनुपालन में कोताही साबित होने पर कार्रवाई करे। कोरोना काल में कतिपय निजी अस्पतालों के संचालन संस्कृति के बारे में काफी शिकायतें मिल रही हैं। ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया में अस्पतालों के संचालन एवं प्रबंधन में सुधार हो न कि अस्पतालों के बंद होने की नौबत आए। अनुरोध है कि उपर्युक्त विषयक समस्या का शीघ्र समाधान करने की दिशा में पहल करेंगे।


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