Jharkhand Assembly Election 2019 : सरयू ने उठाया मैनहर्ट का मुद्दा, कहा- 21 करोड़ खर्च के बावजूद नहीं हुआ काम
सरयू ने कहा कि रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था। करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। झारखंड विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे सरयू राय ने सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट का मुद्दा उठाया। सरयू ने कहा कि रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था। इस पर करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।
इसकी जांच के लिए पांच अभियंता प्रमुख की कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने करीब 17 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि एजेंसी और इसे नियुक्त करने वाले पर कार्रवाई होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने भी दो बार सरकार को नोटिस जारी दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सरयू ने कहा कि मेरी समझ से मुख्यमंत्री पर यह बड़ा गहरा दाग है। मैं राष्ट्रीय नेताओं से भी पूछना चाहता हूं कि उन्हें इसकी जानकारी 2014 के पहले से थी कि नहीं। यदि जानकारी थी तो उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए इन्हें प्रस्तावित क्यों किया।
भुगत रही रांची की 20 लाख जनता
सरयू राय ने कहा कि नगर विकास मंत्री सह वित्त मंत्री रहते रघुवर दास ने मैनहर्ट को परामर्शी नियुक्त कर जो खता की उसकी सजा आज भी रांची की 20 लाख जनता भुगत रही है। अभियंता प्रमुखों की रिपोर्ट के बाद तत्कालीन निगरानी महानिरीक्षक ने सरकार को कहा कि जांच पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने पांच पत्र लिखे लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। मामला पुन: उच्च न्यायालय जाने पर प्रार्थी को एसीबी से जांच कराने के लिए निगरानी आयुक्त के पास जाने को कहा गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बेदाग छवि की अपनी परिभाषा
सरयू राय ने कहा कि तीन करोड़ की जगह 24 करोड़ रुपये खर्च कर मैनहर्ट को परामर्शी नियुक्त करने, विधानसभा समिति, पांच अभियंता प्रमुखों और निगरानी के तकनीकी कोषांग द्वारा जांच में परामर्शी नियुक्ति अवैध सिद़ध होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने के बाद मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि वे बेदाग हैं तो यह उनकी अपनी परिभाषा हो सकती है। इसका फैसला जनता की अदालत करे।
बोले सरयू
2003 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह ने रांची सीवरेज-ड्रेनेज स्कीम तैयार करने के लिए ओआरजी मार्ग को तीन करोड़ में परामर्शी नियुक्त किया था।
2005 में नगर विकास व वित्त मंत्री रहते रघुवर दास ने बिना किसी नोटिस के ओआरजी का एकरारनामा रद कर दिया। इसके बाद इसके लिए ग्लोबल टेंडर निकाला गया।
मूल्यांकन समिति द्वारा सभी निविदा को अयोग्य बताने पर रघुवर दास ने कुछ शर्तों को बदलकर मूल्यांकन करने को कहा।
निविदा शर्त में निविदा दाता के लिए तीन साल का टर्नओवर जमा करने की बात थी जबकि मैनहर्ट ने केवल दो वर्ष का टर्नओवर जमा किया था।
इसके बावजूद मैनहर्ट को 24 करोड़ में परामर्शी नियुक्त कर लिया गया।
मामला विधानसभा में उठने पर तीन सदस्यों की समिति गठित की गई। समिति ने मैनहर्ट को अयोग्य करार देते हुए दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की।
विधानसभा अध्यक्ष को दो बार पत्र लिखकर रघुवर दास ने कोशिश की कि जांच पूरी नहीं हो।