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लीज बंदोबस्ती योजना फेल : सरयू राय

खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि शहर में जो भी वैध-अवैध

By Edited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jun 2018 10:21 AM (IST)
लीज बंदोबस्ती योजना फेल : सरयू राय
लीज बंदोबस्ती योजना फेल : सरयू राय
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि शहर में जो भी वैध-अवैध बस्तियां बस गई हैं, उन्हें सरकार को नियमित करना चाहिए। सरकार लीज बंदोबस्ती योजना लाई थी, लेकिन यह फेल हो गई। ये बातें झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहीं। बिष्टुपुर स्थित आवास पर रविवार को संवाददाता सम्मेलन में मंत्री ने कहा कि पांच फीसद लोगों ने भी इसमें रुचि नहीं ली। इसका मतलब यह भी है कि शहरवासियों को सरकार पर भरोसा नहीं है। जब दुकानदार का कोई सामान ग्राहक नहीं खरीद रहा है, तो इसका सीधा मतलब है कि उस सामान में खोट है। लोगों को लग रहा है कि सरकार ऐसे भी उनके मकान नहीं हटाएगी, तो बेवजह चार-पांच लाख रुपये क्यों दें। मेरा प्रयास है कि नई नीति बने। जनता की सरकार की नीति में रुचि नहीं है, तो सरकार को सोचना चाहिए। पुराने नियमों के आधार पर ही बस्तियों को नियमित करने की नीति बननी चाहिए। ---------------- टाटा लीज समझौते का बदलना चाहिए स्वरूप मंत्री सरयू राय ने कहा कि टाटा लीज समझौता वर्ष 1985 में बना था, जिसके बाद इसका नवीकरण भी हुआ। इसके बावजूद जनता को इसका जो लाभ होना चाहिए था, वह नहीं मिला। उनका मानना है कि इसके स्वरूप में बदलाव होना चाहिए। इसके वर्तमान स्वरूप को जब तक नहीं बदलेंगे, तब तक लोगों को उसका लाभ उस रूप में नहीं मिलेगा। इसमें कंपनी हित के औद्योगिक प्रावधान और नागरिक हित अलग-अलग होने चाहिए। आज सरकार उन नागरिक सुविधाओं के लिए भी कंपनी को पैसा दे रही है, जो कंपनी को अपने खर्च पर करना है। मोहरदा जलापूर्ति के लिए भी सरकार ने कंपनी को पैसा दिया है, लेकिन एक साल से कंपनी इसकी योजना को ही सुधारने में लगी है। बिजली वितरण में भी सरकार को जनहित से जुड़े मामले में अधिकार रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आज सीएसआर पर बैठक की, लेकिन यह काम कंपनी की बांह ऐंठकर नहीं कराया जाना चाहिए। सीएसआर के तहत कंपनी से मानगो, आदित्यपुर, कांड्रा तक नागरिक सुविधा मिलनी चाहिए। सीएसआर के साथ पांच वर्ष पहले सीईपी (कारपोरेट एनवायर्नमेंट पालिसी) भी बनी थी, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। --------------------- जुबिली पार्क रोड से दुकानों को हटाना तुगलकी फरमान मंत्री ने कहा कि करीब डेढ़ माह पहले साकची में जुबिली पार्क गेट से बंगाल क्लब तक सड़क किनारे लगी दुकानों-ठेलों को हटाया गया था, अब उन्हें बसाने की बात हो रही है। जब मन में आया उजाड़ दिया, जब मन किया बसा दिया। इस तरह का तुगलकी फरमान नहीं होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि प्रशासन ने जिस तरह आनन-फानन में इन दुकानों को हटाया, उसकी मिसाल नहीं मिलती। हम शिकायत करते रह जाते हैं, तो हफ्तों-महीनों बाद कहीं जाकर कार्रवाई होती है। यहां तो फरमान मिलते ही सेकेंड भर में कार्रवाई कर दी गई। अब भी ये दुकानें बसेंगी कि नहीं, संदेह है। जुस्को के अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हम पार्किंग स्थल दुकान लगाने के लिए क्यों दें। पिछले दिनों उनके मानगो के डिमना रोड में प्रशासन ने जिस तरह से अतिक्रमण हटाया, वह हैरान करने वाला है। ना अतिक्रमण से पहले कोई रिपोर्ट बनी, ना दुकानदारों को इस बाबत बताया कि वे अमुक चीज हटा लें। उससे भी बड़ी बात कि उनके विधानसभा क्षेत्र में कार्रवाई हो रही है और प्रशासन ने उन्हें सूचना तक नहीं दी। ------------ 90 फीसद शौचालय बेकार पड़े स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में जितने भी सार्वजनिक शौचालय बने, उसमें 90 फीसद से ज्यादा बेकार पड़े हैं। कई का तो ताला ही नहीं खुला। जिनका उद्घाटन हुआ था, वह भी बंद पड़े हैं। ऐसे शौचालय बनाने का क्या फायदा। सरकार को देखना चाहिए कि जनता को जो सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, वह किस तरह से चल रही हैं। सरयू राय ने कहा कि वे इन सब मसलों पर ईद के बाद 17-18 जून को अधिकारियों की बैठक बुलाएंगे।

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