Move to Jagran APP

सरस्वती पूजा 30 को, प्रतिमाओं के रंगरोगन में जुटे कलाकार

मिथिलेश तिवारी पटमदा सरस्वती पूजा में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। मूर्तिकार देवी की प्रति

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 01:42 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 06:19 AM (IST)
सरस्वती पूजा 30 को, प्रतिमाओं के रंगरोगन में जुटे कलाकार
सरस्वती पूजा 30 को, प्रतिमाओं के रंगरोगन में जुटे कलाकार

मिथिलेश तिवारी, पटमदा : सरस्वती पूजा में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। मूर्तिकार देवी की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में शिद्दत से जुटे हुए हैं। इस बार 30 जनवरी को सरस्वती पूजा की जाएगी। पूजा समितियां और शिक्षण संस्थानों ने देवी प्रतिमा के लिए मूर्तिकारों को पहले से ऑर्डर दे दिए हैं। पटमदा-बोड़ाम प्रखंड क्षेत्र में पश्चिम बंगाल से आये कलाकार प्रतिमाओं के रंगरोगन में जुटे हैं।

loksabha election banner

शिक्षण संस्थानों के अलावा चौक-चौराहों पर भी होती है पूजा : शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ प्रखंड क्षेत्र के चौक-चौराहों पर देवी सरस्वती की पूजा धूमधाम से की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इनकी अराधना मात्र से ही विद्या की प्राप्ति हो जाती है। किंवदंती है कि देवी की पूजा से विद्या प्राप्ति के सभी मागरें का द्वार खुल जाता है। सरस्वती पूजा से पूर्व शैक्षणिक संस्थानों के अलावा ग्रामीण इलाकों में पूजा को लेकर विद्यार्थियों में काफी उत्सुकता है। आयोजन समितियां अपने-अपने स्तर से पूजा की तैयारी में जुट गई हैं।

प्रतिमा निर्माण के लिए बंगाल से आए कारीगर : प्रतिमा बनाने के लिए पश्चिम बंगाल के बाघमुंडी से स्वपन सूत्रधर ने बताया कि वे हर साल दिसंबर में अपने तीन साथियों के साथ पटमदा आते हैं। पहले वे टुसू की प्रतिमा बनाते हैं फिर उन्हें देवी सरस्वती की प्रतिमा बनाने के लिए ऑर्डर मिलने लगता है। बताते हैं अब पहले के जैसे कैलेंडर या फोटो की पूजा नहीं होती है। यही कारण है कि छोटी प्रतिमाओं की अधिक मांग होने लगी है।

बड़ी व डिजाइनदार मूर्ति पहली पसंद : स्वपन सूत्रधर ने बताया कि बड़े शिक्षण संस्थानों व पुरानी समितियां मूर्ति निर्माण के लिए पहले से एडवांस देकर अपने मन माफिक प्रतिमा का ऑर्डर देते हैं। इनकी पसंद डिजाइनदार व बड़ी प्रतिमा होती हैं। मोर व रथ पर बैठी प्रतिमा, शंख के भीतर बनी प्रतिमा पहली पसंद होती है। हालांकि शैक्षणिक संस्थानों में छोटी मूर्तियां ही ज्यादा पसंद की जाती है।

प्रतिमा की कीमत दो सौ से 10 हजार रुपये तक : कई लोगों का आर्डर आ चुका है। पाच सौ रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक की मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है। वैसे बाजार में इस बार आठ से दस हजार रुपये तक की प्रतिमा बिक रही हैं। वहीं दूसरी ओर मूर्ति निर्माण से जुड़े स्वपन सुत्रधर, विश्वनाथ प्रजापति, राजू पंडित बताते हैं कि पहले इस धंधे में अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन अब गावों में भी कई कारीगर मूर्ति बनाने लगे हैं। ग्रामीण इलाके के लोग गावों से ही मूर्ति खरीद लेते हैं, इससे व्यवसाय प्रभावित हुआ है और आमदनी बंट गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.