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Sarkari Job : मात्र 35 रुपए में कीजिए माइनिंग से लेकर कंप्यूटर साइंस में ट्रेड अप्रेंटिस, कोल इंडिया से लेकर यूसिल में मिलेगी नौकरी

Sarkari Job क्या आपको पता है कि सिर्फ 35 रुपए में आप ट्रेड अप्रेंटिस कर सकते हैं। यहां तक कि माइनिंग से लेकर कंप्यूटर साइंस ऑफिस असिस्टेंट से लेकर फैशन टेक्नोलॉजी तक का कोर्स कर सकते हैं। कोर्स करने के बाद नौकरी की राह आसान हो जाती है...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 10:45 AM (IST)
Sarkari Job : मात्र 35 रुपए में कीजिए माइनिंग से लेकर कंप्यूटर साइंस में ट्रेड अप्रेंटिस, कोल इंडिया से लेकर यूसिल में मिलेगी नौकरी
Sarkari Job : मात्र 35 रुपए में कीजिए माइनिंग से लेकर कंप्यूटर साइंस में ट्रेड अप्रेंटिस

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : वर्ष 1986 में जब नई शिक्षा नीति लागू हुई थी, तब झारखंड में एक साथ 40 प्लस टू विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा से जुड़े वोकेशनल कोर्स वर्ष 1993 में प्रारंभ किए गए थे। इसके लिए शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई थी। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वाधान में यह संचालित होता है। इसमें 10वीं के बाद छात्रों का दाखिला होता है। साथ ही इस डिप्लोमा को इंटरमीडिएट के समकक्ष माना जाता है, लेकिन उस दौरान अप्रेंटिस, पालीटेक्निक में कोई तरजीह नहीं मिल पाती थी।

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2005 से ही स्कूलों में हो रहा वोकेशनल कोर्स संचालित

राज्य सरकार ने वर्ष 2005 में वोकेशनल कोर्स संचालित स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए पालीटेक्निक में सीधे लेटरल एंट्री का प्रविधान कर दिया। अब इसके तहत इन स्कूलों के डिप्लोमा पास बच्चे सीधे पालीटेक्निक के दूसरे वर्ष में प्रवेश कर जाते हैं। ये विद्यालय जैक बोर्ड से मान्यता प्राप्त होते हैं, इनका परिणाम भी जैक बोर्ड अलग से जारी करता है। ये कोर्स करने वाले छात्र प्रतिमाह फीस मद में 35 रुपये का भुगतान करते हैं। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए ये विद्यालय वरदान साबित हो रहे हैं।

नई शिक्षा नीति में वोकेशनल कोर्स को तरजीह

नई शिक्षा नीति की बात एक बार फिर हो रही है और इसमें वोकेशनल कोर्स को पूरी तरह से तरजीह दिए जाने का निर्देश है। ऐसे में पूर्व से संचालित इन विद्यालयों की पौ-बारह है। एक-एक स्कूल में तीन-तीन ट्रेड की पढ़ाई मान्यता के अनुसार होती है। प्रत्येक ट्रेड के 25-25 सीटें निर्धारित हैं। कुल 19 तरह के ट्रेड यानि कोर्स प्रदेश के इन स्कूलों में संचालित किए जाते हैं।

जमशेदपुर के बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल में वोकेशनल कोर्स के कंप्यूटर साइंस, माइनिंग इंजीनियरिंग, रेडियो एंड टीवी विद इलेक्ट्रानिक्स के ट्रेड संचालित होते हैं। यहां भी 35 रुपये ही मासिक फीस ली जाती है। यहां से उत्तीर्ण बच्चे ओएनजीसी, कोल इंडिया तथा यूरेनियम कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड के साथ-साथ कई मल्टीनेशनल कंपनी में सेवा दे रहे हैं। कई छात्रों ने इन ट्रेडों में प्रशिक्षित होकर स्व व्यवसाय प्रारंभ किया है।

ये कोर्स होते हैं संचालित

माइनिंग जियोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, रेडियो टीवी, एमएलटी, नर्सिंग, ऑटोमाेबाइल इंजीनियरिंग, सेरीकल्चर, डेयरी टेक्नोलॉजी, मास कम्यूनिकेशन, पॉल्ट्री फार्म, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन टेक्नोलॉजी, टूर एंड ट्रेवल्स, लाइब्रेरी साइंस, हेल्थ केयर, बुक बाइंडिंग, ऑफिस मैनेजमेंट।

कोल्हान के इन स्कूलों में संचालित होते हैं वोकेशनल कोर्स

बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल बर्मामाइंस, एसएस प्लस टू हाई स्कूल पटमदा, आदिवासी हाई स्कूल बांगुड़दा, मनोहर लाल हाई स्कूल चाकुलिया, जिला स्कूल सरायकेला, रुंगटा हाई स्कूल चाईबासा, आदिवासी हाई स्कूल जगन्नाथपुर चाईबासा, प्लस टू हाई स्कूल चक्रधरपुर, जिला स्कूल राजखरसावां, प्लस टू हाई स्कूल गोईलकेरा।

क्या कहते हैं पूर्व छात्र

आपको आगे बढ़ने की ईच्छा है और आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो ऐसे सरकारी वोकेशनल स्कूल में दाखिला अवश्य लें। कोर्स पूरा होने के बाद ये आपको सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी। इस तरह के स्कूल से उत्तीर्ण होने के बाद आगे बहुत सारे स्कोप है। कई कंपनियों के द्वार खुले हैं। मैंंने इस स्कूल से उत्तीर्ण होने के बाद बीटेक किया और एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य कर रही हूं। - स्मृति कुमारी, कंप्यूटर इंजीनियर, एक्सेंचर प्राइवेट लिमिटेड।

बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल से वोकेशनल कोर्स से इंटर का डिप्लोमा करने के बाद उनके लिए कई रास्ते खुले। आर्थिक रूप से कमजोर था, इस कारण कहीं दूर जाकर पढ़ नहीं सकता। घर के सामने सुविधा संपन्न स्कूल का होने का उन्हें फायदा मिला। सरकार द्वारा इस तरह का स्कूल संचालित करना अच्छा प्रयास है। थोड़ा सा भी अगर छात्र होनहार है तो वह अपने पैरों के उपर कोर्स पूरा होने के बाद अवश्य खड़ा हो सकता है। - सुबोध कुमार, ओवरमैन, उमरेर प्रोजेक्ट नागपुर।

 वर्ष 1993 से वोकेशनल प्लस टू हाई स्कूल झारखंड में संचालित हो रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होनहार छात्रों को इन स्कूलों से सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है। आज नई शिक्षा नीति में वोकेशनल कोर्स को बढ़ावा देने और मान्यता देने की बात हो रही है। हम पहले से ही यह कर रहे हैं। सीमित संशाधनों में ये स्कूल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। जिला प्रशासन भी इन स्कूलों को सहयोग करता है। - रविंद्र कुमार रविकर, वोकेशनल प्रभारी, बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल बर्मामाइंस, जमशेदपुर।


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