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बड़े ओहदे वाले भी छूते हैं इनके पैर, क्योंकि...

बड़े-बड़े ओहदे वाले भी जब कभी सलाउद्दीन की दुकान से गुजरते हैं तो पैर छूना नहीं भूलते।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 12:46 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 12:46 PM (IST)
बड़े ओहदे वाले भी छूते हैं इनके पैर, क्योंकि...
बड़े ओहदे वाले भी छूते हैं इनके पैर, क्योंकि...

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। झारखंड की इस लौहनगरी में फुटपाथ पर कलम बेच कर एक शख्स ने सैकड़ों रिश्ते गढ़ लिए कि आज उनकी हस्ती ही बदल गई है। बड़े-बड़े ओहदे वाले भी जब कभी उनकी दुकान से गुजरते हैं तो पैर छूना नहीं भूलते। नाम है मुहम्मद सलाउद्दीन।

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आपकी कलम ने बड़ा बनाया:

कोई दुकानदार अपने स्वभाव से ग्राहकों का दिल जीत सकता है, पर इतना आत्मीय रिश्ता बना ले कि ग्राहक उसके लिए सब कुछ न्योछावर कर दे, यकीन नहीं होता। लेकिन सलाउद्दीन ने इस धारणा को बदल दिया है। साकची बाजार में उनकी दुकान पर इसे देखा जा सकता है। 1959 से इसी बाजार में कलम बेचने वाले इस शख्स ने 22 साल तक फुटपाथ पर कलम बेची है। उनके ग्राहकों में कई नामचीन वकील, शिक्षक, प्रोफेसर, टाटा कंपनी के अधिकारी से लेकर डॉक्टर और इंजीनियर तक शामिल हैं।

कुछ तो विदेश चले गए हैं। वे जब कभी विदेश से शहर आते हैं, तो उनका पैर छूने जरूर आते हैं। सलाउद्दीन जब उन्हें मना करते हैं तो उनका जवाब होता है- आपकी कलम से ही तो इस मुकाम तक पहुंचा हूं। सलाउद्दीन कहते हैं, सुन कर मेरी आंखें भर आती हैं। इतना प्यार मिलेगा कभी सोचा भी नहीं था। ग्राहकों से ऐसा रिश्ता बन गया है कि क्या कहूं।

मुफ्त में दे दी दुकान:

सलाउद्दीन ने बताया कि 17 साल से जिस दुकान को चला रहा हूं, नालंदा ज्वेलर्स के किशोरी बर्मन ने मुफ्त में दी है। वे किराया तक नहीं लेते। पूछने पर कहते हैं कि आप जब तक इसे रखना चाहें, रखें। किशोरी से भी रिश्ता ग्राहक के रूप में ही बना। बचपन में वे मुझसे कलम खरीदते थे। आज मेरी उम्र 83 वर्ष हो गई है।

सिर्फ कलम बेचते हैं:

सलाउद्दीन की इस दुकान में सिर्फ कलम बिकती है। दूसरी कोई चीज नहीं। शहर में ऐसी अनूठी दुकान कहीं नहीं है। 15-20 दिनों के अंतराल पर वे कोलकाता जाकर चुनिंदा कलम लाते हैं।


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