Mother's Day: इनके जज्बे को करें सलाम, पति कोरोना संक्रमित, बेटा घर पर; मां बजाती रही ड्यूटी
Mothers Day कोरोना का खौफ एेसा कि नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूटने लगते हैं। इस हालात में कोरोना पाॅजिटिव पति के साथ छोटे बच्चे को संभालते हुए ये महिलाएं अपने कर्तव्य पथ पर डटी हैं। नर्स के नाते कोरोना मरीजों की ड्यूडी के दौरान सेवा कर रही हैं।
जमशेदपुर, जासं। मां तो मां ही होती है। वह अपने बच्चों को जान से भी प्यारी समझती है तथा उसकी देखभाल पूरी जिम्मेदारी के साथ करती है। ये हैं बिरसानगर की संगीता साहू की। संगीत हॉस्पिटल में नौकरी करते हुए कोरोना संक्रमित पति की देखभाल व अपने बच्चे का पूरा ख्याल रख रही है। मां के सिवा इस दुनिया में ऐसे कठिन कार्य कोई दूसरा कर भी नहीं सकता है।
जी हां, बिरसानगर वन वी स्थित शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एनएम (नर्स) की काम करने वाली संगीता साहू की दो साल का एक पुत्र है जो घर पर ही रहता है। मां हॉस्पिटल में काम करती हैं। उनकी अनुपस्थिति में बच्चे का ख्याल उनके पड़ोस वाले ही रखते हैं। फिलहाल पति राजेश साहू कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हुए हैं। पूरे एक सप्ताह वे घर पर ही आइसोलेट रहे। शनिवार से उन्होंने अपनी ड्यूटी शुरू की। संगीता बिरसानगर वन वी में रहती है। अपने पति व पुत्र दोनों का ख्याल रखती है। समय-समय पर दोनों की सेवा भी कर रही है। पति जब कोरोना पॉजिटिव हुए थे तब भी वह नियत समय पर ड्यूटी आती तथा मरीजों की सेवा करती थी। एक कमरे में पति व दूसरे रूम में दो साल की एक बेटे को रखती थी। संगीता ने पति व पुत्र का बखूबी सेवा की। बच्चे की देखभाल के लिए एक मेड रखी थी। पति की सेवा स्वयं की। कोरोना संक्रमण के बीच उन्होंने साहस व धैर्य के साथ काम किया।
कोरोना संक्रमितों के बीच रहकर दो साल के बेटे का रखती है ख्याल
बिरसानगर जोन नंबर पांच बी स्थित स्वास्थ्य केंद्र में एनएम का काम करती हुई अनामिका बक्सला अपने दो साल के बच्चे का ख्याल रखती है। बिरसानगर जोन सिक्स में रहने वाली अनामिका भाड़े के घर पर अपने दो साल के बच्चे के साथ रहती है। अनामिका प्रतिदिन नियत समय पर अपनी ड्यूटी आती है तथा कोरोना मरीजों की सेवा करती है। कोरोना मरीजों के बीच रहकर उनकी सेवा करना फिर वापस घर जाकर बेटे का ख्याल करना भी इनके जिम्मे है। अपनी अनुपस्थिति में बेटे को देखने के लिए वह अपनी भतीजी को घर पर रखी हुई है। प्रतिदिन हॉस्पिटल जाने व घर आने के बाद वह अलग कमरे में कुछ समय रहकर ही बच्चे के पास आती है। मां का मातृत्व के बीच रोजी-रोटी के लिए काम करना अनामिका की परीक्षा की घड़ी है।