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भागवत ने तालाब को बनाया हथियार, खेती कर बने आत्मनिर्भर

पोटका में तीन एकड़ जमीन पर गेहूं-सरसों से लेकर हर तरह की सब्जी उगा रहे भागवत मार्डी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 07:00 AM (IST)
भागवत ने तालाब को बनाया हथियार, खेती कर बने आत्मनिर्भर
भागवत ने तालाब को बनाया हथियार, खेती कर बने आत्मनिर्भर

संवाद सूत्र, पोटका : मन में दृढ़ इच्छा हो तो कुछ भी किया जा सकता है, पत्थर पर भी दूब उग सकते हैं। इस उक्ति को पोटका के भागवत मार्डी ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने अपने जमीन पर बने 80 गुना 80 फुट के तालाब में सरसों, टमाटर, गेहूं, बैगन, चना, गोभी आदि की खेती के अलावा मछली पालन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं।

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भागवत बताते हैं कि वे शिक्षित हैं, लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने खेती करने का संकल्प लिया। सोचा कि घर पर ही रहकर अपनी जमीन पर खेती से स्वावलंबी बनेंगे। इसी संकल्प के साथ इन्होंने प्रखंड के कृषि विभाग में पदस्थापित आत्मा के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक कौशल झा से मिलकर अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया, फिर उसके अनुरूप सरसों, गेहूं, चना, धान आदि का बीज सरकार से लेकर तीन एकड़ जमीन पर खेती की। इस दौरान प्रखंड कृषि केंद्र से लगातार संपर्क में रहे। वैज्ञानिक तरीके से फसल उपजाई और अच्छी-खासी कमाई की। इसके बाद इन्होंने अपनी जिदगी की शुरुआत अपनी खेत में बने तालाब के पानी से बीच-बीच में सिचाई कर सरसों (80 डिसमिल), टमाटर (25 डिसमिल), गेहूं (1.5 डिसमिल), बैगन (25 डिसमिल), चना (70 डिसमिल), गोभी (20 डिसमिल) में खेती करना प्रारंभ कर दिया। इसका उत्पादन कर वे खुद बाजार जाकर बेचते हैं, जिससे इन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। इन्हें देखकर दूसरे किसान प्रोत्साहित होकर अब इनकी तरह कई खेती करने लग गए हैं। भागवत मार्डी का कहना है कि खेती कर मनुष्य नौकरी से ज्यादा पैसा कमा सकता है और अपने मन के अनुसार स्वतंत्र होकर आगे बढ़ सकता है, समृद्ध हो सकता है। उन्हें प्रखंड कृषि तकनीकी प्रबंधक से काफी प्रोत्साहन मिला। मुझे प्रशिक्षण देकर अत्याधुनिक तरीके से खेती करना सिखाया। इसी वजह से आज इनका परिवार समृद्धि के रास्ते पर बढ़ चुका है। प्रखंड तकनीकी प्रबंधक कौशल झा का कहना है कि जो किसान खेती करने के लिए इच्छुक हैं, हम आत्मा की ओर से उन्हें पूरा सहयोग देते हैं। आत्मा की ओर से बीज, यंत्र आदि उन्हें निश्शुल्क मुहैया कराया जाता है। कम जमीन में ज्यादा और अच्छी फसल उगाकर किसान समृद्ध हो सकता है।


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