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बिष्टुपुर में 100 वर्ष से चल रही गल्ले की दुकान

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : बिष्टुपुर बाजार में यूं तो गल्ले की कई दुकानें है, जो वर्षो से चल रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 06:48 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 06:48 PM (IST)
बिष्टुपुर में 100 वर्ष से चल रही गल्ले की दुकान
बिष्टुपुर में 100 वर्ष से चल रही गल्ले की दुकान

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : बिष्टुपुर बाजार में यूं तो गल्ले की कई दुकानें है, जो वर्षो से चल रही हैं। इनमें अशोक एंड कंपनी को 100 वर्ष से ज्यादा हो गए। दुकान के मालिक महेश संघी बताते हैं कि उनके दादा मदनलाल संघी के पिता जोधराज संघी टाटा स्टील खुलने के समय ही जमशेदपुर आ गए थे। उन्होंने उसी समय से इस बाजार में चावल-दाल बेचना शुरू कर दिया था। जोधराज जी के दो बेटे थे मनसुखराम व मदनलाल संघी, जिन्होंने पुश्तैनी कारोबार को जारी रखा। मदनलाल के बेटे रतनलाल संघी ने इस व्यवसाय को काफी बढ़ाया, जिनका निधन 2006 में हो गया। उनके जीवनकाल से ही रतनलाल के पुत्र महेश व उमेश संघी इसे चला रहे हैं। महेश बताते हैं कि उनके दादाजी बताते थे कि 1920 तक यहां खपरैल दुकान थी, जिसके पीछे परिवार के लोग रहते भी थे। उसी वर्ष संघी परिवार धतकीडीह अपने मकान में चले गए, जबकि दुकान यहीं रही। दादाजी कुछ वर्ष तक जुगसलाई भी रहे। दादा मदनलाल संघी समाजसेवा में काफी रुचि लेते थे। बिष्टुपुर का राजस्थान भवन और नरेडी भवन उनकी ही देन है। उन्होंने राजस्थान से लाकर कई लोगों को यहां बसाया। वे ना केवल अपने ग्राहकों को नाम से जानते थे, बल्कि उनके परिवार का हालचाल भी पूछते थे। एक तरह से ग्राहकों के साथ वे पारिवारिक रिश्ता बना लेते थे। उन्हीं की दुकान से टाटा स्टील की कैंटीन में राशन जाता था। 1985 के बाद पिताजी ने ही इसे बंद कर दिया। शहर के कई संभ्रांत परिवार उनके ग्राहक थे, जिनमें से अब भी कुछ परिवार राशन ले जाते हैं।

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