कोरोना संकट में नौकरी से हटाना नैतिकता के खिलाफ : रतन टाटा
Ratan Tata. उद्योगपति रतन टाटा ने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौर में किसी कर्मचारी को हटाना नैतिकता के खिलाफ है।
जमशेदपुर, जासं। उद्योगपति रतन टाटा ने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौर में किसी कर्मचारी को हटाना नैतिकता के खिलाफ है। अगर कोई इंसान आपकी कंपनी से लंवे समय से जुड़ा है तो उसे नहीं हटाया जाना चाहिए। लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई। कई के वेतन में कटौती की गई।
उन्होंने कहा कि नौकरी से निकाले जाने की अनगिनत घटनाएं देखकर ऐसा लगता है कि शीर्ष लीडरशिप में सहानुभूति की कमी है। शुक्रवार को रतन टाटा ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत करते हुए कहा कि ये वे लोग हैं जिन्होंने अपना पूटा कॅरियर कंपनी के लिए लगा दिया। संकट की इस घड़ी में वैसे लोगों का समर्थन करने की बजाय वेरोजगार करना उचित नहीं है। रतन टाटा ने कहा कि किसी भी कंपनी के लिए मुनाफा कमाना गलत नहीं है, लेकिन यह काम भी नैतिकता के साथ किया जा सकता है।
शीर्ष नेतृत्व की नैतिकता पट उठाए सवाल
रतन टाटा ने उद्योग जगत के शीर्ष नेतृत्व से सवाल करते हुए कहा कि इस समय आपका क्या कर्तव्य बनता है। नैतिकता की क्या यही परिभाषा है कि आप कर्मचारियों के साथ बुरा बर्ताव करें। टाटा ग्रुप ने संकट की इस घड़ी में किसी कर्मचाटी की छंटनी नहीं की। हालांकि, कंपनी ने शीर्ष प्रबंधन के वेतन में 20 फीसद तक कटौती जरूर की है।