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भविष्य को ध्यान में रखकर हाइड्रोजन फ्यूल ईंधन तैयार कर रही रिलायंस इंडस्ट्रीज

पारंपरिक ईंधन से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि यह काफी महंगा भी साबित हो रहा है। ऐसे में देश की विभिन्न कंपनियां अब इलेक्ट्रिक वेहिकल के साथ-साथ हाइड्रोजन ईंधन पर जोर दे रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज हाइड्रोजन ईंधन पर काम कर रही है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 08:59 AM (IST)
भविष्य को ध्यान में रखकर हाइड्रोजन फ्यूल ईंधन तैयार कर रही रिलायंस इंडस्ट्रीज
भविष्य को ध्यान में रखकर हाइड्रोजन फ्यूल ईंधन तैयार कर रही रिलायंस इंडस्ट्रीज

जमशेदपुर : भविष्य पेट्रोल और डीजल के बजाए इलेक्ट्रिक वाहनों का होगा। ऐसे में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन रिलायंस इंडस्ट्री भविष्य को ध्यान में रखकर हाइड्रोजन ईधन का निर्माण करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी की ओर से गुजरात के जामनगर में इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तैयार किया गया है। रिलायंस इंडस्ट्री ने पिछले दिनों अपनी वार्षिक आमसभा में चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इसकी घोषणा की थी।

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हाइड्रोजन ईंधन भविष्य का बेहतर विकल्प

देश के ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टीईआरआई) का मानना है कि अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन ईधन भविष्य के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। ऐसे में नई तकनीक पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जीवाश्म ईधन या अन्य स्त्रोतों से उत्पादित ईधन की तुलना में हाइड्रोजन ईधन ज्यादा महंगा है। भारत में डेलॉइट के पार्टनर देवाशीष मिश्रा का मानना है कि जीवाश्म ईधन और हाइड्रोजन की कीमत प्रति किलोग्राम 1.4 डॉलर से लेकर 2.5 डॉलर के बीच होगा। जबकि ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत 3.5 से लेकर 4.5 डॉलर प्रति किलोग्राम तो होगी। ऐसे में ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत एक डॉलर प्रति किलोग्राम कम होने से यह भारत में प्राकृतिक गैस की कीमतों के बराबर हो जाएगा।

रिलायंस के अलावा भी कई कंपनियां कर रही निवेश

वर्तमान में भारत में उत्पादित अधिकांश हाइड्रोजन गैस मिथेन विधि और कोयले से तैयार किया जा रहा है। हालांकि ग्रीन हाइड्रोजन से प्रदूषण कम होगा। रिलायंस इंडस्ट्री के अलावा कई भारतीय कंपनियां भी इस नई प्रौद्योगिकी में निवेश कर रही है। एनटीपीसी ने दिल्ली और लेह लद्दाख में संचालित बसों को ग्रीन हाइड्रोजन युक्त ईधन से चलाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी की ओर से पहाड़ी विकास परिषद के साथ एक समझौता भी किया है। इसके अलावा टाटा मोटर्स को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से 15 हाइड्रोजन आधारित प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (पीईएम) फ्यूल सेल बसों की आपूर्ति का ऑर्डर मिला है। इसमें टाटा मोटर्स मेम्ब्रेन युक्त ईधन वाले इंजन का निर्माण कर रही है।

हाइड्रोजन के उपयोग के लिए सरकारी हस्तक्षेप जरूरी

मिश्रा का मानना है कि परंपरागत ईधन के बजाए हाइड्रोजन ईधन का इस्तेमाल देश में तेजी से बढ़े। इसके लिए सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है। जब तक सार्वजनिक व निजी भागीदारी नहीं होगी, खपत व डिमांड नहीं बढ़ेगी। क्योंकि ईधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) को अपनाने से पहले देश भर में इसे नेटवर्क स्टेशनों की आवश्यकता होगी। इसके लिए पहले बुनियादी ढ़ांचे में निवेश करना होगा।


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