चिंता कैसी, चलता फिरता शीतगृह है ना Jamshedpur News
लौहनगरी में अब लोगों को अपनों के शव घर पर रोकना आसान हो गया है। साकची कब्रिस्तान कमेटी ने रेफ्रिजरेटेड काफिन बाक्स (ताबूत) तैयार किया है।
जमशेदपुर, मुजतबा हैदर रिजबी। बेटा मेरा धन के लिए परदेस गया है, शव को उठाने में जरा देर लगेगी। यानी, जिन लोगों के अपने बाहर होते हैं उनके शव दफन से पहले तब तक रोकना होता है जब तक वो घर आ नहीं जाते। लौहनगरी में अब लोगों को अपनों के शव घर पर रोकना आसान हो गया है। साकची कब्रिस्तान कमेटी ने रेफ्रिजरेटेड काफिन बाक्स (ताबूत) तैयार किया है। इसमें लाश दो-तीन दिन तक आराम से सही-सलामत रखी जा सकती है।
पहले दफन से पहले शव रोकने में दिक्कत होती थी। जमशेदपुर में टाटा मेन हास्पिटल (टीएमएच) और एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज) अस्पताल में शीतगृह हैं। यदि किसी की मौत घर पर हुई है तो उसके पास कोई मेडिकल दस्तावेज नहीं तो अस्पताल शीतगृह में शव नहीं रखते। इन शीतगृह का चार्ज इतना ज्यादा है कि आम लोग यहां शव रखने से पहले सौ दफा सोचता है। एमजीएम के शीतगृह में चूहों के लाशों को कुतर देने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। शव घर पर रखने पर इसके खराब होने का डर रहता था। अब लौहनगरी की साकची कब्रिस्तान कमेटी ने रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स तैयार कर इसका निदान कर दिया है। कमेटी के अध्यक्ष जवादुल हसन बताते हैं कि लोग अपनों का शव रखने के लिए इस रेफ्रिजरेटेड काफिन बॉक्स को घर ले जाते हैं। इसमें आराम से दो-तीन दिन तक शव रखा जा सकता है।
बर्फ लगा कर रखना पड़ता था शव
जुगसलाई के राहत हुसैन बताते हैं कि पहले आम लोगों को शव घर पर रखने में दिक्कत होती थी। गर्मी में सबसे ज्यादा परेशानी होती थी। लोगों को बर्फ में शव रखना होता था। इसके बाद भी शव खराब होने लगता था। कमेटी के महासचिव रजि मलिक बताते हैं कि अब रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स होने के बाद लोगों की ये परेशानी दूर हो गई है।
सवा लाख में बना रेफ्रिजरेटेड कॉफिन
साकची कब्रिस्तान कमेटी ने पहला कॉफिन बॉक्स एक लाख 12 हजार रुपये में बनाया था। कमेटी के संयोजक रियाज शरीफ बताते हैं कि इसे बेंगलुरू के एक इंजीनियर से बनवाया गया। ये कॉफिन बॉक्स कम वजन का है और आराम से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसकी मरम्मत का खर्च भी कम है। इसमें बस कंप्रेशर का ध्यान रखना होता है।
शहर में हैं छह रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स
साकची कब्रिस्तान कमेटी के संयोजक रियाज शरीफ।
शहर में एक रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स से काम नहीं चल रहा था। इसलिए, अन्य मुस्लिम संस्थाओं ने भी साकची कब्रिस्तान कमेटी से सीख लेते हुए रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स बनवाए। अब शहर में पांच रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स हैं। अब जुगसलाई में मिल्ली वेलफेयर सोसाइटी में दो और साकची कब्रिस्तान, कपाली की अलबेला गार्डन की मस्जिद हामिद सईद, मानगो के ओल्ड पुरुलिया रोड नंबर पांच स्थित अहले हदीस जामा मस्जिद और कपाली की सर्फुद्दीन मस्जिद में एक-एक रेफ्रिजरेटेड कॉफिन बॉक्स है।