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पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरु डा. वीणा श्रीवास्तव को किया याद, कीर्ति शेष पुस्तक का किया लोकार्पण

रविशंकर प्रसाद ने डॉ.वीणा श्रीवास्तव को एक आदर्श गुरु के रूप में याद किया। छात्र रविशंकर को वाद-विवाद प्रतियोगिता में पुरस्कृत करना हो या छात्र नेता रविशंकर का मार्गदर्शन हो या चुनाव से पहले आशीर्वाद का टीका लगाना हो वीणा श्रीवास्तव सदा ही एक अभिभावक तुल्य नजर आईंं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 12:03 PM (IST)
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरु डा. वीणा श्रीवास्तव को किया याद, कीर्ति शेष पुस्तक का किया लोकार्पण
कीर्ति शेष डा. वीणा श्रीवास्तव की पुस्तक का लोकार्पण करते रविशंकर प्रसाद।

जमशेदपुर, जासं। कीर्ति शेष डा. वीणा श्रीवास्तव की पुस्तक, जिसका संपादन डा. मुदिता चंद्रा ने किया है, उसके लोकार्पण में देश-विदेश से गणमान्य लोग जुड़े और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पटना विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर, जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली कर्मठ समाजसेविका डा. वीणा श्रीवास्तव के अनेक छात्र, आत्मीय स्वजन, उनके परिवार के सदस्यों ने मिलकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया।

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संस्कार भारती, झारखंड प्रांत द्वारा ऑनलाइन आयोजित इस पुस्तक लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि सांसद रविशंकर प्रसाद ने डॉ.वीणा श्रीवास्तव को एक आदर्श गुरु के रूप में याद किया। छात्र रविशंकर को वाद-विवाद प्रतियोगिता में पुरस्कृत करना हो या छात्र नेता रविशंकर का मार्गदर्शन हो, या चुनाव से पहले आशीर्वाद का टीका लगाना हो, वीणा श्रीवास्तव सदा ही एक अभिभावक तुल्य नजर आईंं।उनके व्यक्तित्व के अनछुए पहलु पर ध्यान आकर्षित किया।

आगरा के बाबा योगेंद्र हाे गए भावुक

संस्कार भारती के संरक्षक बाबा योगेंद्र विशिष्ट अतिथि के रूप में आगरा से इस ऑनलाइन कार्यक्रम में जुड़े थे। 98 वर्षीय योगेंद्र जी ने वीणा जी के अनेक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि संस्कार भारती में डॉ.वीणा का अमूल्य योगदान रहा है।उनकी संगठन क्षमता और व्यक्तिगत संबंधों की स्मृतियों को साझा करते हुए बाबा योगेंद्र बहुत भावुक हो गए और नम आंखों से उन्होंने श्रद्धांजलि दी।तीन दशक से अधिक डा. वीणा श्रीवास्तव संस्कार भारती की समर्पित कार्यकर्ता रहकर अपने दायित्व का निर्वहन करती रहीं। संस्कार भारती के केंद्रीय महामंत्री अमीर चंद ने डॉ.वीणा के साथ आत्मीय सम्बन्धों की स्मृतियों की पोटली खोल दी। कहा कि पद्मश्री डा. शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव (अध्यक्ष, संस्कार भारती) की पत्नी ने अपने पति से पहले संस्कार भारती की सदस्यता ली थी और आजीवन एक साहित्यकर्मी के दायित्व को निभाया था। डा. वीणा श्रीवास्तव संस्कार भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रहकर निरंतर कला साधकों और राष्ट्रहित में ही सोचती थीं।

पटना की किरण घई ने भी गुरु को किया याद

पटना से पूर्व पार्षद और पटना विश्वविद्यालय की सोनेट सदस्य प्रो. किरण घई ने बहुत भावुकतापूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जब मैं 14 वर्ष की थी, तब अपनी गुरु वीणा दी के संपर्क में आई। उन्होंने मेरे व्यक्तित्व का निर्माण किया है।विद्यार्थी परिषद, एनएसएस, नारी मंडल, आकाशवाणी, पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग समेत अनेक संस्थाओं से जुड़ी वीणा दी के साथ कम करने और सीखने का अवसर मिला।

इनकी रही अहम भागीदारी

कार्यक्रम का संचालन एबीएम कालेज, जमशेदपुर की प्राचार्य डा. मुदिता चंद्रा ने बहुत ही सुंदर भाव से किया।दिल्ली से पूर्व पुलिस आयुक्त आमोद कंठ, झारखंड से अनीता सिंह, पटना से डा. रत्ना पुरकायस्थ, स्टेट बैंक लंदन से अभिजीत कश्यप व प्रभाकर काजा ने भी अपने उदगार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम में शशि सिन्हा, दीपक घई, डा. उषा सिंह, डा. मधु वर्मा, डा. अखिलेश्वरी नाथ, डा.उषा किरण खां, रानी सुमिता, रमा सिन्हा, कुमकुम नारायण के अलावा साहित्यिक क्षेत्र के गणमान्य के साथ परिवार के सदस्य भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इनमें पारिजात सौरभ, अविनाश किशोर सहाय, अंजनी किशोर सहाय, अपराजिता शुभ्रा ने कार्यक्रम की सफलता में अहम भूमिका निभाई।धन्यवाद ज्ञापन संस्कार भारती, जमशेदपुर की अध्यक्ष डा. जूही समर्पिता ने किया। तीन घंटे तक इस कार्यक्रम में लोग श्रद्धाभाव से जुड़े रहे और भावविह्वल हो मौन श्रद्धांजलि देते रहे।


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