Ratan Tata : रतन टाटा को आज भी इस बात का है मलाल, दो साल तक लॉस एंजलिस में की थी नौकरी
यदि टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा टाटा ग्रुप के प्रमुख नहीं बनते तो आज वे पूरी तरह से अलग पेशे में होते। 83 वर्षीय इस उद्योगपति ने खुलासा किया कि वे खुशी से एक आर्किटेक्ट (वास्तुकार) बन गए थे।
जमशेदपुर : यदि टाटा संस (Tata Sons) के चेयरमैन एमेरिटस (Chairman emeritus) रतन टाटा (Ratan Tata) टाटा ग्रुप (Tata Group) के प्रमुख नहीं बनते, तो आज वे पूरी तरह से अलग पेशे में होते। 83 वर्षीय इस उद्योगपति ने खुलासा किया कि वे खुशी से एक आर्किटेक्ट (वास्तुकार) बन गए थे।
हालांकि, टाटा को अफसोस है कि वह लंबे समय तक एक आर्किटेक्ट (Architect) के रूप में काम नहीं कर पाए। टाटा ने इस बात पर जोर दिया कि आर्किटेक्ट का पेशा नहीं अपना पाने के बावजूद इस पेशे से मानवता के बारे में नजदीक से जाना।
उन्होंने कहा, मैं हमेशा एक आर्किटेक्ट बनना चाहता था क्योंकि यह मानवतावाद की गहरी भावना को प्रतिबिंबित करता है। इसके अलावा, वास्तुकला ने मुझे प्रेरित किया है और मेरी उस क्षेत्र में गहरी रुचि है। लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक इंजीनियर (Engineer) बनूं और मैंने दो साल इंजीनियरिंग में बिताए।
इंजीनियरिंग के उन वर्षों ने मुझे विश्वास दिलाया कि मुझे एक आर्किटेक्ट होने की ज़रूरत है जो कि मेरी रुचि वास्तव में वही है। रतन टाटा को इस बात का भी अफसोस रहा कि कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell university) से वास्तुकला में डिग्री होने के बावजूद वह लंबे समय तक इस पेशे से जुड़े नहीं रहे।
उन्होंने बताया कि कि कॉर्नेल से स्नातक हासिल करने के बाद लॉस एंजिल्स (Loss Angeles) में एक वास्तुकार के कार्यालय में काम किया, जब तक कि वह भारत नहीं लौटे और परिवार के व्यवसाय में रम नहीं गए।
रतन टाटा ने कहा, मुझे कभी आर्किटेक्ट होने का पछतावा नहीं था। मुझे केवल इस बात का अफसोस है कि मैं लंबे समय तक अभ्यास नहीं कर पाया। आप एक आर्किटेक्ट के रूप में जो संवेदनशीलता पैदा करते हैं, चीजों को एक साथ रखने की क्षमता, एक बजट के आधार पर किसी प्रोजेक्ट को चलाने की क्षमता वे सभी चीजें एक आर्किटेक्चर के पाठ्यक्रम में अच्छी तरह से सिखाई जाती हैं। और अगर कोई कहता है कि एक आर्किटेक्ट के रूप में आप अपना व्यवसाय नहीं चला सकते, तो यह गलत है।
28 दिसंबर 1937 को जन्मे, टाटा 1962 में टाटा समूह में शामिल हो गए और बाद में 1991 में समूह अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने दिसंबर 2012 तक समूह का नेतृत्व किया।