रतन टाटा और नंदन नीलेकणि की जोड़ी तोड़ेगी देश की साहूकारी प्रथा, ये है योजना
RatanTata and Nandan Nilekani. टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा और इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणि की जोड़ी अब देश में व्याप्त साहूकारी प्रथा का अंत करने जा रही है। दोनों कॉरपोरेट लीडरों ने मिलकर अवंती फायनांस के रूप में एक कंपनी बनाई है।
जमशेदपुर, जासं। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा और इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणि की जोड़ी अब देश में व्याप्त साहूकारी प्रथा का अंत करने जा रही है। दोनों कॉरपोरेट लीडरों ने मिलकर अवंती फायनांस के रूप में एक कंपनी बनाई है। डाटा और प्रौद्योगिकी के दौर में ये कंपनी गरीबों को उधार दे रही है ताकि वे अपने जीवन के लिए अनुकूलित उत्पादों के साथ जीवन जी सके।
चार साल पहले, भारतीय व्यापार के प्रतीक रतन टाटा और नंदन नीलेकणि ने अवंती फायनांस को लांच करने के लिए हाथ मिलाया था। यह एक तरह की सामाजिक फिनटेक स्टार्टअप है जो भारत में 150 मिलियन वैसे देश की जनता तक अपनी पहुंच स्थापित करना चाहती है जो अब तक बैंकिंग प्रणाली का लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसके लिए अवंती के चीफ प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी ऑफिसर ललित कऋगड्डा, मुख्य परिचालन अधिकारी मनीष ठक्कर और सीइओ राहुल गुप्ता की तिगड़ी इस दिशा में काम कर रही है।
कोई छिपा शुल्क नहीं
राहुल गुप्ता का कहना है कि बैंकिंग व अन्य वित्तीय सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस कंपनी की शुरुआत की गई है। लेकिन गरीबी उन्मूलन की दिशा में किए जा रहे इस काम में कई सारी चुनौतियां हैं। कंपनी का कहना है कि भारत में केवल 80 से 90 मिलियन जनता ही औपचारिक ऋण प्रणाली का हिस्सा है जबकि 150 मिलियन लोग अब भी गैर संस्थागत स्त्रोतों जैसे साहूकारी प्रथा पर अब भी निर्भर है। ऋणदाता असंगठित क्षेत्र में जरूरतमंदों से अधिक ब्याज वसूलते हैं और इसके कुचक्र में फंस कर लोग अपनी संपत्ति का नुकसान तो करते ही हैं, आर्थिक व मानसिक रूप से शोषित भी होते हैं। इसलिए अवंती फायनांस ऐसे जरूरतमंदों को बिना किसी छिपे हुए शुल्क के उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पहल कर रहा है। राहुल बताते हैं कि भविष्य में अवंती फिट फॉर इंश्योरेंस और बचत स्कीम भी लेकर आएगी ताकि देश की जनता को बचत के लिए प्रेरित किया जा सके।