Move to Jagran APP

जमशेदपुर में मेरे पहले दोस्त बने थे मैकग्रा : रतन टाटा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : एक्सएलआरआइ के संस्थापक फादर एडवर्ड ह्यूंज मैकग्रा के निधन पर टाट

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Aug 2017 02:16 AM (IST)Updated: Sat, 05 Aug 2017 02:16 AM (IST)
जमशेदपुर में मेरे पहले दोस्त बने थे मैकग्रा : रतन टाटा
जमशेदपुर में मेरे पहले दोस्त बने थे मैकग्रा : रतन टाटा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : एक्सएलआरआइ के संस्थापक फादर एडवर्ड ह्यूंज मैकग्रा के निधन पर टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने भी शोक व्यक्त किया है। रतन टाटा

prime article banner

ने औपचारिक बयान जारी कर कर कहा है कि वर्षो पहले जब उन्हें जमशेदपुर का दायित्व पहली बार मिला था तो तो जमशेदपुर में वे सबसे पहले जिस व्यक्ति से मिले, वे फादर मैकग्रा थे। रतन टाटा ने कहा है कि वे फादर मैकग्रा की दक्षता, कार्यक्षमता के कायल हुआ करते थे।

रतन टाटा कहते हैं-'फादर मैकग्रा जिस सुगमता से आपको अपना दोस्त बना लेते हैं, वह कमाल का था।' टाटा संस के पूर्व चेयरमैन ने मैकग्रा के साथ बिताए समय को याद करते हुए कहा कि जमशेदपुर में वर्षो तक उनके संपर्क में रहना, उनसे सुझाव-राय साझा करना किसी सुखद अनुभव से कम नहीं।

----

फादर मैकग्रा के छात्र रहे हैं एक्सएलआरआइ के वर्तमान निदेशक

एक्सएलआरआइ जमशेदपुर के वर्तमान निदेशक फादर ई. अब्राहम संस्थान के संस्थापक फादर व दो बार निदेशक रहे फादर मैकग्रा के छात्र रह चुके हैं। खुद फादर अब्राहम बताते हैं कि उन्हें 1976-78 में फादर मैकग्रा तीन विषय पढ़ाया करते थे। तब वे एक्सएलआरआइ के छात्र हुआ करते थे। फादर ई. अब्राहम के मुताबिक जब वे (अब्राहम) संस्थान के निदेशक बने तो मैकग्रा काफी खुश हुए थे और लोगों को कहा करते थे, यह मेरा छात्र था और आज इसने मेरी जगह ली है, मेरे लिए गौरव की बात है।

--------

एक्सएलआरआइ के कई फैकल्टी मेंबर को भी पढ़ा चुके हैं फादर

फादर मैकग्रा से पढ़े कई छात्र आज एक्सएलआरआइ में फैकल्टी मेंबर के रूप में शिक्षण कार्य से जुड़े हैं। मैकग्रा के छात्र आज यहां बतौर शिक्षक सेवा दे रहे हैं। ऐसे ही छात्रों में डॉ. जित्तू सिंह का भी नाम है। डॉ. जित्तू सिंह एक्सएलआरआइ से अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वे कहते हैं-'1968 में मैं जब एक्सएलआरआइ में पढ़ता था तब मुझे फादर मैकग्रा का सान्निध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने औपचौरिक तौर पर कभी किसी क्लास में नहीं पढ़ाया, लेकिन वे हमेशे से मेरे गुरु रहे। वे सच्चे मित्र की भूमिका तो निभाते ही थे, उत्साहपूर्वक पढ़ाते भी थे और तो और बतौर निदेशक मेरे बॉस भी रह चुके हैं।' जित्तू सिंह फादर मैकग्रा के निधन से शोक में हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.