Raksha Bandhan 2021 : इस बार बांधें पंचगव्य से बनी वैदिक राखी, आपके भाई को कोरोना समेत हर बुरी नजर से बचाएगी, जानिए
दूब घास अक्षत चंदन सरसों हल्दी और केसर को मिलाकर जो राखी बनाई जाती है उसे ही वैदिक राखी कहते हैं। मान्यता है कि अगर वैदिक राखी भाई की कलाई पर बांधी जाए तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
जमशेदपुर, जासं। कोरोना महामारी में अपने भाई की कलाई पर बाजार की राखी नहीं, बल्कि वैदिक राखी बांधें। इसका बड़ा महत्व है और ये शुभ भी मानी जाती है। यह राखी पंचगव्य (गाय का गोबर, गोमूत्र, दूध, दही व घी) से बनती है। यह राखी आपको कई बीमारी से भी बचाती है, क्योंकि यह संक्रमण को शरीर से दूर भगा देता है।
इस तरह की राखी जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बना रही हैं। वह बताती हैं कि रक्षाबंधन के लिए बहनें अपने भाइयों के लिए शौक से राखी खरीदती हैं। इस बार आप भाई को वैदिक राखी भी बांध सकती हैं। हस्तनिर्मित राखी को बहुत पहले से भाइयों के लिए तैयार करने की परंपरा चली आ रही है और इसे शुभ भी माना जाता है। कोरोना महामारी में बाजार से बनी राखी खरीदने की बजाय आप भी वैदिक राखी का इस्तेमाल करें। भाई की कलाई पर इसे बांधें और उसे हर बुरी नजर से बचाएं। आज बहनों को हम वैदिक राखी से जुड़ी हर बात विस्तार से समझाएंगे। क्या होती है वैदिक राखी और क्यों है ये आपके भाई के लिए शुभ, आइए जानते हैं।
पहले देखें इस साल कब है राखी
प्रत्येक साल यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 22 अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा। राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त 21 अगस्त 2021 की शाम को ही प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन उदया तिथि 22 अगस्त को है, इसलिए इसी दिन बहनें भाई को राखी बांधेंगी। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और मुंह मीठा कराती हैं, इसके बाद भाई बहनों को स्नेह जताने के लिए उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यह त्योहार मनाने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 21 अगस्त 2021 की शाम 03 बजकर 45 मिनट तक।
- पूर्णिमा तिथि समापन 22 अगस्त 2021 की शाम 05 बजकर 58 मिनट तक।
- शुभ मुहूर्त 22 अगस्त की सुबह 05 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 03 मिनट तक।
- रक्षाबंधन के लिए दोपहर में शुभ मुहूर्त 01 बजकर 44 से 04 बजकर 23 मिनट तक।
- रक्षाबंधन की समयावधि : 12 घंटे 11 मिनट
राखी की थाली में सजाएं ये चीजें
रक्षाबंधन के दिन बहनें थाली सजाती हैं। राखी की थाली सजाते समय रेशमी वस्त्र में केसर, सरसों, चंदन, चावल व दुर्वा या दूब घास रखकर भगवान की पूजा करनी चाहिए। राखी (रक्षा सूत्र) को भगवान शिव की प्रतिमा, तस्वीर या शिवलिंग पर अर्पित करें। फिर, महामृत्युंजय मंत्र की एक माला (108 बार) जप करें। इसके बाद देवाधिदेव शिव को अर्पित किया हुआ रक्षा-सूत्र भाइयों की कलाई पर बांधें। महाकाल भगवान शिव की कृपा, महामृत्युंजय मंत्र और श्रावण सोमवार के प्रभाव से सब शुभ होगा।
क्या होती है वैदिक राखी
वैदिक राखी का पहले के समय में खूब इस्तेमाल होता था। दूब घास, अक्षत, चंदन, सरसों, हल्दी और केसर को मिलाकर जो राखी बनाई जाती है, उसे ही वैदिक राखी कहते हैं। मान्यता है कि अगर वैदिक राखी भाई की कलाई पर बांधी जाए, तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसके साथ ही यह रक्षा सूत्र भाई के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
क्या रखें राखी की थाली में वैदिक राखी के साथ
राखी के शुभ पर्व पर राखी की थाली में रखी जाने वाली छह चीजों का बहुत महत्व है। राखी को तो आप राखी की थाली में रखेंगी ही। इसके अलावा भाई के माथे पर तिलक के लिए रोली, कुमकम या हल्दी रखें। रक्षाबंधन की थाली में अक्षत यानी खड़े चावल को भी जरूर रखें। राखी की थाली में भी दीपक रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि आरती उतारने से हर तरह की बुरी नजर से भाई की रक्षा होती है। थाली में मुंह मीठा कराने के लिए मिठाई भी जरूर रखें। अपनी परंपरा से जुड़ने का यही सही मौका है। इस साल आप भी वैदिक राखी ही अपने भाई की कलाई पर बांधे। कहते हैं कि इस तरह की पहल हर संस्कृति के लिए बड़ी उपयोगी साबित होती है।