बिष्टुपुर के राम मंदिर में 29वां अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन
एकादशी तिथि से लेकर पंचमी तिथि तक पूर्णिमा के पांच दिन पहले और पांच दिन बाद तक मुख्यत आत्महत्या की संभावना भावना बनती है। इस काल में पूरे विश्व में आत्महत्या की घटना में काफी बढ़ोतरी होती है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : एकादशी तिथि से लेकर पंचमी तिथि तक पूर्णिमा के पांच दिन पहले और पांच दिन बाद तक मुख्यत: आत्महत्या की संभावना भावना बनती है। इस काल में पूरे विश्व में आत्महत्या की घटना में काफी बढ़ोतरी होती है। यह बातें नेपाल से आए नेपाल के ज्योतिष हरिहर अधिकारी ने बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर में आयोजित 29वें अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के दूसरे दिन सभागार में कही।
उन्होंने बताया कि चंद्रमा इस दौरान पृथ्वी के नजदीक रहता है चूंकि चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में रहने से लोग अवसाद में चले जाते हैं और आत्महत्या कर सकते हैं ।
रांची से आए ज्योतिष महात्मा पाडेय ने शुगर से पीड़ित लोगों को कदम पेड़ का छाल का काढ़ा का सेवन करना चाहिए। रांची के ज्योतिष डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने मुख कैंसर के लिए विस्तार से राशियों में विभिन्न ग्रहों की उपस्थिति पर व्याख्यान दिया।
राजस्थान के उदयपुर से आए ज्योतिष डॉक्टर प्रेमा चंडालिया ने मनुष्य के शरीर में उपस्थित विभिन्न चक्रों और उनके रोगों के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला। सम्मेलन के दूसरे सत्र में हस्तरेखा के बारे में विभिन्न ज्योतिषों ने अपने अपने ढंग से अपना-अपना व्याख्यान दिया। सेटर ऑफ एस्ट्रोलोजिकल स्टडी एंड रिसर्च द्वारा बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर सभागार में 29वां विश्व ज्योतिष सम्मेलन के दूसरे दिन के मुख्य मुख्य अतिथि मुरलीधर केडिया, नेपाल से आए डाक्टर देवी प्रसाद खनाल, डॉक्टर उज्जवल राय विशिष्ट संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि मुरलीधर केड़िया ने कहा कि ज्योतिषियों को कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी से अपना काम करना चाहिए उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के ज्योतिष इस सम्मेलन मे भाग ले रहे हैं। उद्घाटन समारोह के बाद विश्व के विभिन्न देशों एवं प्रांतों से आए ज्योतिषियों को शाल व मेमोंटों देकर सम्मानित एवं स्वागत किया गया।
कोलकाता के ज्योतिष डॉक्टर विकास राहा द्वारा लिखित बुक कृष्णमूर्ति पद्धति ज्योतिष का विमोचन किया गया। प्रथम सत्र में चिकित्सा ज्योतिष के विषय पर ज्योतिषियों द्वारा व्याख्यान दिया गया।
कार्यक्रम का सफल बनाने में सुशील शर्मा, राकेश कुमार तिवारी, अभिजीत चक्रवर्ती डा सुरेश झा, बाबू विचित्रबेड़ा, जेवी मुरलीकृष्ण, सुरेन्द्र सिंह का योगदान रहा।
चार सौ लोगों ने दिखाई हस्तरेखा
ज्योतिष सम्मेलन के दूसरे दिन के अंतिम सत्र में संध्या पांच बजे से आठ बजे तक निश्शुल्क ज्योतिष परामर्श का आयोजन किया गया। दोपहर दो बजे तक पंजीकृत करीब चार सौ स्थानीय व्यक्तियों को निश्शुल्क परामर्श दिया गया। निशुल्क परामर्श में कुल 20 काउंटर लगाए गए, जिसमें देश-विदेश से आए मुख्य ज्योतिष के रूप में 20 से 25 ज्योतिषियों ने भाग लिया एवं प्रत्येक मुख्य ज्योतिष के साथ में दो-दो स्थानीय ज्योतिष भी सहयोगी के रूप में शामिल हुए। इस प्रकार कुल मिलाकर 70-75 ज्योतिषों ने निश्शुल्क परामर्श में एक साथ शामिल हुए और ज्योतिष की अलग-अलग विधाओं यथा कुंडली, हस्तरेखा, अंक शास्त्र, वास्तु एवं अन्य तरीकों से यहा के हजारों स्थानीय निवासियों को लाभाविंत किया।