डॉक्टर की फीस वसूली जा रहा एक्सेस फेयर टिकट के रूप में
डॉक्टर की फीस व दवा के रुपये एक्सेस फेयर टिकट के रूप में टीटीई यात्रियों से वसूलते हैं और इस रकम को रेलवे के फंड में टीटीई द्वारा जमा किया जाता है।
गुरदीप राज, जमशेदपुर : ट्रेन में किसी यात्री की तबीयत खराब हुई तो उन्हें चिकित्सक की फीस एक्सेस फेयर टिकट के रूप में ट्रेन के ट्रैवेलिंग टिकट एक्जामिनर (टीटीई) को चुकाना पड़ेगा। यह रकम लेने के बाद टीटीई बकायदा उन्हें अपने इएफटी बुक (एक्सेस फेयर टिकट) से रसीद काट कर देंगे, जिसके बाद ट्रेन का परिचालन गंतव्य के लिए होगा।
डाक्टर के फीस के लिए अलग से रसीद देने का प्रावधान रेलवे ने फिलहाल नहीं बनाया है। यह रसीद रेल डाक्टर की उपस्थिति में काटी जाएगी। जी हां यह यह बात थोड़ी अजीब सी लग रही है, लेकिन दक्षिण पूर्व रेलवे के सभी मंडलों सहित टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला सहित अन्य स्टेशनों में पिछले छह माह से हो रहा है। पहले टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला आदि पड़े स्टेशनों में रेल यात्रियों का इलाज डॉक्टर मुफ्त में करते थे, लेकिन अब डॉक्टर इलाज तो करते हैं, लेकिन डॉक्टर की फीस व दवा के रुपये एक्सेस फेयर टिकट के रूप में टीटीई यात्रियों से वसूलते हैं और इस रकम को रेलवे के फंड में टीटीई द्वारा जमा किया जाता है।
प्रतिमाह ट्रेन में होता है इलाज
टाटानगर : 18
चक्रधरपुर : 16
राउरकेला : 15
यात्री के बुलाने पर आते हैं डॉक्टर :
यात्रा के दौरान अगर किसी यात्री की तबीयत खराब हो जाती है तो यात्री टीटीई, हेल्प लाइन नंबर या फिर चक्रधरपुर स्थित कमर्शियल कंट्रोल को फोन कर डॉक्टर से जांच कराने की गुहार लगाते हैं। तब कमर्शियल कंट्रोल द्वारा अगले स्टेशन के स्टेशन मास्टर के यहां यह सूचना पहुंचाते हैं जिससे ट्रेन के अगले स्टेशन पहुंचने से पहले रेल डॉक्टर उस स्टेशन में पहुंच जाते है। डाक्टर के साथ ट्रेन का टीटीई व स्टेशन मास्टर मौजूद रहते हैं। डॉक्टर द्वारा मरीज का इलाज करने के बाद उन्हें 10 से 20 रुपये की दवा देते हैं। फिर टीटीई अपने इएफटी बुक में यात्री का नाम लिखकर 120 रुपये तक का रसीद बनाकर यात्री को देते हैं। यह राशि डॉक्टर नहीं लेते, टीटीई अपने पास रखते हैं और ट्रेन के गतंव्य पर पहुंचने पर एक्सेस फेयर टिकट के रुप में वसूली गई राशि अपने विभाग में जमा कर देते है। डॉक्टर सिर्फ उस रसीद का नंबर ले कर चले जाते हैं।
इंजेक्शन व स्लाइन नहीं चढ़ाने का नियम नहीं हैं यात्रियों को :
डाक्टर जब रेल यात्री की तबीयत की जांच करते हैं तो उन्हें हल्की फुल्की दवा देकर ही आगे विदा कर दिया जाता है। यात्री को डाक्टर इंजेक्शन या फिर स्लाइन नहीं चढ़ाते हैं। यदि यात्री की तबीयत ज्यादा खराब होने लगती है तो उसे ट्रेन से उतारा जाता है और एम्बुलेंस से लेकर अस्पताल तक का पूरा खर्च यात्री को वहन करना पड़ता है।
छोटे स्टेशनों में डॉक्टर लेते हैं मुंहमांगी फीस
जिस क्षेत्र में रेलवे अस्पताल है वहां से ही रेल डॉक्टर यात्रियों का इलाज करने के लिए स्टेशन पहुंचते हैं, लेकिन दक्षिण पूर्व मंडल के जिन छोटे स्टेशनों पर रेल डॉक्टर की सुविधा नहीं है ऐसे स्टेशनों पर प्राइवेट डॉक्टर को स्टेशन मास्टर मरीजों के कहने पर बुलाते हैं। मरीज का इलाज करने के बाद डाक्टर द्वारा 200 से 300 रुपये या फिर मुंहमांगी फीस डाक्टर रेल यात्रियों से वसूलते हैं।
' यात्रियों की ऑन डिमांड डॉक्टर को बुलाया जाता है। पहले फीस नहीं ली जाती थी, लेकिन अब डॉक्टर द्वारा यात्री का इलाज करने के बाद टीटीई द्वारा एक्सेस फेयर टिकट के रूप में डॉक्टर की फीस ली जाती है। जिस स्थान पर डॉक्टर 500 से एक हजार रुपये फीस मांगते हैं, वैसे स्थानों पर यात्री से सिर्फ 100 से 120 रुपये फीस रेलवे लेती है बाकी के रुपये खुद रेलवे द्वारा डॉक्टर को दिए जाते हैं।
-मनीष कुमार पाठक सीनियर डीसीएम चक्रधरपुर मंडल