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शेरगिल बन गए थर्ड जेडर के सम्मान की लड़ाई के प्रतीक Jamshedpur News

थर्ड जेंडर को पूरा सम्मान और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अमरजीत सिंह शेरगील वर्षो से संघर्षरत हैं। अब शेरगिल इस लड़ाई के प्रतीक बन गए हैं।

By Edited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 10:27 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 09:05 AM (IST)
शेरगिल बन गए थर्ड जेडर के सम्मान की लड़ाई के प्रतीक Jamshedpur News
शेरगिल बन गए थर्ड जेडर के सम्मान की लड़ाई के प्रतीक Jamshedpur News

जमशेदपुर (गुरदीप राज)। थर्ड जेंडर को पूरा सम्मान और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अमरजीत सिंह शेरगील वर्षो से संघर्षरत हैं। यूं तो मंजिल पाने के लिए ये अकेले ही चल पड़े थे लेकिन, आहिस्ता-आहिस्ता कारवां बनता गया।

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अब इनकी टीम में प्रशांत कुमार सिंह और आनंद सिंह सहित आधा दर्जन से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। अब शेरगिल इस लड़ाई के प्रतीक बन गए हैं। उन्होंने थर्ड जेंडर समुदाय को व्यवसाय से जोड़ने व कंपनी में नौकरी दिलाने के लिए काफी काम किया है। साथ ही इस समुदाय के लोगों के लिए समय समय पर फैशन शो, नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत का भी आयोजन करते रहते हैं, ताकि थर्ड जेंडर के लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। अमरजीत सिंह शेरगिल झारखंड के रामगढ़ जिले के रहने वाले हैं।

वर्ष 2006 में वह लौहनगरी पहुंचे थे। यहां पर थर्ड जेंडर की बदहाल स्थिति देखकर उन्होंने इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रण लिया। उनके प्रयास से पहली बार वर्ष 2015 में यहां थर्ड जेंडर का सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें बिहार, झारखंड और ओडिशा के थर्ड जेंडर शरीक हुए थे। इस सम्मेलन में उन्हें कौशल विकास से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया। शेरगिल के प्रयास से ही टाटा स्टील की अरबन सर्विसेज भी सामने आई। थर्ड जेंडर को अपने हक के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना शुरू किया।

जेएनटीआइ में थर्ड जेंडर को फिटर से लेकर उनके एजुकेशन के हिसाब से ट्रेनिंग मिलने लगी। ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद लौहनगरी की कंपनियों में 40 से ज्यादा थर्ड जेंडर नौकरी करने लगे। एक सामान्य जीवन जीने लगे। इतना ही नहीं रोटरी क्लब ऑफ जमशेदपुर से मिलकर शेरगिल ने कम पढ़े लिखे थर्ड जेंडर को व्यवसाय करने के लिए ठेला दिलाने की व्यवस्था की।

वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी बनवाए

लौहनगरी यानी जमशेदपुर के थर्ड जेंडर के पास पहले वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि नहीं थे। शेरगिल ने इसके लिए आंदोलन चलाया। उनके प्रयास से ही इस समुदाय के लोगों को भी यह सुविधा मिलने लगी। यही नहीं उन्होंने बैंक खाते भी खुलवाए।

आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए निकाला प्राइड मार्च

थर्ड जेंडर का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए शेरगिल की पहल पर प्राइड मार्च निकाला गया। इसे देखकर लोग दंग थे। वहीं थर्ड जेंडर गर्व महसूस कर रहे थे। इससे पहल से प्रभावित होकर प्रोफेसर संध्या ने अंगना नामक किताब की रचना भी कर दी।

दवा दान- जीवन दान अभियान भी

शेरगिल ने थर्ड जेंडर को समाज से जोड़ने के लिए ही दवा दान-जीवन दान अभियान शुरू कर रखा है। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में दवा का बाक्स लगाए गए हैं। शहरवासी इसमें वैसी दवाएं दान करते हैं जो घरों में मरीज के ठीक होने के बाद बच जाती हैं। इन दवाओं को थर्ड जेंडर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं।


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